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Exclusive: सवालों के घेरे में नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती, जांच में खुलासा, चयन प्रक्रिया पर सवाल

Nursing recruitment in controversy in Uttarakhand नर्सिंग अधिकारी भर्ती 2023 एक ऐसे नए विवाद में घिर गई है जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग के भर्ती से संबंधित अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध दिखाई देने लगी है. इसकी शुरुआत नर्सिंग अधिकारी भर्ती को लेकर आई एक ऐसी शिकायत से हुई जिसकी जांच के प्राथमिक तथ्य आते ही हर कोई हैरान रह गया. इस जांच के लिए विभागीय मंत्री ने ही निर्देशित किया था. शिकायत 8 अभ्यर्थियों के चयन को लेकर हुई थी लेकिन जांच के बाद कई अभ्यर्थियों के संदिग्ध पाए जाने से अब पूरी चयन प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े होने लगे. हालांकि, मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है.

Nursing recruitment in controversy
सवालों के घेरे में नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 14, 2023, 6:39 PM IST

Updated : Dec 15, 2023, 3:52 PM IST

सवालों के घेरे में नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती.

देहरादून: उत्तराखंड में नर्सिंग की भर्ती पर तमाम विवादों के बाद भी आखिरकार सरकार ने वरिष्ठता के आधार पर चयन किए जाने का फैसला लिया. जिसकी सूची भी जारी कर दी गई. यह सब उस समय हुआ जब पहले से ही नर्सिंग की भर्ती जबरदस्त विवाद में घिरी हुई थी. स्थिति यह थी कि वरिष्ठता के आधार पर भर्ती करवाए जाने से जुड़े कुछ ऑडियो भी वायरल हुये. जिसमें पैसों के लेनदेन तक की बात कही गई. इसके बाद कुछ व्हाट्सएप चैट भी सोशल मीडिया पर दिखाई दिए. माना गया कि इतने विवाद के बाद अब इस नर्सिंग भर्ती का भविष्य अधर में ही लटका दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. साल 2023 आते ही इसके लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया गया. 3 जनवरी 2023 को इसके लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ. 12 सितंबर 2023 को परिणाम भी घोषित कर दिए गए. नर्सिंग भर्ती परीक्षा 1564 पदों के लिए की गई जिसमें करीब 1300 से ज्यादा पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया.

Nursing recruitment in controversy
संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ की ओर से स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को लिखा गया शिकायती पत्र.

इतने विवाद के बाद भी जब अभ्यर्थियों का चयन पूरा कर लिया गया तब नये विवाद की शुरुआत संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेस महासंघ के उस पत्र से हुई, जो शासन तक पहुंचा. इसके बाद जांच के निर्देश आगे जारी कर दिए गए. इस संदर्भ में स्टेट नर्सिंग काउंसिल को भी शासन की तरफ से पत्र भेजकर जांच के लिए कहा गया. बड़ी बात यह है कि मामले में संबंधित अभ्यर्थियों की प्राथमिक रूप से जानकारी जांच के आधार पर जब की गई तो पता चला कि 8 में से 3 अभ्यर्थियों ने जरूरी स्थायी निवास प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र और राज्य में राजकीय एवं निजी चिकित्सालयों में सेवारत प्रमाण पत्र को संलग्न ही नहीं किया. जानकारी ये भी है कि एक दूसरे अभ्यर्थी के मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर भी स्थितियां संदिग्ध नजर आई हैं. दी गई शिकायतों में प्राथमिक जांच के आधार पर ही काफी हद तक सच्चाई दिखाई दी. ऐसे में अब पूरी भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है.
पढे़ं- उत्तराखंड ही नहीं अन्य राज्यों के युवा कर रहे नर्सिंग भर्ती का इंतजार, मिल रही 'तारीख पर तारीख'

सवाल यह उठ रहा है कि जब अभ्यर्थियों का चयन किया गया तो उनके दस्तावेजों की गहनता से जांच क्यों नहीं की गई? शिकायत के आधार पर महज कुछ चुनिंदा नामों की जांच की गई. ऐसे में यदि सभी 1300 से ज्यादा चयनित अभ्यर्थियों की जांच होती है तो इसमें बड़ी गड़बड़ी आने की आशंका है. चयनित अभ्यर्थियों में राजस्थान मूल के अभ्यर्थियों को लेकर भी काफी विवाद रहा है. भर्ती से ठीक पहले साल 2021 में ही उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन कराने की भी बातें सामने आई हैं.
पढे़ं- भर्ती घोटाला 'कैपिटल' बना उत्तराखंड ! विपक्ष के निशाने पर सरकार के तीन मंत्री

