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मसूरी: ढाई सौ साल पुरानी तस्वीरों को संजोए हुए हैं गोपाल भारद्वाज, सरकार से की संग्रालय बनाने की मांग

मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि उनके पास ढाई सौ साल पुरानी हाथ से बनी पेंटिंग मौजूद हैं. जिसको अंग्रेजों द्वारा उत्तराखंड के कई धार्मिक और खूबसूरत स्थलों के साथ प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास में उकेरा था.

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ऐतिहासिक पेंटिंग और फोटोग्राफी बनेगी देवभूमि की गवाह
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Published : Feb 10, 2020, 12:09 PM IST

मसूरी: देवभूमि उत्तराखंड अपने आप में अतीत के इतिहास को समेटे हुआ हैं. जिसमें कुछ देवभूमि की खूबसूरत यादें भी हैं. जिन्हें वर्तमान में मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने संजो कर रखा हुआ है. अंग्रेजों द्वारा ढाई सौ साल पुरानी हाथ से बनी पेंटिंग में उत्तराखंड के कई धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास में उकेरा गया है, जिन्हें देखकर हर कोई दंग रह जाता है.

ढाई सौ साल पुरानी तस्वीरों को संजोए हुए हैं गोपाल भारद्वाज.

गौर हो कि मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि उनके पास ढाई सौ साल पुरानी हाथ से बनी पेंटिंग मौजूद हैं. जिसको अंग्रेजों द्वारा उत्तराखंड के कई धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास में उकेरा था.

ये भी पढ़ें:मसूरी: महिलाओं ने एक दिवसीय कार्यशाला में सीखे स्वरोजगार के गुर

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को उत्तराखंड के महत्वपूर्ण स्थलों और 2021 में आयोजित होने वाले कुंभ मेले में इन पेंटिंगों को प्रदर्शनी में लगाना चाहिए. जिससे देश-विदेश से उत्तराखंड आने वाले लोगों को देवभूमि के ढाई सौ साल पुराने स्वरूप को देखने को मिलेगा.

ये भी पढ़ें:मसूरी: LBS एकेडमी में दो कश्मीरी मजदूरों को लगा करंट, हालत गंभीर

उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास ढाई सौ साल से भी ज्यादा पुराना इतिहास और महत्वपूर्ण दस्तावेज मौजूद हैं. जिसको प्रदेश सरकार द्वारा मसूरी में एक संग्रहालय बनाकर संरक्षित करना चाहिए.

गोपाल भारद्वाज ने बताया कि फोटोग्राफी का आविष्कार 1840 में फ्रांस में हुआ था. उसके 10 से 15 साल के दौरान अंग्रेजों द्वारा मसूरी में कैमरा लाया गया था. अंग्रेजों द्वारा 1855 से मसूरी और उत्तराखंड के कई धार्मिक और खूबसूरत स्थलों को पेंटिंग और फोटोग्राफी के माध्यम से प्रदर्शित करने का काम किया गया था, जो आज भी मौजूद है.

उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी के आविष्कार से पहले अंग्रेजों द्वारा मसूरी और उत्तराखंड के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री यमुनोत्री, हरिद्वार, मानसरोवर अन्य धार्मिक स्थलों की पेंटिंग को कैनवास में उकेरा गया था.

ये भी पढ़ें:पेड़ों को पहुंचाया नुकसान तो मसूरी वन विभाग करेगा कड़ी कार्रवाई

उन्होंने बताया उत्तराखंड और मसूरी की कई महत्वपूर्ण पेंटिंग इंग्लैंड ब्रिटिश लाइब्रेरी में भी संग्रहित किया गया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास ढाई सौ साल से भी पुरानी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं. जिनको मसूरी में संग्रहालय बनाकर संरक्षित करने की मांग की. जिससे आने वाली पीढ़ी भी रूबरू हो सकें.

मसूरी: देवभूमि उत्तराखंड अपने आप में अतीत के इतिहास को समेटे हुआ हैं. जिसमें कुछ देवभूमि की खूबसूरत यादें भी हैं. जिन्हें वर्तमान में मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने संजो कर रखा हुआ है. अंग्रेजों द्वारा ढाई सौ साल पुरानी हाथ से बनी पेंटिंग में उत्तराखंड के कई धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास में उकेरा गया है, जिन्हें देखकर हर कोई दंग रह जाता है.

ढाई सौ साल पुरानी तस्वीरों को संजोए हुए हैं गोपाल भारद्वाज.

