ETV Bharat / state

उत्तराखंड के शहरों में आप भी हैं जाम से परेशान, तो जानिए इसकी वजह और समाधान

देहरादून, हरिद्वार और रुड़की जैसे बड़े शहरों में आजकल आपको घर से बाहर निकलते ही जाम की समस्या से दो-चार होना पड़ता होगा. दरअसल, हर साल सड़कों पर लाखों की संख्या में नए वाहन उतरने के कारण उत्तराखंड की सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ रहा है. हालांकि, देहरादून में मेट्रो (Dehradun Metro Project) बनने के बाद जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है.

Dehradun
देहरादून
author img

By

Published : Apr 22, 2022, 2:38 PM IST

Updated : Apr 26, 2022, 11:54 AM IST

देहरादून: अगर आप देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों में रहते हैं तो अक्सर आपको घर से निकलते ही सड़कों पर जाम की समस्या से दो चार होना पड़ता होगा. ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर उठा होगा कि बीते कुछ सालों में बढ़ती आबादी के साथ-साथ शहर की सड़कें भी जाम होने लगी हैं. अगर सड़कें जाम हो रही हैं, तो जाहिर है कि सड़कों पर वाहनों का दबाव (Vehicle pressure on the roads of Dehradun) ज्यादा है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर शहर की सड़कें क्यों जाम हो रही हैं और आपको जाम के झाम से निजात कैसे मिलेगी ?

अगर आप राजधानी देहरादून, हरिद्वार और रुड़की जैसे बड़े शहरों में रहते होंगे तो आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर अचानक इतने ज्यादा वाहन सड़कों पर कैसे आ गए. इसके पीछे एक तर्क यह हो सकता है कि कोरोना के कारण एक लंबा समय लॉकडाउन और प्रतिबंधों के बीच गुजरा है, जिसके बाद अब स्थितियां सामान्य हो चुकी हैं तो सभी प्रतिबंध हटा दिए गए हैं. ऐसे में अब सभी लोग सड़कों का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि, यह पूरा सच नहीं है. उत्तराखंड की सड़कों पर लगातार बढ़ रहे ट्रैफिक का असली सच यह है कि हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं.

देहरादून में लगने वाले जाम से अभी नहीं मिलेगी राहत.

उत्तराखंड परिवहन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2001 में प्रदेश में 4,05,212 वाहन सड़कों पर थे. वहीं अब साल 2021 में उत्तराखंड में वाहनों की संख्या बढ़कर 33,15,139 हो चुकी है. परिवहन विभाग के अनुसार हर साल बड़ी संख्या में नए वाहन खरीदे जाते हैं. यह सभी नए वाहन सड़कों पर होते हैं. राज्य गठन के शुरुआती सालों में वाहनों की खरीद की रफ्तार थोड़ा कम थी, लेकिन अब हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन खरीदे जा रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड की सीमित सड़कों पर वाहनों का यह दबाव बढ़ता जा रहा है.

हर साल बढ़ रही वाहनों की संख्या: पिछले 21 सालों में उत्तराखंड में हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन सड़क पर उतरे हैं. हालांकि पिछले 2 सालों में कोविड-19 महामारी के चलते वाहनों की खरीद कम हुई थी. लिहाजा साल 2020 और 21 में नए वाहनों की खरीद का जो आंकड़ा पौने तीन लाख तक जा रहा था, वह इन दो सालों में दो लाख से नीचे आ गया. यह आंकड़ा भी काफी बड़ा आंकड़ा है. इस तरह से साल 2021-22 तक उत्तराखंड में कुल 33 लाख से ज्यादा वाहन सड़क पर लगने वाले जाम का बड़ा कारण बनते हैं.