नर्सिंग भर्ती करवाने वाले चयन बोर्ड की भूमिका भी जांच के दायरे में आ गई है. इससे पहले बोर्ड भर्तियों को लेकर विवादों में भी रहा है. इस दौरान यहां तैनात कुछ अधिकारियों को यहां से हटाए जाने की भी बात सामने आई है. हालांकि, इसकी स्थिति तभी स्पष्ट हो सकती है जब सरकार के द्वारा इसमें एक बड़े स्तर की निष्पक्ष जांच करवाई जाए. हालांकि, मामले सामने आने पर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है.
पढे़ं- दूध की चौकीदारी में 'बिल्ला' लगा हो तो बचेगा कैसे? सहकारिता भर्ती घोटाले पर गोदियाल का हमला

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का यह दूसरा विभाग है जिसमें अब किसी भर्ती में गड़बड़ी को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इससे पहले धन सिंह रावत के ही सहकारिता विभाग में कोऑपरेटिव बैंक की चतुर्थ श्रेणी की भर्ती में भी नियुक्तियां को लेकर सवाल खड़े हुए थे. इसके बाद इसकी जांच के आदेश दिए गए थे. हैरानी की बात यह है कि जांच रिपोर्ट आने के महीने बाद भी अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ना ही इसकी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत हुई इन भर्तियों को लेकर क्या जांच होती है, ये देखना होगा.

बता दें कि, विभाग द्वारा निकाली गई भर्ती नोटिफिकेशन के अनुसार-

  1. अभ्यर्थी के पास उत्तराखंड राज्य का स्थायी निवास प्रमाण पत्र यानी Domicile होना अनिर्वाय है.
  2. इसके साथ ही समूह 'ग' की सीधी भर्ती के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए वही अभ्यर्थी पात्र होगा, जिसने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट या इनके समकक्ष स्तर की शिक्षा उत्तराखंड राज्य में स्थित मान्यता प्राप्त संस्थानों से पास की हो.
  3. सैनिक या अर्द्ध सैनिक बलों में कार्यरत, सरकारी कर्मचारी जो पर नियमित रूप से उत्तराखंड में ही कार्यरत हों, और उनकी सेवाएं उत्तराखंड से बाहर ट्रांसफर नहीं हो सकती हों, उनके संबंधी राज्य के अधीन सेवाओं में समूह ग के सीधी भर्ती के पदों पर चयन के लिए आवेदन के पात्र होंगे.
  4. राज्य के स्थायी निवासी जो नौकरी या पढ़ाई के लिए उत्तराखंड से बाहर रहते हैं, उनके संबंधी भी समूह ग के सीधी भर्ती के पदों पर आवेदन के लिए पात्र होंगे.
  5. इसके साथ ही जो अभ्यर्थी आवेदन करने की तिथि को केंद्र या राज्य सरकार के अधीन सरकारी सेवा में नियमित रूप से कार्यरत हो, उन्हें सम्बन्धित विभाग का विभागीय अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा.
  6. नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य.
  7. सेवायोजना कार्यालय में भी रजिस्ट्रेशन होना चाहिए.

सवालों के घेरे में नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती.

देहरादून: उत्तराखंड में नर्सिंग की भर्ती पर तमाम विवादों के बाद भी आखिरकार सरकार ने वरिष्ठता के आधार पर चयन किए जाने का फैसला लिया. जिसकी सूची भी जारी कर दी गई. यह सब उस समय हुआ जब पहले से ही नर्सिंग की भर्ती जबरदस्त विवाद में घिरी हुई थी. स्थिति यह थी कि वरिष्ठता के आधार पर भर्ती करवाए जाने से जुड़े कुछ ऑडियो भी वायरल हुये. जिसमें पैसों के लेनदेन तक की बात कही गई. इसके बाद कुछ व्हाट्सएप चैट भी सोशल मीडिया पर दिखाई दिए. माना गया कि इतने विवाद के बाद अब इस नर्सिंग भर्ती का भविष्य अधर में ही लटका दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. साल 2023 आते ही इसके लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया गया. 3 जनवरी 2023 को इसके लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ. 12 सितंबर 2023 को परिणाम भी घोषित कर दिए गए. नर्सिंग भर्ती परीक्षा 1564 पदों के लिए की गई जिसमें करीब 1300 से ज्यादा पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया.

Nursing recruitment in controversy
संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ की ओर से स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को लिखा गया शिकायती पत्र.

