ऋषिकेश: कोरोना के कहर के बीच सबसे ज्यादा मेडिकल स्टाफ की जरूरत है और ठीक ऐसे समय पर एम्स प्रशासन की एक एजेंसी ने करीब 100 मेडिकल स्टाफ को अचानक नौकरी से निकाल दिया है. इस बात से नाराज होकर मेडिकल स्टाफ, एम्स प्रशासन और एजेंसी के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन कर रहे हैं.
शनिवार सुबह से हो रहे हंगामे के बीच समस्या सुनने पहुंची तहसीलदार को भी मेडिकल स्टाफ के गुस्से का सामना करना पड़ा. उधर, हंगामे की वजह से ओपीडी पहुंचे मरीजों को भी परेशानी झेलनी पड़ी. बड़ी संख्या में मेडिकल स्टाफ के बाहर निकाले जाने से एम्स के अंदर स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ाने की भी आशंका जताई जा रही है. स्टाफ का साफ कहना है कि जब तक उन्हें उनकी नौकरी वापस नहीं मिलती, वह एम्स प्रशासन के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करते रहेंगे.
मेडिकल स्टाफ विवेक सिंह ने बताया कि शुक्रवार (7 जनवरी) रात उन्हें अचानक लेटर देकर कहा गया कि वह अगले दिन (8 जनवरी) से ड्यूटी पर न आएं, क्योंकि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. यह लेटर करीब 100 मेडिकल स्टाफ को दिया गया है. उनका कहना है कि कोरोना के कहर के बीच उन्होंने अपनी सेवाएं दी और अब उनको नौकरी से बाहर निकाला जा रहा है.
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वहीं, मेडिकल स्टाफ प्रियंका ने बताया कि नौकरी लगाने के समय भी उन्होंने एजेंसी को अच्छी खासी रकम दी थी. 2 साल की नौकरी अभी पूरी भी नहीं हुई कि उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में संक्रमित मरीजों की सेवा की है, आखिर किस गलती की सजा उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है.
वहीं, एम्स के पीआरओ हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. इस मामले में स्थानीय प्रशासन और एम्स प्रशासन के बीच वार्ता चल रही है, जल्दी इसको लेकर अपडेट जारी किया जाएगा.