मसूरी: देवभूमि उत्तराखंड अपने आप में अतीत के इतिहास को समेटे हुआ हैं. जिसमें कुछ देवभूमि की खूबसूरत यादें भी हैं. जिन्हें वर्तमान में मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने संजो कर रखा हुआ है. अंग्रेजों द्वारा ढाई सौ साल पुरानी हाथ से बनी पेंटिंग में उत्तराखंड के कई धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास में उकेरा गया है, जिन्हें देखकर हर कोई दंग रह जाता है.
गौर हो कि मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि उनके पास ढाई सौ साल पुरानी हाथ से बनी पेंटिंग मौजूद हैं. जिसको अंग्रेजों द्वारा उत्तराखंड के कई धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास में उकेरा था.
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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को उत्तराखंड के महत्वपूर्ण स्थलों और 2021 में आयोजित होने वाले कुंभ मेले में इन पेंटिंगों को प्रदर्शनी में लगाना चाहिए. जिससे देश-विदेश से उत्तराखंड आने वाले लोगों को देवभूमि के ढाई सौ साल पुराने स्वरूप को देखने को मिलेगा.
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उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास ढाई सौ साल से भी ज्यादा पुराना इतिहास और महत्वपूर्ण दस्तावेज मौजूद हैं. जिसको प्रदेश सरकार द्वारा मसूरी में एक संग्रहालय बनाकर संरक्षित करना चाहिए.
गोपाल भारद्वाज ने बताया कि फोटोग्राफी का आविष्कार 1840 में फ्रांस में हुआ था. उसके 10 से 15 साल के दौरान अंग्रेजों द्वारा मसूरी में कैमरा लाया गया था. अंग्रेजों द्वारा 1855 से मसूरी और उत्तराखंड के कई धार्मिक और खूबसूरत स्थलों को पेंटिंग और फोटोग्राफी के माध्यम से प्रदर्शित करने का काम किया गया था, जो आज भी मौजूद है.
उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी के आविष्कार से पहले अंग्रेजों द्वारा मसूरी और उत्तराखंड के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री यमुनोत्री, हरिद्वार, मानसरोवर अन्य धार्मिक स्थलों की पेंटिंग को कैनवास में उकेरा गया था.
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उन्होंने बताया उत्तराखंड और मसूरी की कई महत्वपूर्ण पेंटिंग इंग्लैंड ब्रिटिश लाइब्रेरी में भी संग्रहित किया गया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास ढाई सौ साल से भी पुरानी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं. जिनको मसूरी में संग्रहालय बनाकर संरक्षित करने की मांग की. जिससे आने वाली पीढ़ी भी रूबरू हो सकें.