देहरादून: लोगों की खुदगर्जी और जानकारी के अभाव ने उन योद्धाओं को ही मुसीबत में डाल रहा है जो कोरोना वायरस की लड़ाई में खुद की जान की परवाह किए बिना अस्पतालों में डटे हुए हैं. जी हां, जिनके सम्मान में उन्होंने तालियां और थालियां बजायी, अब वो ही बेघर किए जा रहे हैं. जानिए क्या है पूरा मामला...
कोरोना वायरस के खौफ के बीच पूरे देश ने उन योद्धाओं को सलाम किया जो मुसीबत के वक्त खुद की जान की परवाह किए बिना पहली पंक्ति में खड़े होकर इस महामारी से लड़ रहे हैं. देश में प्रधानमंत्री मोदी ने उन योद्धाओं के सम्मान में आम लोगों को खड़े होने के लिए कहा. इसके बाद पूरे देश ने तालियां, थालियां और शंख बजाकर स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे फाइटर्स को प्रोत्साहित किया, लेकिन जनता कर्फ्यू के दिन शाम 5 बजे किए गए इस सम्मान के बाद देहरादून से कुछ ऐसी खबरें आई जो बेहद ज्यादा चिंताजनक हैं.
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग से जुड़कर कोरोना पीड़ितों की सेवा कर ऐसे कई स्वास्थ्यकर्मी हैं, जिनका लोग बहिष्कार कर रहे हैं. देहरादून में किराए पर रह रहे स्वास्थ्य कर्मियों को कई मकान मालिक कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए घरों में नहीं घुसने दे रहे हैं. चिंता की बात यह है कि एक तरफ स्वास्थ्यकर्मी अस्पतालों में डटे हुए हैं, तो दूसरी तरफ उन्हें सामाजिक रूप से भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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हालांकि, दूध मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने स्वास्थ्य कर्मियों के साथ भी आ रही इस दिक्कत के बाद उनके लिए होटल और दूसरी जगह पर रहने की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है. स्वास्थ विभाग कई कर्मियों के लिए व्यवस्थाएं कर चुका है, जबकि दूसरे परेशान स्टाफ को भी उनके नए आशियाने में भेजने की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही खाने-पीने की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग कर रहा है.