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वन टाइम सेटलमेंट पर सरकार का बड़ा कदम, जानिए किसे और कैसे मिलेगी राहत

उत्तराखंड में खड़े हो रहे अव्यवस्थित विकास के बीच वन टाइम सेटलमेंट की मांग उठाई जा रही थी, जिस पर सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत दी है.

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वन टाइम सेटलमेंट
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Published : Feb 23, 2021, 11:21 AM IST

Updated : Feb 23, 2021, 4:10 PM IST

देहरादून: पिछले कई दशकों से उत्तराखंड में खड़े हो रहे अव्यवस्थित विकास के बीच वन टाइम सेटलमेंट की मांग उठाई जा रही थी, जिस पर सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत दी है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे वन टाइम सेटलमेंट से आम लोगों को लाभ मिलेगा.

वन टाइम सेटलमेंट योजना

उत्तराखंड में कमर्शियल बिल्डिंग, लैंड यूज ऑफिस, अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, नर्सरी स्कूल जैसे अलग-अलग देशों के लिए खड़े किए जाने वाले संरचनात्मक निर्माणों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे पुराने नियमों के तहत इस तरह के कई निर्माणों को एक साथ निपटाने के लिए सरकार द्वारा वन टाइम सेटेलमेंट योजना लाई गई, जिसमें प्रदेश में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई हिल स्टेशन मसूरी, नैनीताल, कौसानी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, औली और धनौल्टी जैसे शहरों में लगातार प्राधिकरण के नियम कानून से प्रताड़ित हो रहे लोगों के लिए एक बार में समाधान करने के लिए वन टाइम सेटेलमेंट योजना त्रिवेंद्र सरकार द्वारा लाई गई है.

वन टाइम सेटलमेंट पर सरकार का बड़ा कदम.

इनके लिये नहीं है योजना:-

  1. इस योजना के अंतर्गत किसी भी तरह के अतिक्रमण को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा. केंद्र राज्य विकास प्राधिकरण आवास एवं विकास परिषद स्थानीय निकाय और अन्य किसी भी प्रकार के सरकारी भूमि पर किए गए कब्जे के लिए यह योजना मान्य नहीं होगी.
  2. न्यायालय में विवादित भूमियों पर किए गए कब्जे को लेकर भी यह योजना प्रभावी नहीं होगी.
  3. राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज तालाब, नदी और नालों की भूमि के ऊपर किया गया अवैध निर्माण भी इस योजना के अंतर्गत नहीं आएगा.
  4. हेरिटेज जोन संरक्षित स्मारकों, नागरिक उड्डयन क्षेत्र या फिर प्रतिबंधित ऊंचाई के क्षेत्र में भवन की ऊंचाई के उल्लंघन स्वरूप किया गया निर्माण इस योजना से प्रभावित नहीं होगा.
  5. किसी भी अन्य की निजी भूमि पर किया गया कब्जा या फिर सरकारी भूमि पर किए गए कब्जे पर यह योजना लागू नहीं होंगे.

इन लोगों को होगा अलग-अलग क्षेत्रों में फायदा:-

  • जिन लोगों द्वारा अपने आवास या फिर व्यवसायिक भवन में अतिरिक्त निर्माण को लेकर प्राधिकरण से अनुमति नहीं ली गई है, या फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है, वह इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं. अलग-अलग मानकों के आधार पर प्रावधान रखे गए हैं.
  • इस योजना के तहत मूल निर्माण के बैकग्राउंड सेट बैक, पार्शियली सेट बैक, फ्रंट सेट बैक ग्राउंड कवरेज और पार्किंग इत्यादि में किए गए बदलाव के मामलों को सुना जाएगा और आवेदनकर्ता द्वारा दिए गये दस्तावेजों के आधार पर वन टाइम सेटलमेंट योजना के तहत तय मानक और शुल्क जमा करके उसके विवाद को समाप्त किया जाएगा.

पढ़ें: रामनगर में आमने-सामने आईं बीजेपी-कांग्रेस, दोनों ने निकाली रैली

वन टाइम सेटलमेंट योजना को लेकर पिछले लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे मसूरी विधायक गणेश जोशी का कहना है कि मसूरी, नैनीताल जैसे हिल स्टेशन जोकि अंग्रेजों द्वारा उस समय की जरूरत के हिसाब से बनाए गए थे, वहां पर आज आबादी कई गुना बढ़ चुकी है. आबादी के चलते लोगों के आवासीय और व्यवसायिक जरूरतों को देखते हुए आज पुराने नियम व्यावहारिक नहीं है. इसे देखते हुए सरकार द्वारा वन टाइम सेटेलमेंट योजना लाई गई है. उन्होंने कहा इससे व्यापारियों को बेहद राहत मिलेगी.