Dehradun
देहरादून

मेट्रो प्रोजेक्ट है इसका समाधान: लगातार विकसित हो रहे उत्तराखंड में कई गुना रफ्तार से बढ़ रहे सड़कों पर वाहनों के दबाव को देखते हुए देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और रुड़की तक के क्षेत्र को मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र घोषित किया गया था. यहां पर सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम और लगातार बढ़ रहे वाहनों के दबाव को कम करने के लिए साल 2016 में उत्तराखंड के पहले मेट्रो प्रोजेक्ट की घोषणा की गई. जिसके बाद उत्तराखंड में मेट्रो को लेकर कवायद शुरू हुई. उत्तराखंड में पहले मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत तीन फेज में स्वीकृति मिली है, जिसमें सबसे पहला फेज देहरादून शहर का है. उसके बाद हरिद्वार-रुड़की और ऋषिकेश को जोड़ने वाला है. इन दोनों को जोड़ते हुए ऋषिकेश से देहरादून तक के प्रोजेक्ट को तीसरे फेज में लिया गया है.
पढ़ें- UPCL के बड़े अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगा गटका जहर, निगम में मचा हड़कंप

उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन (uttarakhand metro rail corporation) के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी का कहना है कि देहरादून शहर के लिए दो कॉरिडोर में बनाए जा रहे हैं. नियो मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत देहरादून शहर की ट्रैफिक समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी. आईएसबीटी से गांधी पार्क और एफआरआई से रायपुर तक प्रस्तावित दो मेट्रो कॉरिडोर स्थापित होने के बाद इस रूट पर ट्रैफिक केवल 30 फीसदी ही रह जाएगा.

मेट्रो प्रोजेक्ट बना सफेद हाथी: उत्तराखंड में खासतौर से मेट्रोपॉलिटन शहरों में सड़कों पर बढ़ते वाहनों के दबाव को देखते हुए साल 2017 में मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर शुरुआत की गई थी. तकरीबन 5 साल बीत जाने के बाद भी मेट्रो प्रोजेक्ट के नाम पर एक ईंट भी आज तक नहीं रखी गई है.

हर साल 50 लाख का खर्चा: साल 2017 के बाद से लगातार अब उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन पर तकरीबन 50 लाख का सालाना खर्चा आता है. वहीं, इस वक्त 35 से ज्यादा कर्मचारी कॉरपोरेशन में कार्यरत हैं. मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर कई बार विवाद भी खड़े हुए. यहां तक कि शुरुआत में दिल्ली मेट्रो के बेहद अनुभवी अधिकारी जितेंद्र त्यागी ने यह कह कर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था कि सरकार मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर सीरियस नहीं है. हालांकि, बाद में सरकार ने जितेंद्र त्यागी को यह कहकर मनाया कि मेट्रो प्रोजेक्ट सरकार की पहली प्राथमिकता है.
पढ़ें- सुगम-सुव्यवस्थित बनाएंगे चारधाम यात्रा, चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं परिवहन मंत्री

वहीं, इसके अलावा मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर कई बार विदेशों के दौरे भी किए गए और कभी एलआरटी, कभी रोपवे और अब आखिर में नियो मेट्रो को लेकर मेट्रो कॉरपोरेशन आगे बढ़ रहा है. मेट्रो कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी का कहना है कि फाइनली देहरादून के दो कॉरिडोर के लिए राज्य सरकार से प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है, जिसे आगामी कुछ महीनों में केंद्र द्वारा अप्रूवल मिलने के बाद सबसे पहले देहरादून के दो कॉरिडोर आईएसबीटी से गांधी पार्क और एफआरआई से रायपुर पर निर्माण कार्य शुरू होगा.

परिवहन विभाग की सबसे ज्यादा माथापच्ची: उत्तराखंड की सड़कों पर लगातार बढ़ रहे वाहनों के दबाव से केवल लोग ही परेशान नहीं है, बल्कि उत्तराखंड का परिवहन विभाग भी परेशान है. उत्तराखंड में ट्रांसपोर्ट को लेकर हो रही इन तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर परिवहन मंत्री चंदन राम दास (Transport Minister Chandan Ram Das) ने कहा कि उत्तराखंड में ट्रैफिक कंट्रोल और यातायात को सुगम बनाने को लेकर सरकार लगातार विचार-विमर्श कर रही है. इसको लेकर कार्य योजना तैयार की जा रही है. हालांकि, मेट्रो प्रोजेक्ट में तेजी कब आएगी, इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया ?

