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अष्टमी नवमी को लेकर असमंजस की स्थिति पर जानिए क्या कहते हैं पंडित ?

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Published : Oct 22, 2020, 9:33 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 10:45 PM IST

पंडित मनोज त्रिपाठी ने कहा कि अष्टमी और नवमी को लेकर संशय में रहने की आवश्यकता नहीं है. इस बार अष्टमी प्रारंभ 23 तारीख की शाम 6 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ हो रही है और 24 तारीख सुबह 6:58 तक अष्टमी है, जिसके बाद नवमी प्रारंभ हो जाएगी.

हरिद्वार
अष्टमी नवमी को लेकर क्या कहते हैं पंडित

हरिद्वार: इस बार शारदीय नवरात्रों में होने वाली अष्टमी और नवमी को लेकर लोगों में असमंजस है. इसी को देखते हुए ईटीवी भारत ने पंडित मनोज शास्त्री से बात की. उन्होंने बताया कि कई लोगों को इस बार अष्टमी और नवमी समझने में दुविधा आ रही है, जिसके लिए वह परेशान हो रहे हैं. इसमें ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है.

अष्टमी नवमी को लेकर क्या कहते हैं पंडित

पंडित मनोज त्रिपाठी ने कहा कि अष्टमी और नवमी को लेकर संशय में रहने की आवश्यकता नहीं है. इस बार अष्टमी प्रारंभ 23 तारीख की शाम 6 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ हो रही है और 24 तारीख सुबह 6:58 तक अष्टमी है, जिसके बाद नवमी प्रारंभ हो जाएगी. धर्म सिंधु पुस्तक के अनुसार जब अष्टमी और सतमी एक साथ पड़ती है तो उसे मनाना उचित नहीं है.

ये भी पढ़ें: बेरोजगारी को लेकर 'पूछता है उत्तराखंड', यूथ कांग्रेस ने शुरू की मुहिम

धर्म सिंधु पुस्तक के अनुसार 24 अक्टूबर को ही अष्टमी मनाना उचित रहेगा. अष्टमी 24 तारीख को सुबह 6:58 तक है, इसलिए समय रहते 24 तारीख को ही अष्टमी की पूजा करें तो बेहतर होगा. किसी की बातों में ना आएं ना ही किसी तरह के भ्रम में नहीं रहे. इस स्थिति में धर्म के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए.

हरिद्वार: इस बार शारदीय नवरात्रों में होने वाली अष्टमी और नवमी को लेकर लोगों में असमंजस है. इसी को देखते हुए ईटीवी भारत ने पंडित मनोज शास्त्री से बात की. उन्होंने बताया कि कई लोगों को इस बार अष्टमी और नवमी समझने में दुविधा आ रही है, जिसके लिए वह परेशान हो रहे हैं. इसमें ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है.

अष्टमी नवमी को लेकर क्या कहते हैं पंडित

पंडित मनोज त्रिपाठी ने कहा कि अष्टमी और नवमी को लेकर संशय में रहने की आवश्यकता नहीं है. इस बार अष्टमी प्रारंभ 23 तारीख की शाम 6 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ हो रही है और 24 तारीख सुबह 6:58 तक अष्टमी है, जिसके बाद नवमी प्रारंभ हो जाएगी. धर्म सिंधु पुस्तक के अनुसार जब अष्टमी और सतमी एक साथ पड़ती है तो उसे मनाना उचित नहीं है.

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धर्म सिंधु पुस्तक के अनुसार 24 अक्टूबर को ही अष्टमी मनाना उचित रहेगा. अष्टमी 24 तारीख को सुबह 6:58 तक है, इसलिए समय रहते 24 तारीख को ही अष्टमी की पूजा करें तो बेहतर होगा. किसी की बातों में ना आएं ना ही किसी तरह के भ्रम में नहीं रहे. इस स्थिति में धर्म के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए.

Last Updated : Oct 22, 2020, 10:45 PM IST
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