गौर हो कि मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि उनके पास ढाई सौ साल पुरानी हाथ से बनी पेंटिंग मौजूद हैं. जिसको अंग्रेजों द्वारा उत्तराखंड के कई धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास में उकेरा था.

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को उत्तराखंड के महत्वपूर्ण स्थलों और 2021 में आयोजित होने वाले कुंभ मेले में इन पेंटिंगों को प्रदर्शनी में लगाना चाहिए. जिससे देश-विदेश से उत्तराखंड आने वाले लोगों को देवभूमि के ढाई सौ साल पुराने स्वरूप को देखने को मिलेगा.

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उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास ढाई सौ साल से भी ज्यादा पुराना इतिहास और महत्वपूर्ण दस्तावेज मौजूद हैं. जिसको प्रदेश सरकार द्वारा मसूरी में एक संग्रहालय बनाकर संरक्षित करना चाहिए.

गोपाल भारद्वाज ने बताया कि फोटोग्राफी का आविष्कार 1840 में फ्रांस में हुआ था. उसके 10 से 15 साल के दौरान अंग्रेजों द्वारा मसूरी में कैमरा लाया गया था. अंग्रेजों द्वारा 1855 से मसूरी और उत्तराखंड के कई धार्मिक और खूबसूरत स्थलों को पेंटिंग और फोटोग्राफी के माध्यम से प्रदर्शित करने का काम किया गया था, जो आज भी मौजूद है.

उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी के आविष्कार से पहले अंग्रेजों द्वारा मसूरी और उत्तराखंड के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री यमुनोत्री, हरिद्वार, मानसरोवर अन्य धार्मिक स्थलों की पेंटिंग को कैनवास में उकेरा गया था.

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उन्होंने बताया उत्तराखंड और मसूरी की कई महत्वपूर्ण पेंटिंग इंग्लैंड ब्रिटिश लाइब्रेरी में भी संग्रहित किया गया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास ढाई सौ साल से भी पुरानी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं. जिनको मसूरी में संग्रहालय बनाकर संरक्षित करने की मांग की. जिससे आने वाली पीढ़ी भी रूबरू हो सकें.

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मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि उनके पास ढाई सौ साल पुरानी हाथ से बनी पेंटिंग मौजूद है जिसको अंग्रेजों द्वारा उत्तराखंड के कई धार्मिक और खूबसूरत स्थलों के साथ प्राकृतिक सौंदर्य को अपने कैनवास में उकेरा गया है जो अपने आप में बहुत खूबसूरत है उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड के महत्वपूर्ण स्थलों पर इन पेंटिंग्स को 2022 में आयोजित होने वाले कुंभ मेले के दौरान उनके महत्वपूर्ण स्थलों पर प्रदर्शित करना चाहिए जिससे देश विदेश से उत्तराखंड आने वाले लोगों को उत्तराखंड के ढाई सौ साल पुराना स्वरूप देखने को मिल सके उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास ढाई सौ साल से भी ज्यादा पुराना इतिहास और महत्वपूर्ण दस्तावेज मौजूद है जिसको प्रदेश सरकार द्वारा मसूरी में एक संग्रहालय बराकर संरक्षित करने का काम करना चाहिये


Body:गोपाल भारद्वाज ने बताया कि फोटोग्राफी का आविष्कार 1840 में फ्रांस में हुआ था वह उसके 10 से 15 साल के दौरान अंग्रेजों द्वारा मसूरी में कैमरा लाया गया था अंग्रेजों द्वारा 1855 से मसूरी और उत्तराखंड के कई धार्मिक और खूबसूरत स्थलों को पेंटिंग्स और फोटोग्राफी के माध्यम से प्रदर्शित करने का काम किया गया था जो आज भी मौजूद है उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी के आविष्कार से पहले अंग्रेजों द्वारा मसूरी और उत्तराखंड के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बद्रीनाथ केदारनाथ गंगोत्री यमुनोत्री हरिद्वार मानसरोवर अन्य प्राकृतिक सौंदर्य पेंटिंग के माध्यम सेकैनवास में उकेरा गया था जो आज भी मौजूद है उन्होंने बताया उत्तराखंड और मसूरी की कई महत्वपूर्ण पेंटिंग इंग्लैंड ब्रिटिश लाइब्रेरी में आज भी संग्रहित किया गया है उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास ढाई सौ साल से भी पुराना इतिहास समान और महत्वपूर्ण दस्तावेज मौजूद हैं जिनको मसूरी में संग्रहालय बनाकर संरक्षित करने का काम किया जाए जिससे आने वाली पीढ़ी को इन इतिहास के बारे में पता लग सके


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