देहरादून: अगर आप देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों में रहते हैं तो अक्सर आपको घर से निकलते ही सड़कों पर जाम की समस्या से दो चार होना पड़ता होगा. ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर उठा होगा कि बीते कुछ सालों में बढ़ती आबादी के साथ-साथ शहर की सड़कें भी जाम होने लगी हैं. अगर सड़कें जाम हो रही हैं, तो जाहिर है कि सड़कों पर वाहनों का दबाव (Vehicle pressure on the roads of Dehradun) ज्यादा है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर शहर की सड़कें क्यों जाम हो रही हैं और आपको जाम के झाम से निजात कैसे मिलेगी ?

अगर आप राजधानी देहरादून, हरिद्वार और रुड़की जैसे बड़े शहरों में रहते होंगे तो आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर अचानक इतने ज्यादा वाहन सड़कों पर कैसे आ गए. इसके पीछे एक तर्क यह हो सकता है कि कोरोना के कारण एक लंबा समय लॉकडाउन और प्रतिबंधों के बीच गुजरा है, जिसके बाद अब स्थितियां सामान्य हो चुकी हैं तो सभी प्रतिबंध हटा दिए गए हैं. ऐसे में अब सभी लोग सड़कों का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि, यह पूरा सच नहीं है. उत्तराखंड की सड़कों पर लगातार बढ़ रहे ट्रैफिक का असली सच यह है कि हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं.

देहरादून में लगने वाले जाम से अभी नहीं मिलेगी राहत.

उत्तराखंड परिवहन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2001 में प्रदेश में 4,05,212 वाहन सड़कों पर थे. वहीं अब साल 2021 में उत्तराखंड में वाहनों की संख्या बढ़कर 33,15,139 हो चुकी है. परिवहन विभाग के अनुसार हर साल बड़ी संख्या में नए वाहन खरीदे जाते हैं. यह सभी नए वाहन सड़कों पर होते हैं. राज्य गठन के शुरुआती सालों में वाहनों की खरीद की रफ्तार थोड़ा कम थी, लेकिन अब हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन खरीदे जा रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड की सीमित सड़कों पर वाहनों का यह दबाव बढ़ता जा रहा है.

हर साल बढ़ रही वाहनों की संख्या: पिछले 21 सालों में उत्तराखंड में हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन सड़क पर उतरे हैं. हालांकि पिछले 2 सालों में कोविड-19 महामारी के चलते वाहनों की खरीद कम हुई थी. लिहाजा साल 2020 और 21 में नए वाहनों की खरीद का जो आंकड़ा पौने तीन लाख तक जा रहा था, वह इन दो सालों में दो लाख से नीचे आ गया. यह आंकड़ा भी काफी बड़ा आंकड़ा है. इस तरह से साल 2021-22 तक उत्तराखंड में कुल 33 लाख से ज्यादा वाहन सड़क पर लगने वाले जाम का बड़ा कारण बनते हैं.

Dehradun
देहरादून

मेट्रो प्रोजेक्ट है इसका समाधान: लगातार विकसित हो रहे उत्तराखंड में कई गुना रफ्तार से बढ़ रहे सड़कों पर वाहनों के दबाव को देखते हुए देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और रुड़की तक के क्षेत्र को मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र घोषित किया गया था. यहां पर सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम और लगातार बढ़ रहे वाहनों के दबाव को कम करने के लिए साल 2016 में उत्तराखंड के पहले मेट्रो प्रोजेक्ट की घोषणा की गई. जिसके बाद उत्तराखंड में मेट्रो को लेकर कवायद शुरू हुई. उत्तराखंड में पहले मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत तीन फेज में स्वीकृति मिली है, जिसमें सबसे पहला फेज देहरादून शहर का है. उसके बाद हरिद्वार-रुड़की और ऋषिकेश को जोड़ने वाला है. इन दोनों को जोड़ते हुए ऋषिकेश से देहरादून तक के प्रोजेक्ट को तीसरे फेज में लिया गया है.
पढ़ें- UPCL के बड़े अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगा गटका जहर, निगम में मचा हड़कंप

उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन (uttarakhand metro rail corporation) के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी का कहना है कि देहरादून शहर के लिए दो कॉरिडोर में बनाए जा रहे हैं. नियो मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत देहरादून शहर की ट्रैफिक समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी. आईएसबीटी से गांधी पार्क और एफआरआई से रायपुर तक प्रस्तावित दो मेट्रो कॉरिडोर स्थापित होने के बाद इस रूट पर ट्रैफिक केवल 30 फीसदी ही रह जाएगा.

मेट्रो प्रोजेक्ट बना सफेद हाथी: उत्तराखंड में खासतौर से मेट्रोपॉलिटन शहरों में सड़कों पर बढ़ते वाहनों के दबाव को देखते हुए साल 2017 में मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर शुरुआत की गई थी. तकरीबन 5 साल बीत जाने के बाद भी मेट्रो प्रोजेक्ट के नाम पर एक ईंट भी आज तक नहीं रखी गई है.

हर साल 50 लाख का खर्चा: साल 2017 के बाद से लगातार अब उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन पर तकरीबन 50 लाख का सालाना खर्चा आता है. वहीं, इस वक्त 35 से ज्यादा कर्मचारी कॉरपोरेशन में कार्यरत हैं. मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर कई बार विवाद भी खड़े हुए. यहां तक कि शुरुआत में दिल्ली मेट्रो के बेहद अनुभवी अधिकारी जितेंद्र त्यागी ने यह कह कर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था कि सरकार मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर सीरियस नहीं है. हालांकि, बाद में सरकार ने जितेंद्र त्यागी को यह कहकर मनाया कि मेट्रो प्रोजेक्ट सरकार की पहली प्राथमिकता है.
पढ़ें- सुगम-सुव्यवस्थित बनाएंगे चारधाम यात्रा, चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं परिवहन मंत्री

वहीं, इसके अलावा मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर कई बार विदेशों के दौरे भी किए गए और कभी एलआरटी, कभी रोपवे और अब आखिर में नियो मेट्रो को लेकर मेट्रो कॉरपोरेशन आगे बढ़ रहा है. मेट्रो कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी का कहना है कि फाइनली देहरादून के दो कॉरिडोर के लिए राज्य सरकार से प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है, जिसे आगामी कुछ महीनों में केंद्र द्वारा अप्रूवल मिलने के बाद सबसे पहले देहरादून के दो कॉरिडोर आईएसबीटी से गांधी पार्क और एफआरआई से रायपुर पर निर्माण कार्य शुरू होगा.

परिवहन विभाग की सबसे ज्यादा माथापच्ची: उत्तराखंड की सड़कों पर लगातार बढ़ रहे वाहनों के दबाव से केवल लोग ही परेशान नहीं है, बल्कि उत्तराखंड का परिवहन विभाग भी परेशान है. उत्तराखंड में ट्रांसपोर्ट को लेकर हो रही इन तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर परिवहन मंत्री चंदन राम दास (Transport Minister Chandan Ram Das) ने कहा कि उत्तराखंड में ट्रैफिक कंट्रोल और यातायात को सुगम बनाने को लेकर सरकार लगातार विचार-विमर्श कर रही है. इसको लेकर कार्य योजना तैयार की जा रही है. हालांकि, मेट्रो प्रोजेक्ट में तेजी कब आएगी, इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया ?

Last Updated : Apr 26, 2022, 11:54 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.