देहरादूनः राज्य गठन के बाद उत्तराखंड द्वारा अनेक बार गणतंत्र दिवस में प्रतिभाग किया गया. लेकिन यह पहला अवसर है जब उत्तराखंड की झांकी को कोई स्थान (तीसरा) मिला. मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इसे राज्य के लिए गौरव की बात बताते हुए झांकी को संस्कृति विभाग के म्यूजियम में संरक्षित किए जाने के निर्देश दिए थे. सचिव पर्यटन, संस्कृति व सूचना दिलीप जावलकर ने गढ़ी कैंट में बन रहे संस्कृति विभाग के म्यूजियम/ऑडिटोरियम का निरीक्षण कर झांकी को रखे जाने के लिए स्थान निर्धारित किया. उन्होंने अधिकारियों को इस झांकी के उचित रखरखाव के निर्देश दिए.
गौरतलब है कि राजपथ नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में सूचना विभाग द्वारा उत्तराखंड राज्य की ओर से "केदारखंड" की झांकी को प्रदर्शित किया गया था. इसे लोगों द्वारा काफी सराहा गया था. झांकी के अग्रभाग में उत्तराखंड का राज्य पशु 'कस्तूरी मृग' दर्शाया गया है, जो कि उत्तराखंड के वनाच्छादित हिम शिखरों में 3,600 से 4,400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है. इसी प्रकार से उत्तराखंड का राज्य पक्षी 'मोनाल' एवं राज्य पुष्प 'ब्रह्मकमल' दिखाया गया है, जो केदारखंड के साथ-साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है. वहीं झांकी के मध्य भाग में भगवान शिव के वाहन नंदी को दर्शाया गया है. साथ में केदारनाथ धाम में यात्रियों को यात्रा करते हुए तथा श्रद्धालुओं को भक्ति में लीन दर्शाया गया है. वहीं झांकी के पृष्ठ भाग में बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक बाबा केदार का भव्य मंदिर दर्शाया गया है, जिसका जीर्णोद्धार आदिगुरु शंकराचार्य ने कराया था. इसके साथ ही मंदिर परिसर में श्रद्वालुओं को दर्शाया गया है. मंदिर के ठीक पीछे विशालकाय दिव्य शिला को दर्शाया गया है.
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दिल्ली से झांकी को एक स्पेशल ट्रोला में तीन दिन में देहरादून लाया गया. गौरतलब है कि गढ़ी कैंट देहरादून में संस्कृति विभाग का म्यूजियम निर्माणाधीन है. इसके बनने के बाद 'केदारखंड' की झांकी आम लोगों के लिए उपलब्ध रहेगी.