इतने विवाद के बाद भी जब अभ्यर्थियों का चयन पूरा कर लिया गया तब नये विवाद की शुरुआत संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेस महासंघ के उस पत्र से हुई, जो शासन तक पहुंचा. इसके बाद जांच के निर्देश आगे जारी कर दिए गए. इस संदर्भ में स्टेट नर्सिंग काउंसिल को भी शासन की तरफ से पत्र भेजकर जांच के लिए कहा गया. बड़ी बात यह है कि मामले में संबंधित अभ्यर्थियों की प्राथमिक रूप से जानकारी जांच के आधार पर जब की गई तो पता चला कि 8 में से 3 अभ्यर्थियों ने जरूरी स्थायी निवास प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र और राज्य में राजकीय एवं निजी चिकित्सालयों में सेवारत प्रमाण पत्र को संलग्न ही नहीं किया. जानकारी ये भी है कि एक दूसरे अभ्यर्थी के मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर भी स्थितियां संदिग्ध नजर आई हैं. दी गई शिकायतों में प्राथमिक जांच के आधार पर ही काफी हद तक सच्चाई दिखाई दी. ऐसे में अब पूरी भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है.
पढे़ं- उत्तराखंड ही नहीं अन्य राज्यों के युवा कर रहे नर्सिंग भर्ती का इंतजार, मिल रही 'तारीख पर तारीख'

सवाल यह उठ रहा है कि जब अभ्यर्थियों का चयन किया गया तो उनके दस्तावेजों की गहनता से जांच क्यों नहीं की गई? शिकायत के आधार पर महज कुछ चुनिंदा नामों की जांच की गई. ऐसे में यदि सभी 1300 से ज्यादा चयनित अभ्यर्थियों की जांच होती है तो इसमें बड़ी गड़बड़ी आने की आशंका है. चयनित अभ्यर्थियों में राजस्थान मूल के अभ्यर्थियों को लेकर भी काफी विवाद रहा है. भर्ती से ठीक पहले साल 2021 में ही उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन कराने की भी बातें सामने आई हैं.
पढे़ं- भर्ती घोटाला 'कैपिटल' बना उत्तराखंड ! विपक्ष के निशाने पर सरकार के तीन मंत्री

नर्सिंग भर्ती करवाने वाले चयन बोर्ड की भूमिका भी जांच के दायरे में आ गई है. इससे पहले बोर्ड भर्तियों को लेकर विवादों में भी रहा है. इस दौरान यहां तैनात कुछ अधिकारियों को यहां से हटाए जाने की भी बात सामने आई है. हालांकि, इसकी स्थिति तभी स्पष्ट हो सकती है जब सरकार के द्वारा इसमें एक बड़े स्तर की निष्पक्ष जांच करवाई जाए. हालांकि, मामले सामने आने पर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है.
पढे़ं- दूध की चौकीदारी में 'बिल्ला' लगा हो तो बचेगा कैसे? सहकारिता भर्ती घोटाले पर गोदियाल का हमला

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का यह दूसरा विभाग है जिसमें अब किसी भर्ती में गड़बड़ी को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इससे पहले धन सिंह रावत के ही सहकारिता विभाग में कोऑपरेटिव बैंक की चतुर्थ श्रेणी की भर्ती में भी नियुक्तियां को लेकर सवाल खड़े हुए थे. इसके बाद इसकी जांच के आदेश दिए गए थे. हैरानी की बात यह है कि जांच रिपोर्ट आने के महीने बाद भी अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ना ही इसकी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत हुई इन भर्तियों को लेकर क्या जांच होती है, ये देखना होगा.

बता दें कि, विभाग द्वारा निकाली गई भर्ती नोटिफिकेशन के अनुसार-

  1. अभ्यर्थी के पास उत्तराखंड राज्य का स्थायी निवास प्रमाण पत्र यानी Domicile होना अनिर्वाय है.
  2. इसके साथ ही समूह 'ग' की सीधी भर्ती के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए वही अभ्यर्थी पात्र होगा, जिसने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट या इनके समकक्ष स्तर की शिक्षा उत्तराखंड राज्य में स्थित मान्यता प्राप्त संस्थानों से पास की हो.
  3. सैनिक या अर्द्ध सैनिक बलों में कार्यरत, सरकारी कर्मचारी जो पर नियमित रूप से उत्तराखंड में ही कार्यरत हों, और उनकी सेवाएं उत्तराखंड से बाहर ट्रांसफर नहीं हो सकती हों, उनके संबंधी राज्य के अधीन सेवाओं में समूह ग के सीधी भर्ती के पदों पर चयन के लिए आवेदन के पात्र होंगे.
  4. राज्य के स्थायी निवासी जो नौकरी या पढ़ाई के लिए उत्तराखंड से बाहर रहते हैं, उनके संबंधी भी समूह ग के सीधी भर्ती के पदों पर आवेदन के लिए पात्र होंगे.
  5. इसके साथ ही जो अभ्यर्थी आवेदन करने की तिथि को केंद्र या राज्य सरकार के अधीन सरकारी सेवा में नियमित रूप से कार्यरत हो, उन्हें सम्बन्धित विभाग का विभागीय अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा.
  6. नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य.
  7. सेवायोजना कार्यालय में भी रजिस्ट्रेशन होना चाहिए.
Last Updated : Dec 15, 2023, 3:52 PM IST
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