देहरादून: उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासत गरमा गई है. वहीं, दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और हरीश रावत के बीच जुबानी जंग भी तेज हो चली है. दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग का आलम यह है कि, अब दोनों एक दूसरे पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं. हालांकि बीते दिन हरक सिंह रावत के माफी मांगने के बाद से ही दोनों के बीच लंबे समय से चल रही जुबानी जंग थमती नजर आ रही थी. लेकिन, इसी बीच हरक सिंह रावत के कामकाज को लेकर हरीश रावत ने बड़ा बयान दिया है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि बाकी नेताओं के विधानसभा क्षेत्र में जितने भी कार्य हुए हैं, उन शिलापट्ट पर मुख्यमंत्री के तौर पर हरीश रावत का ही नाम लिखा है. दरअसल, हरक सिंह रावत ने कहा था कि वो अपने इस कार्यकाल के दौरान कोई काम नहीं कर पाए हैं और खुद अपने इस काम से संतुष्ट नहीं हैं. यही नहीं, हरक ने कहा कि जितना काम करना चाहिए था, उतना काम वो नहीं कर पाए हैं. पहले दो साल से ढाई साल लोकसभा, नगर निगम और पंचायत चुनाव में निकल गए. ऐसे में उम्मीद है कि अगले 2 से ढाई साल का काम करेंगे. लेकिन, कोरोना महामारी ने सारे गणित फेल कर दिए हैं.
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हरक सिंह रावत ने कहा कि अगर बीच में कोरोना वायरस नहीं आता तो किसी भी तरह कोटद्वार मेडिकल कॉलेज की नींव रखवा देते. वहीं, हरक सिंह रावत के बयान पर हरीश रावत ने कहा कि ये बयान उनके दिल से निकला हुआ बयान है. इन पौने पांच साल भाजपा सरकार के कामों की समरी है. यह समरी सिर्फ हरक सिंह के विधानसभा क्षेत्र की ही नहीं बल्कि सभी विधानसभा सीटों की है. जो नेता साल 2016 में भाजपा में शामिल हुए हैं, उनके विधानसभा क्षेत्रों में जा कर देख लें, वहां पर जितने बोर्ड लगे हुए हैं वह सभी हरीश रावत के कार्यकाल के हैं.
बागियों को लेकर दिया संदेश: हरीश रावत ने कहा कि 'जो लोग पार्टी छोड़ चुके थे, वे वापस आना चाहते हैं और बीजेपी के कई लोग भी कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं. बीजेपी में अस्थिरता की स्थिति है. बहुत से लोग कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं. इतने लोग नहीं ले सकते, लेकिन जो योग्य हैं, हम उन्हें ले लेंगे.
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पुरानी है अदावत: बीजेपी से कांग्रेस में वापसी की राह में सबसे आगे वन मंत्री हरक सिंह रावत का नाम रह-रहकर चर्चाओं में आता रहता है. लेकिन, हरीश रावत बिना माफी के उनको वापस लेने को तैयार नहीं थे. हरीश रावत और हरक रावत साल 2016 के बाद से ही एक दूसरे के घोर विरोधी रहे हैं. दोनों कभी भी एक दूसरे पर कोई भी जुबानी हमला करने में नहीं चूकते हैं. घटनाक्रम में तब ट्विस्ट आया जब हरक सिंह रावत ने कैमरे के सामने हरीश रावत को अपना बड़ा भाई मानते हुए कहा कि हरीश भाई, मेरे बड़े भाई हैं. उनके सात खून माफ. वह चाहे मुझे जो बोल दें, मैं बुरा नहीं मानूंगा. उनकी हर बात आशीर्वाद है. बड़े भाई हरीश के चरणों में नतमस्तक हूं.