देहरादून: गढ़वाल रेंज आईजी और एसआईटी प्रमुख अभिनव कुमार ने कहा कि सिडकुल घोटाले की जांच मार्च 2021 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए बाकायदा संबंधित जिलों के जांच अधिकारियों को घोटाले से जुड़ी 2 फाइलों को प्रति माह निस्तारित करने का निर्देश दिया गया है. राज्य में 2012 से 2017 के बीच सिडकुल निर्माण और नियुक्तियों से जुड़ी घोटाले की लगभग 336 फाइलें काफी लंबे समय से पेंडिंग हैं. घोटाले की जांच में तेजी लाने के लिए आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने संबंधित एसआईटी टीम को निर्देश दिए हैं.
वर्ष 2012 से 2017 तक उत्तराखंड के सिडकुल के टेंडर निर्माण और नियुक्तियों में करोड़ों का घोटाला सामने आने के बाद त्रिवेंद्र सरकार ने 29 जनवरी 2019 में पूरे मामले की जांच एसआईटी को सौंपा था. कुछ समय पहले एसआईटी से जुड़े मुख्य जांच अधिकारियों के रिटायरमेंट होने के बाद जांच लंबित हो गया था. ऐसे नवनियुक्त आईजी अभिनव कुमार ने अधिकारियों संग बैठक कर तेजी से जांच पूरा करने का निर्देश दिया है.
आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार के मुताबिक घोटालों में 3 बिंदुओं पर तेजी से जांच आगे बढ़ रही है. सबसे पहले इस बात की जांच की जा रही है कि सिडकुल निर्माण में किस-किस अधिकारी के पास इस कार्य का जिम्मा था. दूसरी जांच में शासन द्वारा जारी नियमों के तहत कार्यदायी संस्था को कार्य दिया गया या नहीं. तीसरी जांच में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार का जांच की जाएगी.
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अभिनव कुमार के मुताबिक, जांच में एसआईटी टीम को तकनीकी रूप से कई तरह की समस्या आ रही है. जिसे देखते संबंधित जिलों जिलाधिकारी के आदेश पर एक न्याय विभाग का अधिकारी और एक फाइनेंशियल ऑडिट विभाग का अधिकारी और एक इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी को भी जटिल जांच को पूरा करने में शामिल किया जाएगा.
आईजी अभिनव कुमार ने साफ तौर पर कहा कि सिडकुल घोटाला बेहद ही पेचीदा और गंभीर अपराध है. ऐसे इसकी जांच में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं होगी. इस घोटाले से जुड़े जो भी अधिकारी और कर्मचारी रिटायर हो गए हैं. उनके खिलाफ भी कानूनी शिकंजा कसा जाएगा. इतना ही नहीं अगर घोटाले से जुड़े दस्तावेज और पत्राचार विभागों द्वारा गायब की जाने की बात सामने आई तो संबंधित विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
क्या है सिडकुल घोटाला
2012 से वर्ष 2017 के बीच सिडकुल द्वारा उत्तराखंड के अलग-अलग जनपदों में निर्माण कार्य कराए गए थे. जिसमें मानकों के विपरीत उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ठेके दिए गए थे. इसी निर्माण कार्यों के दौरान ऑडिट कराए जाने पर घोर अनियमितताएं सामने आई थी. सरकारी धन के दुरुपयोग करने से लेकर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया था. इतना ही नहीं सिडकुल में वेतन निर्धारण और अलग-अलग पदों में भर्ती संबंधी मामले भी कई तरह के अनियमितताएं और घोटाले के रूप में पाया गया.