मसूरी: शहर के लंढौर बाजार में करीब 75 प्रतिशत भवन जर्जर अवस्था में हैं, जो कि लंढौर और स्थानीयों के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है. वहीं, शासन-प्रशासन इसकी सुध लेने को तैयार नहीं है. पहाड़ों की रानी मसूरी के लंढौर क्षेत्र के अधिकांश भवनों को गिरासू भवन घोषित किया गया है. लंढौर क्षेत्र के कई आवासीय भवन भूत बंगले में तब्दील हो गए हैं. लेकिन स्थानीय लोग आज भी इन भवनों में रहने को मजबूर हैं.
मसूरी शहर का 2010 में उत्तराखंड आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र ने कई विभागों के साथ मिलकर 3344 भवनों का सर्वे किया था. सर्वे रिर्पोट में 615 भवनों को गिरासू भवन घोषित किया गया था. सर्वे में कहा गया था कि अगर कभी तेज भूकंप के झटके मसूरी में आए तो बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान के साथ ही जनहानि हो सकती है. लेकिन सर्वे रिर्पोट पर कभी शासन प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई. आपको बता दें की मसूरी शहर में सबसे ज्यादा खतरनाक भवन लंढौर क्षेत्र में हैं.
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स्थानीय निवासी अनुसार रस्तोगी ने बताया कि लंढौर क्षेत्र में कई भवन 100 साल से अधिक पुराने हैं, जिनकी स्थिति बेहद खतरनाक बनी हुई है. अंग्रेजों के जमाने के बने कई भवनों की स्थिति किसी भूत बंगले से कम नहीं है, लेकिन इस दिशा में प्रशासनिक मशीनरी गंभीर नहीं है.
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने बताया कि करीब 10-15 वर्ष पूर्व पालिका एवं एमडीडीए द्वारा संयुक्त रूप से जर्जर भवनों का निरीक्षण किया गया था. भवन स्वामियों को भवनों की रिपेयरिंग के लिए अनुमति भी दी गयी थी. बावजूद इसके आज भी भवनों की स्थिति और ज्यादा खराब हो गयी है. उन्होंने कहा कि ऐसे में शासन प्रशासन को उचित एवं ठोस कदम उठाना चाहिए. नगर पालिका अधिशासी अधिकारी एमएल शाह ने बताया कि लंढौर के जर्जर भवनों में रहने वाले लोगों को पूर्व में नोटिस जारी किए गए हैं और बहुत जल्द इसकी सूची तैयार कर शासन को भेजी जाएगी.
वहीं, मसूरी से धनौल्टी जाने वाले मार्ग पर बाटाघाट में नगर पालिका परिषद का सार्वजनिक शौचालय की हालत इतनी खराब है कि वहां जाना तो दूर वहां से गुजरना भी मुश्किल है. शौचालय की दुर्गंध से स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पालिका द्वारा सफाई की व्यवस्था न किए जाने के कारण गंदगी का अंबार लगा हुआ है. कई शौचालय की सीट भी टूटी है, जिस कारण सफाई भी नहीं हो सकती. वहीं, शौचालय पूरी तरह जर्जर चुका है. जिस कारण स्थानीय लोगों सहित धनौल्टी जाने वाले पर्यटकों शौचालय के लिए खुले में जाने को मजबूर है.