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महिला अपराध में पीड़ित को मुआवजा देने में उत्तराखंड फिसड्डी, ये है वजह

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Published : Apr 17, 2021, 8:59 PM IST

Updated : Apr 17, 2021, 10:37 PM IST

महिला अपराध में पीड़ित को सरकारी मुआवजा देने में उत्तराखंड सबसे पीछे है. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश की सभी थानों को महिलाओं से जुड़े अपराधों में पीड़ितों को मिलने वाली मुआवजा धनराशि योजना के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.

Dehradun Women Crimes
Dehradun Women Crimes

देहरादून: दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भयाकांड के बाद महिलाओं से जुड़े किसी भी अपराध में पीड़ित पक्ष को सरकार की ओर से सहायता धनराशि का प्रावधान है. लेकिन दुर्भाग्यवश इस विषय में जागरूकता की कमी के चलते महिला पीड़ित पक्ष को आर्थिक योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उत्तराखंड बात करें तो यहां हर साल औसतन 2800 से अधिक महिला अपराध के मामले सामने आते हैं, लेकिन मुआवजे की बात करें तो साल भर में करीब 35 पीड़ितों को ही इस योजना का लाभ मिल रहा है.

महिला अपराध में पीड़ित को सरकारी मुआवजा देने में उत्तराखंड सबसे पीछे.

ऐसे में पुलिस मुख्यालय ने इस योजना के जागरूकता के लिए प्रदेश के सभी थाना प्रभारियों को लिखित आदेश जारी कर महिलाओं से जुड़े अपराधों में पीड़ितों को मिलने वाली मुआवजा धनराशि योजना के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. इतना ही नहीं मुख्यालय ने इस विषय में महिला अपराध से जुड़े पक्ष के रिकॉर्ड भी मंगवाए हैं, ताकि राज्य में दुष्कर्म, हत्या, पॉक्सो या अन्य तरह के महिलाओं से जुड़े आपराधिक मामलों में पीड़ित पक्ष को सहायता धनराशि योजना का लाभ दिलाया जा सके.

वहीं, पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रदेश के सभी थानों में एक एप्लीकेशन के रूप में प्रारूप भेजा गया है, जिसमें कुल महिला अपराध और कितने पीड़ितों ने इस योजना में आवेदन किया. इसकी जानकारी इसमें भरकर देनी होगी. बता दें, देशभर में 2012 के बाद तेजी से महिला अपराध मामलों में सरकार की ओर से मुआवजा धनराशि देने की योजना आगे बढ़ी थी. लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते बेहद कम संख्या में पीड़ितों को आर्थिक योजना का लाभ मिल रहा है.

Dehradun Women Crimes
बीते 4 साल में महिला अपराध.

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देता है मुआवजा

महिला अपराध से जुड़े मामलों में सरकार की ओर से मिलने वाली मुआवजा धनराशि के लिए संबंधित थाना स्तर से मुकदमे के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को दी जाती है. उसी के आधार पर प्राधिकरण जांच के आधार पर सरकार से मिलने वाली मुआवजा राशि को पीड़ित पक्ष के लिए रिलीज करता है. इतना ही नहीं महिला अपराध से जुड़े मामलों में अदालतों से मिलने वाले आदेश और खुद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भी अपने स्तर से इस योजना का लाभ पीड़ित पक्ष को दिलाने में प्रयासरत है. लेकिन जागरूकता की कमी के कारण इस आर्थिक योजना का लाभ उत्तराखंड में बेहद कम संख्या में महिला पीड़ित पक्ष को मिल रहा है.

Dehradun Women Crimes
वितरित की गई मुआवजा राशि.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 से मार्च 2021 तक राज्यभर में 9,464 महिला अपराध के तहत मामले दर्ज हुए हैं. जबकि अगर देहरादून जिले में मुआवजे की बात करें, तो यहां साल 2015 से 2021 तक केवल 349 पीड़ितों को मुआवजा मिला है.

