देहरादून: 14 और 15 जुलाई को हुए दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर को लेकर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग काफी उत्साहित नज़र आ रहा है. दरअसल पहली बार उत्तराखंड को शिविर की मेजबानी करने का मौका मिला है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग इस बात पर जोर दे रहा है कि जो भी रूपरेखा इस शिविर में तैयार की गई है उस रूपरेखा को प्रदेश में अगर सही ढंग से लागू किया जाता है तो यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति होगी, लेकिन सीमित संसाधनों के चलते उत्तराखंड सरकार कैसे प्रदेश में इसे बेहतर ढंग से धरातल पर उतार पाएगी ये एक बड़ा सवाल है.
स्वास्थ्य चिंतन शिविर में मुख्य रूप से 6 बिंदुओं पर चर्चा की गई. जिसमें टीबीमुक्त भारत अभियान, आयुष्मान भव:, लिंगानुपात, गैर-संचारी रोगों की रोकथाम, आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट और अंगदान शामिल है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने टीबीमुक्त भारत अभियान और आयुष्मान कार्ड पर बेहतर काम किया है, क्योंकि टीबी मुक्त अभियान के तहत राज्य सरकार मरीजों को गोद लेने की प्रक्रिया करीब 90 फीसदी तक पूरी कर चुकी है . इसके साथ ही अब टीबी मरीजों को डीबीटी के माध्यम से पोषण भत्ता भी देने जा रही है.
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि देहरादून में हुआ चिंतन शिविर उत्तराखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा. हालांकि, देशभर में आयुष्मान भवः योजना लागू है. जिसके तहत देश के सभी ग्राम सभाओं में 1 अगस्त से 30 सितंबर के बीच आयुष्मान सभा का आयोजन किया जाएगा. इस सभा में प्रत्येक व्यक्ति की आभा आईडी और आयुष्मान कार्ड बनाया जाएगा. साथ ही निशुल्क जांच भी की जाएंगी. उन्होंने बताया कि अगले साल से एमबीबीएस की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू हो जाएगी.
उत्तराखंड के लिहाज से यह चिंतन शिविर इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि प्रदेश को एक नया सैटेलाइट एम्स मिल गया है. जिसे उधमसिंह नगर में खोला जाएगा. इसके लिए जमीन की उपलब्धता हो गई है और भारत सरकार ने बजट भी दे दिया है. इसके अलावा पिथौरागढ़, उधमसिंह नगर और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का काम भी शुरू हो गया है. यही नहीं, चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए 350 करोड़ अतरिक्त मिल गए हैं.
ये भी पढ़ें: प्रदेश के सभी ग्राम सभाओं में स्वास्थ्य विभाग लगाएगा चौपाल, जानिए कब और क्या मिलेगा फायदा?
इसके अलावा उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए जो भी प्रस्ताव उत्तराखंड सरकार की ओर से भारत सरकार को भेजे गए थे, उसको केंद्र सरकार ने स्वीकृत कर दिया है. इसके अलावा एक बड़ा काम यह भी हुआ है कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज और एम्स अब गांव-गांव में जाकर स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ ही स्वास्थ्य मेला लगा सकते हैं और इस दौरान जितने भी मरीज आएंगे उनको मेडिकल कॉलेज अपने ओपीडी में जोड़ सकेंगे.
ये भी पढ़ें: खुशखबरी: श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में मरीजों को मिलेगी MRI की सुविधा, स्वास्थ्य मंत्री ने किया उद्घाटन