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सैम पित्रोदा पर 150 करोड़ की जमीन हड़पने के आरोप, BJP नेता ने ED में दर्ज करायी शिकायत - SAM PITRODA

सैम पित्रोदा के खिलाफ कर्नाटक वन विभाग की 150 करोड़ रुपये की जमीन हड़पने के आरोप में ED और लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया गया.

Sam Pitroda.
सैम पित्रोदा. (Profile Photo) (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 24, 2025, 7:43 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक वन विभाग की सरकारी जमीन को अवैध तरीके से हड़पने के आरोप में ओवरसीज कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष सैम पित्रोदा और पांच अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया गया है. विवादित जमीन की कीमत 150 करोड़ रुपये से अधिक बतायी जा रही है. कर्नाटक के भाजपा दक्षिण जिला अध्यक्ष एनआर रमेश ने यह शिकायत दर्ज कराई है.

अधिकारियों पर भी आरोपः एनआर रमेश ने अधिकारियों पर एफआरएलएचटी के लीज समझौते की समाप्ति के बारे में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को सूचित न करके गंभीर अपराध करने का आरोप लगाया. उन्होंने इस मामले की गहन जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है. जिन अधिकारियों पर आरोप लगाये गये उनमें कर्नाटक वन और पर्यावरण विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव जावेद अख्तर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक आरके सिंह और संजय मोहन, बेंगलुरु शहरी संभाग के उप वन संरक्षक एन रवींद्र कुमार और एसएस रविशंकर शामिल हैं.

क्या है मामलाः

सैम पित्रोदा ने 23 अक्टूबर, 1991 को मुंबई में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के साथ फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (FRLHT) नामक एक संगठन पंजीकृत किया था. 2010 में उनके अनुरोध पर इस संगठन का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था. 5 सितंबर 2008 को इसी नाम से FRLHT ट्रस्ट बयातारायणपुरा, बेंगलुरु में उप-पंजीयक कार्यालय में पंजीकृत करायी गयी थी.

1996 में सैम पित्रोदा ने कर्नाटक वन विभाग को औषधीय पौधों की खेती और अनुसंधान के लिए एक आरक्षित वन क्षेत्र को पट्टे पर देने का अनुरोध करते हुए आवेदन किया था. उनके अनुरोध के बाद, कर्नाटक वन विभाग ने बेंगलुरु के येलहंका के पास जराकबांडे कवल के ब्लॉक 'बी' में पांच हेक्टेयर (12.35 एकड़) आरक्षित वन भूमि को पांच साल के लिए FRLHT, मुंबई को पट्टे पर दे दिया. इस पट्टे को भारत सरकार के वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था.

2001 में लीज की अवधि पूरी होने पर कर्नाटक वन विभाग ने लीज़ को अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया. 2001 के आदेश के अनुसार, FRLHT के लिए लीज़ समझौता आधिकारिक तौर पर 2 दिसंबर, 2011 को समाप्त हो गया. तब से कर्नाटक वन विभाग ने न तो लीज को बढ़ाया है और न ही जमीन का कब्ज़ा वापस लिया है.

वित्तीय अनियमितता के आरोपः शिकायत के अनुसार, 2011 में लीज समाप्त होने के बावजूद FRLHT ने भूमि पर कब्जा बनाये रखा. औषधीय पौधों की बिक्री से हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व अर्जित किया है. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि कर्नाटक वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी राजनीतिक प्रभाव और रिश्वत के बल पर 14 साल से अधिक समय से सरकारी भूमि को पुनः प्राप्त करने में विफल रहे हैं.

इसे भी पढ़ेंः ये क्या बोल गए सैम पित्रोदा, फिर संकट में कांग्रेस, बयान पर BJP का पलटवार

इसे भी पढ़ेंः सैम पित्रोदा फिर बने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष, चुनाव के दौरान रंगभेदी टिप्पणी पर हुआ था विवाद

बेंगलुरु: कर्नाटक वन विभाग की सरकारी जमीन को अवैध तरीके से हड़पने के आरोप में ओवरसीज कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष सैम पित्रोदा और पांच अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया गया है. विवादित जमीन की कीमत 150 करोड़ रुपये से अधिक बतायी जा रही है. कर्नाटक के भाजपा दक्षिण जिला अध्यक्ष एनआर रमेश ने यह शिकायत दर्ज कराई है.

अधिकारियों पर भी आरोपः एनआर रमेश ने अधिकारियों पर एफआरएलएचटी के लीज समझौते की समाप्ति के बारे में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को सूचित न करके गंभीर अपराध करने का आरोप लगाया. उन्होंने इस मामले की गहन जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है. जिन अधिकारियों पर आरोप लगाये गये उनमें कर्नाटक वन और पर्यावरण विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव जावेद अख्तर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक आरके सिंह और संजय मोहन, बेंगलुरु शहरी संभाग के उप वन संरक्षक एन रवींद्र कुमार और एसएस रविशंकर शामिल हैं.

क्या है मामलाः

सैम पित्रोदा ने 23 अक्टूबर, 1991 को मुंबई में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के साथ फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (FRLHT) नामक एक संगठन पंजीकृत किया था. 2010 में उनके अनुरोध पर इस संगठन का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था. 5 सितंबर 2008 को इसी नाम से FRLHT ट्रस्ट बयातारायणपुरा, बेंगलुरु में उप-पंजीयक कार्यालय में पंजीकृत करायी गयी थी.

1996 में सैम पित्रोदा ने कर्नाटक वन विभाग को औषधीय पौधों की खेती और अनुसंधान के लिए एक आरक्षित वन क्षेत्र को पट्टे पर देने का अनुरोध करते हुए आवेदन किया था. उनके अनुरोध के बाद, कर्नाटक वन विभाग ने बेंगलुरु के येलहंका के पास जराकबांडे कवल के ब्लॉक 'बी' में पांच हेक्टेयर (12.35 एकड़) आरक्षित वन भूमि को पांच साल के लिए FRLHT, मुंबई को पट्टे पर दे दिया. इस पट्टे को भारत सरकार के वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था.

2001 में लीज की अवधि पूरी होने पर कर्नाटक वन विभाग ने लीज़ को अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया. 2001 के आदेश के अनुसार, FRLHT के लिए लीज़ समझौता आधिकारिक तौर पर 2 दिसंबर, 2011 को समाप्त हो गया. तब से कर्नाटक वन विभाग ने न तो लीज को बढ़ाया है और न ही जमीन का कब्ज़ा वापस लिया है.

वित्तीय अनियमितता के आरोपः शिकायत के अनुसार, 2011 में लीज समाप्त होने के बावजूद FRLHT ने भूमि पर कब्जा बनाये रखा. औषधीय पौधों की बिक्री से हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व अर्जित किया है. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि कर्नाटक वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी राजनीतिक प्रभाव और रिश्वत के बल पर 14 साल से अधिक समय से सरकारी भूमि को पुनः प्राप्त करने में विफल रहे हैं.

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