अधिक से अधिक संख्या में पीड़ितों मुआवजा मिले इसके लिए थाने स्तर को जिम्मेदार तय: डीआईजी

वहीं, इस मामले में डीआईजी (लॉ एंड ऑर्डर) नीलेश आनंद भरणे के मुताबिक महिला अपराध से जुड़े पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना अन्य राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड में चिंताजनक है. मुकदमा दर्ज करने से लेकर विवेचना तक का कार्य संबंधित थाना जांच अधिकारी का होता है. ऐसे में इस योजना पर जागरूकता को बढ़ाने के लिए सभी जिलों के थाना प्रभारियों को विशेष तौर पर सर्वे रिपोर्ट की तर्ज पर कार्रवाई करने के दिशानिर्देश दिए गए हैं, ताकि सरकार की ओर से महिला अपराध से जुड़े पक्ष को 1 लाख से 10 लाख या केस परिस्थितियों के मुताबिक उससे भी अधिक धनराशि योजना का लाभ पीड़ितों मिल सके.

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महिला अपराध में मिलने वाली मुआवजा धनराशि की सूची.

दो महीने के अंदर प्रदान की जाती धनराशि- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नेहा कुशवाहा ने बताया कि पीड़ित पक्ष प्राधिकरण में आवेदन कर सकता है. हालांकि, इसके लिए प्राधिकरण अपने स्तर पर भी पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत है. वहीं, दूसरी ओर महिला अपराध से जुड़े कोर्ट केस में अदालत से आदेश होने के बाद तत्काल ही इस पर क्या कार्रवाई की जाती है. वहीं, पुलिस स्तर से भी इस मामले में रिपोर्ट आने पर प्राधिकरण अपनी ओर से जांच पड़ताल कर दो महीने के अंदर मुआवजा धनराशि पीड़ित पक्ष के खाते में ट्रांसफर की जाती हैं. लेकिन अगर इस मामले में कोर्ट से आदेश जारी होता है तो मात्र एक सप्ताह में ही महिला पीड़ित पक्ष को सहायता राशि प्रदान कर दी जाती है.

योजना को लेकर जागरुकता की कमी- सचिव नेहा कुशवाहा

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नेहा कुशवाहा का भी मानना है कि इस योजना को लेकर जागरूकता की कमी होने के कारण पीड़ित पक्ष बेहद कम संख्या में लाभ मिल रहा हैं. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय की ओर से थाना स्तर पर अब इस मामले में जिस तरह से जागरूकता बढ़ाकर जिम्मेदारी दी गई है. उससे पीड़ितों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाभ मिलने के आसार बढ़ सकते है.

देहरादून: दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भयाकांड के बाद महिलाओं से जुड़े किसी भी अपराध में पीड़ित पक्ष को सरकार की ओर से सहायता धनराशि का प्रावधान है. लेकिन दुर्भाग्यवश इस विषय में जागरूकता की कमी के चलते महिला पीड़ित पक्ष को आर्थिक योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उत्तराखंड बात करें तो यहां हर साल औसतन 2800 से अधिक महिला अपराध के मामले सामने आते हैं, लेकिन मुआवजे की बात करें तो साल भर में करीब 35 पीड़ितों को ही इस योजना का लाभ मिल रहा है.

महिला अपराध में पीड़ित को सरकारी मुआवजा देने में उत्तराखंड सबसे पीछे.

ऐसे में पुलिस मुख्यालय ने इस योजना के जागरूकता के लिए प्रदेश के सभी थाना प्रभारियों को लिखित आदेश जारी कर महिलाओं से जुड़े अपराधों में पीड़ितों को मिलने वाली मुआवजा धनराशि योजना के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. इतना ही नहीं मुख्यालय ने इस विषय में महिला अपराध से जुड़े पक्ष के रिकॉर्ड भी मंगवाए हैं, ताकि राज्य में दुष्कर्म, हत्या, पॉक्सो या अन्य तरह के महिलाओं से जुड़े आपराधिक मामलों में पीड़ित पक्ष को सहायता धनराशि योजना का लाभ दिलाया जा सके.

वहीं, पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रदेश के सभी थानों में एक एप्लीकेशन के रूप में प्रारूप भेजा गया है, जिसमें कुल महिला अपराध और कितने पीड़ितों ने इस योजना में आवेदन किया. इसकी जानकारी इसमें भरकर देनी होगी. बता दें, देशभर में 2012 के बाद तेजी से महिला अपराध मामलों में सरकार की ओर से मुआवजा धनराशि देने की योजना आगे बढ़ी थी. लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते बेहद कम संख्या में पीड़ितों को आर्थिक योजना का लाभ मिल रहा है.

