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पहाड़ नहीं चढ़ पा रही हाउसिंग रेंटल स्कीम, योजना को लेकर लोगों में नहीं दिख रहा उत्साह

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Published : Nov 28, 2020, 4:16 PM IST

उत्तराखंड में हाउसिंग रेंटल स्कीम कामयाब नहीं हो पा रही है. जबकि, इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है. मगर, फिर भी स योजना को लेकर कुछ खास उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है.

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पहाड़ नहीं चढ़ पा रही हाउसिंग रेंटल स्कीम

देहरादून: लॉकडाउन के बाद छोटे शहरों से बड़े शहरों में किसी भी वजह से प्रवास करने वाले लोगों के लिए कम दरों में किराए पर आवास उपलब्ध कराने के लिए केंद्र द्वारा अफोर्डेबल रेंटल स्कीम के तहत उत्तराखंड में भी कवायद शुरू की है. मगर, प्रदेश में इस योजना को लेकर कुछ खास उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है. प्रदेश में इसकी जिम्मेदारी शहरी विकास विभाग को दी गई है.

उत्तराखंड शहरी विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अफोर्डेबल रेंटल स्किम के तहत योजना के दो मुख्य कम्पोनेंट हैं. पहले कम्पोनेंट में शहरी क्षेत्र में मौजूद किसी भी सरकारी आवासीय कालोनी को PPE मोड पर उसके नवीनीकरण के बाद रहने योग्य बना कर लोगों को रेंट पर उपलब्ध करवाना है. इस प्रॉजेक्ट के तहत कार्यदाई एजेंसी को केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाएगी. साथ ही आवास में रेंट को लेकर स्थानीय नगर निगम और कार्यदाई संस्था द्वारा रेंट तय किया जाएगा.

पहाड़ नहीं चढ़ पा रही हाउसिंग रेंटल स्कीम.

पढ़ें- उत्तराखंड पहुंचे बीजेपी प्रभारी दुष्यंत गौतम, जौलीग्रांट पर हुआ जोरदार स्वागत

शहरी विकास विभाग के संयुक्त निदेशक रवि पांडे ने बताया कि इस संबंध में सभी नगर निगम को नोटिस भेजा गया है. मगर किसी भी निकाय द्वारा अभी तक इसमें कोई सकारात्मक रिस्पांस देखने को नहीं मिला है. उनका कहना है कि देहरादून जैसे बड़े शहर में भी ऐसा कोई आवासीय भवन उपलब्ध नहीं है.

पढ़ें- किसान आंदोलनः बदरपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात, हर किसी की हो रही चेकिंग

वहीं, इसके अलावा योजना के दूसरे कॉम्पोनेंट की जिम्मेदारी आवास विभाग को दी गई है. जिसमें सरकारी जमीन को चिन्हित कर किसी भी संस्थान द्वारा वहां पर रेंटेड अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट लगाया जाएगा. जिस पर केंद्र द्वारा उसको सब्सिडी दी जाएगी. वहीं, समय की लीज पर सरकार द्वारा बिल्डर को या फिर कार्यदाई संस्था को जमीन उपलब्ध कराई जाएगी. इसको लेकर भी अभी कोई खास प्रगति देखने को नहीं मिली है.

क्या है रेंटल हाउसिंग स्कीम

दरअसल, केंद्र सरकार (Central Government) के रेंटल हाउसिंग स्कीम (Rental Housing Scheme ) के तहत सरकार किरायेदारों को कम कीमत में उनके कार्यक्षेत्र के आस-पास घर मुहैया करा रहा है. इसके लिए प्राइवेट कंपनियों को घर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है.

देहरादून: लॉकडाउन के बाद छोटे शहरों से बड़े शहरों में किसी भी वजह से प्रवास करने वाले लोगों के लिए कम दरों में किराए पर आवास उपलब्ध कराने के लिए केंद्र द्वारा अफोर्डेबल रेंटल स्कीम के तहत उत्तराखंड में भी कवायद शुरू की है. मगर, प्रदेश में इस योजना को लेकर कुछ खास उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है. प्रदेश में इसकी जिम्मेदारी शहरी विकास विभाग को दी गई है.

उत्तराखंड शहरी विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अफोर्डेबल रेंटल स्किम के तहत योजना के दो मुख्य कम्पोनेंट हैं. पहले कम्पोनेंट में शहरी क्षेत्र में मौजूद किसी भी सरकारी आवासीय कालोनी को PPE मोड पर उसके नवीनीकरण के बाद रहने योग्य बना कर लोगों को रेंट पर उपलब्ध करवाना है. इस प्रॉजेक्ट के तहत कार्यदाई एजेंसी को केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाएगी. साथ ही आवास में रेंट को लेकर स्थानीय नगर निगम और कार्यदाई संस्था द्वारा रेंट तय किया जाएगा.

पहाड़ नहीं चढ़ पा रही हाउसिंग रेंटल स्कीम.

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शहरी विकास विभाग के संयुक्त निदेशक रवि पांडे ने बताया कि इस संबंध में सभी नगर निगम को नोटिस भेजा गया है. मगर किसी भी निकाय द्वारा अभी तक इसमें कोई सकारात्मक रिस्पांस देखने को नहीं मिला है. उनका कहना है कि देहरादून जैसे बड़े शहर में भी ऐसा कोई आवासीय भवन उपलब्ध नहीं है.

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वहीं, इसके अलावा योजना के दूसरे कॉम्पोनेंट की जिम्मेदारी आवास विभाग को दी गई है. जिसमें सरकारी जमीन को चिन्हित कर किसी भी संस्थान द्वारा वहां पर रेंटेड अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट लगाया जाएगा. जिस पर केंद्र द्वारा उसको सब्सिडी दी जाएगी. वहीं, समय की लीज पर सरकार द्वारा बिल्डर को या फिर कार्यदाई संस्था को जमीन उपलब्ध कराई जाएगी. इसको लेकर भी अभी कोई खास प्रगति देखने को नहीं मिली है.

क्या है रेंटल हाउसिंग स्कीम

दरअसल, केंद्र सरकार (Central Government) के रेंटल हाउसिंग स्कीम (Rental Housing Scheme ) के तहत सरकार किरायेदारों को कम कीमत में उनके कार्यक्षेत्र के आस-पास घर मुहैया करा रहा है. इसके लिए प्राइवेट कंपनियों को घर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है.

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