देहरादून: पिछले कई दशकों से उत्तराखंड में खड़े हो रहे अव्यवस्थित विकास के बीच वन टाइम सेटलमेंट की मांग उठाई जा रही थी, जिस पर सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत दी है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे वन टाइम सेटलमेंट से आम लोगों को लाभ मिलेगा.

वन टाइम सेटलमेंट योजना

उत्तराखंड में कमर्शियल बिल्डिंग, लैंड यूज ऑफिस, अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, नर्सरी स्कूल जैसे अलग-अलग देशों के लिए खड़े किए जाने वाले संरचनात्मक निर्माणों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे पुराने नियमों के तहत इस तरह के कई निर्माणों को एक साथ निपटाने के लिए सरकार द्वारा वन टाइम सेटेलमेंट योजना लाई गई, जिसमें प्रदेश में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई हिल स्टेशन मसूरी, नैनीताल, कौसानी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, औली और धनौल्टी जैसे शहरों में लगातार प्राधिकरण के नियम कानून से प्रताड़ित हो रहे लोगों के लिए एक बार में समाधान करने के लिए वन टाइम सेटेलमेंट योजना त्रिवेंद्र सरकार द्वारा लाई गई है.

वन टाइम सेटलमेंट पर सरकार का बड़ा कदम.

इनके लिये नहीं है योजना:-

  1. इस योजना के अंतर्गत किसी भी तरह के अतिक्रमण को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा. केंद्र राज्य विकास प्राधिकरण आवास एवं विकास परिषद स्थानीय निकाय और अन्य किसी भी प्रकार के सरकारी भूमि पर किए गए कब्जे के लिए यह योजना मान्य नहीं होगी.
  2. न्यायालय में विवादित भूमियों पर किए गए कब्जे को लेकर भी यह योजना प्रभावी नहीं होगी.
  3. राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज तालाब, नदी और नालों की भूमि के ऊपर किया गया अवैध निर्माण भी इस योजना के अंतर्गत नहीं आएगा.
  4. हेरिटेज जोन संरक्षित स्मारकों, नागरिक उड्डयन क्षेत्र या फिर प्रतिबंधित ऊंचाई के क्षेत्र में भवन की ऊंचाई के उल्लंघन स्वरूप किया गया निर्माण इस योजना से प्रभावित नहीं होगा.
  5. किसी भी अन्य की निजी भूमि पर किया गया कब्जा या फिर सरकारी भूमि पर किए गए कब्जे पर यह योजना लागू नहीं होंगे.

इन लोगों को होगा अलग-अलग क्षेत्रों में फायदा:-

  • जिन लोगों द्वारा अपने आवास या फिर व्यवसायिक भवन में अतिरिक्त निर्माण को लेकर प्राधिकरण से अनुमति नहीं ली गई है, या फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है, वह इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं. अलग-अलग मानकों के आधार पर प्रावधान रखे गए हैं.
  • इस योजना के तहत मूल निर्माण के बैकग्राउंड सेट बैक, पार्शियली सेट बैक, फ्रंट सेट बैक ग्राउंड कवरेज और पार्किंग इत्यादि में किए गए बदलाव के मामलों को सुना जाएगा और आवेदनकर्ता द्वारा दिए गये दस्तावेजों के आधार पर वन टाइम सेटलमेंट योजना के तहत तय मानक और शुल्क जमा करके उसके विवाद को समाप्त किया जाएगा.

पढ़ें: रामनगर में आमने-सामने आईं बीजेपी-कांग्रेस, दोनों ने निकाली रैली

वन टाइम सेटलमेंट योजना को लेकर पिछले लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे मसूरी विधायक गणेश जोशी का कहना है कि मसूरी, नैनीताल जैसे हिल स्टेशन जोकि अंग्रेजों द्वारा उस समय की जरूरत के हिसाब से बनाए गए थे, वहां पर आज आबादी कई गुना बढ़ चुकी है. आबादी के चलते लोगों के आवासीय और व्यवसायिक जरूरतों को देखते हुए आज पुराने नियम व्यावहारिक नहीं है. इसे देखते हुए सरकार द्वारा वन टाइम सेटेलमेंट योजना लाई गई है. उन्होंने कहा इससे व्यापारियों को बेहद राहत मिलेगी.

Last Updated : Feb 23, 2021, 4:10 PM IST
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