Dehradun Women Crimes
बीते 4 साल में महिला अपराध.

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देता है मुआवजा

महिला अपराध से जुड़े मामलों में सरकार की ओर से मिलने वाली मुआवजा धनराशि के लिए संबंधित थाना स्तर से मुकदमे के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को दी जाती है. उसी के आधार पर प्राधिकरण जांच के आधार पर सरकार से मिलने वाली मुआवजा राशि को पीड़ित पक्ष के लिए रिलीज करता है. इतना ही नहीं महिला अपराध से जुड़े मामलों में अदालतों से मिलने वाले आदेश और खुद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भी अपने स्तर से इस योजना का लाभ पीड़ित पक्ष को दिलाने में प्रयासरत है. लेकिन जागरूकता की कमी के कारण इस आर्थिक योजना का लाभ उत्तराखंड में बेहद कम संख्या में महिला पीड़ित पक्ष को मिल रहा है.

Dehradun Women Crimes
वितरित की गई मुआवजा राशि.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 से मार्च 2021 तक राज्यभर में 9,464 महिला अपराध के तहत मामले दर्ज हुए हैं. जबकि अगर देहरादून जिले में मुआवजे की बात करें, तो यहां साल 2015 से 2021 तक केवल 349 पीड़ितों को मुआवजा मिला है.

अधिक से अधिक संख्या में पीड़ितों मुआवजा मिले इसके लिए थाने स्तर को जिम्मेदार तय: डीआईजी

वहीं, इस मामले में डीआईजी (लॉ एंड ऑर्डर) नीलेश आनंद भरणे के मुताबिक महिला अपराध से जुड़े पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना अन्य राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड में चिंताजनक है. मुकदमा दर्ज करने से लेकर विवेचना तक का कार्य संबंधित थाना जांच अधिकारी का होता है. ऐसे में इस योजना पर जागरूकता को बढ़ाने के लिए सभी जिलों के थाना प्रभारियों को विशेष तौर पर सर्वे रिपोर्ट की तर्ज पर कार्रवाई करने के दिशानिर्देश दिए गए हैं, ताकि सरकार की ओर से महिला अपराध से जुड़े पक्ष को 1 लाख से 10 लाख या केस परिस्थितियों के मुताबिक उससे भी अधिक धनराशि योजना का लाभ पीड़ितों मिल सके.

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महिला अपराध में मिलने वाली मुआवजा धनराशि की सूची.

दो महीने के अंदर प्रदान की जाती धनराशि- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नेहा कुशवाहा ने बताया कि पीड़ित पक्ष प्राधिकरण में आवेदन कर सकता है. हालांकि, इसके लिए प्राधिकरण अपने स्तर पर भी पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत है. वहीं, दूसरी ओर महिला अपराध से जुड़े कोर्ट केस में अदालत से आदेश होने के बाद तत्काल ही इस पर क्या कार्रवाई की जाती है. वहीं, पुलिस स्तर से भी इस मामले में रिपोर्ट आने पर प्राधिकरण अपनी ओर से जांच पड़ताल कर दो महीने के अंदर मुआवजा धनराशि पीड़ित पक्ष के खाते में ट्रांसफर की जाती हैं. लेकिन अगर इस मामले में कोर्ट से आदेश जारी होता है तो मात्र एक सप्ताह में ही महिला पीड़ित पक्ष को सहायता राशि प्रदान कर दी जाती है.

योजना को लेकर जागरुकता की कमी- सचिव नेहा कुशवाहा

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नेहा कुशवाहा का भी मानना है कि इस योजना को लेकर जागरूकता की कमी होने के कारण पीड़ित पक्ष बेहद कम संख्या में लाभ मिल रहा हैं. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय की ओर से थाना स्तर पर अब इस मामले में जिस तरह से जागरूकता बढ़ाकर जिम्मेदारी दी गई है. उससे पीड़ितों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाभ मिलने के आसार बढ़ सकते है.

Last Updated : Apr 17, 2021, 10:37 PM IST
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