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महिला क्षैतिज आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले पर रोक लगाई, CM धामी ने खुशी जताई - उत्तराखंड महिला आरक्षण

सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड की महिलाओं के लिए राहत भरी खबर आई है. देश की सर्वोच्च अदालत ने महिला क्षैतिज आरक्षण पर नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. उत्तराखंड के सीएम धामी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है. सीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट समाचार
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Published : Nov 4, 2022, 9:23 AM IST

Updated : Nov 4, 2022, 1:14 PM IST

देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर राज्य की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी. अदालत की रोक के बाद उत्तराखंड सरकार पर क्षैतिज आरक्षण को बनाए रखने का दबाव था. उत्तराखंड सरकार फिर इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई. उत्तराखंड सरकार की नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) पर आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. यानी अब उत्तराखंड की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण मिलेगा.

जब नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर राज्य की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगाई थी तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वस्त किया था कि सरकार महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण को कायम रखने के लिए कानून बनाएगी और सर्वोच्च न्यायालय में जाएगी. प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में इन दोनों विकल्पों पर सहमति बनीं और अध्यादेश लाने का फैसला हुआ था.

सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने के बाद अब इस पर आज कोर्ट नंबर चार में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में राज्य की एडवोकेट ऑन रिकार्ड वंशजा शुक्ला ने इसकी पुष्टि की थी.
ये भी पढ़ें: कैबिनेट फैसले: राजस्व पुलिस पर बड़ा निर्णय, महिला आरक्षण पर अध्यादेश, न्यायिक सेवा संशोधन नियमावली को भी मंजूरी

महिला क्षैतिज आरक्षण के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने अध्यादेश लाने को सहमति दी थी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. कार्मिक व सतर्कता विभाग ने प्रस्ताव विधायी को भेज दिया है. विशेषज्ञों का भी मानना था कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी से पहले अध्यादेश लाने से पैरवी को मजबूती मिल सकती है.

क्या है 30 फीसदी महिला क्षैतिज आरक्षण का मामला?

उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई, 2001 से आरक्षण मिलना शुरू हुआ
तब 20 फीसदी आरक्षण से इसकी शुरूआत हुई थी
24 जुलाई, 2006 में इसमें बढ़ोत्तरी करते हुए 30 फीसदी कर दिया गया था
UKPSC EXAM में उत्तराखंड की महिलाओं को जनरल कोटे (अनारक्षित श्रेणी) से 30% आरक्षण मिलता था

2021 में आया टर्निंग प्वाइंट

2021 में लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा परीक्षा हुई
इसी वर्ष यानी 2021 में रिजल्ट घोषित हुआ
हरियाणा की एक महिला अभ्यर्थी पवित्रा चौहान इसके खिलाफ हाईकोर्ट चली गई थी
पवित्रा का तर्क था कि उसके नंबर उत्तराखंड की स्थानीय अभ्यर्थी से ज्यादा थे लेकिन उसे बाहर किया गया
पवित्रा ने कहा- ये आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 के विपरीत है

2022 में महिला क्षैतिज आरक्षण पर लगी रोक

24 अगस्त 2022 को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई
हाईकोर्ट ने 30% क्षैतिज आरक्षण दिए जाने वाले 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी
उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल कर दी
उत्तराखंड सरकार की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वंशजा शुक्ला ने एसएलपी दाखिल की है
आज सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी

देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर राज्य की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी. अदालत की रोक के बाद उत्तराखंड सरकार पर क्षैतिज आरक्षण को बनाए रखने का दबाव था. उत्तराखंड सरकार फिर इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई. उत्तराखंड सरकार की नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) पर आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. यानी अब उत्तराखंड की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण मिलेगा.

जब नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर राज्य की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगाई थी तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वस्त किया था कि सरकार महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण को कायम रखने के लिए कानून बनाएगी और सर्वोच्च न्यायालय में जाएगी. प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में इन दोनों विकल्पों पर सहमति बनीं और अध्यादेश लाने का फैसला हुआ था.

सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने के बाद अब इस पर आज कोर्ट नंबर चार में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में राज्य की एडवोकेट ऑन रिकार्ड वंशजा शुक्ला ने इसकी पुष्टि की थी.
ये भी पढ़ें: कैबिनेट फैसले: राजस्व पुलिस पर बड़ा निर्णय, महिला आरक्षण पर अध्यादेश, न्यायिक सेवा संशोधन नियमावली को भी मंजूरी

महिला क्षैतिज आरक्षण के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने अध्यादेश लाने को सहमति दी थी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. कार्मिक व सतर्कता विभाग ने प्रस्ताव विधायी को भेज दिया है. विशेषज्ञों का भी मानना था कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी से पहले अध्यादेश लाने से पैरवी को मजबूती मिल सकती है.

क्या है 30 फीसदी महिला क्षैतिज आरक्षण का मामला?

उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई, 2001 से आरक्षण मिलना शुरू हुआ
तब 20 फीसदी आरक्षण से इसकी शुरूआत हुई थी
24 जुलाई, 2006 में इसमें बढ़ोत्तरी करते हुए 30 फीसदी कर दिया गया था
UKPSC EXAM में उत्तराखंड की महिलाओं को जनरल कोटे (अनारक्षित श्रेणी) से 30% आरक्षण मिलता था

2021 में आया टर्निंग प्वाइंट

2021 में लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा परीक्षा हुई
इसी वर्ष यानी 2021 में रिजल्ट घोषित हुआ
हरियाणा की एक महिला अभ्यर्थी पवित्रा चौहान इसके खिलाफ हाईकोर्ट चली गई थी
पवित्रा का तर्क था कि उसके नंबर उत्तराखंड की स्थानीय अभ्यर्थी से ज्यादा थे लेकिन उसे बाहर किया गया
पवित्रा ने कहा- ये आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 के विपरीत है

2022 में महिला क्षैतिज आरक्षण पर लगी रोक

24 अगस्त 2022 को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई
हाईकोर्ट ने 30% क्षैतिज आरक्षण दिए जाने वाले 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी
उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल कर दी
उत्तराखंड सरकार की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वंशजा शुक्ला ने एसएलपी दाखिल की है
आज सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी

Last Updated : Nov 4, 2022, 1:14 PM IST
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