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2017 की चुनावी हार की ठीकरा फोड़ने वालों को हरदा ने दिया जवाब, लिखी ये बात

पूर्व सीएम हरीश रावत ने 2017 की हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ने वालों को फेसबुक पोस्ट के जरिए जवाब दिया है.

Harish Rawat responded to those who broke the 2017 election defeat
2017 की चुनावी हार की ठीकरा फोड़ने वालों को हरदा ने दिया जवाब
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Published : Feb 20, 2021, 5:25 PM IST

देहरादून: कुछ कांग्रेस नेता 2017 के विधानसभा चुनाव में हार का ठीकरा पूर्व सीएम व 2017 चुनावों में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा रहे हरीश रावत के सिर फोड़ रहे हैं. ऐसे में हरीश रावत की दो सीटों पर हार का भी लगातार जिक्र किया जा रहा है. अब हरीश रावत ने उन नेताओं को अपने ही अंदाज में जवाब दिया है.

हरीश रावत ने सोशल मीडिया पेज पर लिखा है कि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान 94 सार्वजनिक सभाएं की, जिसमें किच्छा में नामांकन के दिन की सार्वजनिक सभा भी शामिल है. हालांकि, वो हरिद्वार में तो कोई सार्वजनिक सभा नहीं कर पाए क्योंकि उनके मन में यह विश्वास था कि सारे राज्य में चुनाव प्रचार का दायित्व उनके ऊपर है, इसलिए किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण का चुनाव प्रचार का दायित्व उनके सहयोगी साथी संभाल लेंगे.

पढ़ें- सरकारी स्कूल की भूमि पर दबंगों का कब्जा, मुख्यमंत्री दरबार में पहुंचा मामला

उन्होंने 2017 की हार पर कहा कि अजीब विडंबना है कि जो लोग चुनाव के दौरान अपने क्षेत्र से बाहर किसी भी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए, वो उनसे 59 सीटों की हार का हिसाब मांग रहे हैं.

  • आज मैंने पुराने रिकॉर्ड तलाशे, #विधानसभा_चुनाव 2017 में चुनाव के दौरान मैंने 94 सार्वजनिक सभाएं की, जिनमें #किच्छा में नामांकन के दिन की सार्वजनिक सभा भी सम्मिलित है, #हरिद्वार में तो मैं कोई सार्वजनिक सभा कर ही नहीं पाया। शायद मेरे मन में यह विश्वास रहा कि सारे pic.twitter.com/zgMy2dycsk

    — Harish Rawat (@harishrawatcmuk) February 20, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें- NH 74 भूमि मुआवजे घोटाले मामले के आरोपी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत

हरीश रावत ने आगे कहा कि हारें पहले में हुई हैं और अब भी होंगी लेकिन उन्होंने कभी उनका हिसाब नहीं मांगा. उन हारों को भी सामूहिक समझा है जो पहले की हारे हैं. किसी से यह नहीं पूछा कि क्या कारण रहा कि चुनाव में हार हुई.

पढ़ें- देवेंद्र यादव कल आएंगे देहरादून, ज्वाइन कांग्रेस सोशल मीडिया कैंपेन का करेंगे शुभारंभ

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनावी हारों के कड़वे घूंट तो सबको कभी न कभी पीने पड़ते हैं. एक ऐसा चुनाव हुआ जिसमें एक राष्ट्रीय दल की आंधी चली थी और उसके कई ऐसे भी उम्मीदवार थे जो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे, लेकिन समय का फेर है. कांग्रेस की शक्ति अब हाथ में आई तो लोग कभी पराजित न होने वाले योद्धा की तरीके से दिखाई देते हैं. रावत ने कहा कि उन्होंने 2017 की चुनावी पराजय का केवल दो ही सीटों पर नहीं बल्कि अन्य 59 सीटों पर भी हार का दायित्व अपना माना है. उसकी पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है.

देहरादून: कुछ कांग्रेस नेता 2017 के विधानसभा चुनाव में हार का ठीकरा पूर्व सीएम व 2017 चुनावों में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा रहे हरीश रावत के सिर फोड़ रहे हैं. ऐसे में हरीश रावत की दो सीटों पर हार का भी लगातार जिक्र किया जा रहा है. अब हरीश रावत ने उन नेताओं को अपने ही अंदाज में जवाब दिया है.

हरीश रावत ने सोशल मीडिया पेज पर लिखा है कि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान 94 सार्वजनिक सभाएं की, जिसमें किच्छा में नामांकन के दिन की सार्वजनिक सभा भी शामिल है. हालांकि, वो हरिद्वार में तो कोई सार्वजनिक सभा नहीं कर पाए क्योंकि उनके मन में यह विश्वास था कि सारे राज्य में चुनाव प्रचार का दायित्व उनके ऊपर है, इसलिए किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण का चुनाव प्रचार का दायित्व उनके सहयोगी साथी संभाल लेंगे.

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उन्होंने 2017 की हार पर कहा कि अजीब विडंबना है कि जो लोग चुनाव के दौरान अपने क्षेत्र से बाहर किसी भी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए, वो उनसे 59 सीटों की हार का हिसाब मांग रहे हैं.

  • आज मैंने पुराने रिकॉर्ड तलाशे, #विधानसभा_चुनाव 2017 में चुनाव के दौरान मैंने 94 सार्वजनिक सभाएं की, जिनमें #किच्छा में नामांकन के दिन की सार्वजनिक सभा भी सम्मिलित है, #हरिद्वार में तो मैं कोई सार्वजनिक सभा कर ही नहीं पाया। शायद मेरे मन में यह विश्वास रहा कि सारे pic.twitter.com/zgMy2dycsk

    — Harish Rawat (@harishrawatcmuk) February 20, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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हरीश रावत ने आगे कहा कि हारें पहले में हुई हैं और अब भी होंगी लेकिन उन्होंने कभी उनका हिसाब नहीं मांगा. उन हारों को भी सामूहिक समझा है जो पहले की हारे हैं. किसी से यह नहीं पूछा कि क्या कारण रहा कि चुनाव में हार हुई.

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनावी हारों के कड़वे घूंट तो सबको कभी न कभी पीने पड़ते हैं. एक ऐसा चुनाव हुआ जिसमें एक राष्ट्रीय दल की आंधी चली थी और उसके कई ऐसे भी उम्मीदवार थे जो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे, लेकिन समय का फेर है. कांग्रेस की शक्ति अब हाथ में आई तो लोग कभी पराजित न होने वाले योद्धा की तरीके से दिखाई देते हैं. रावत ने कहा कि उन्होंने 2017 की चुनावी पराजय का केवल दो ही सीटों पर नहीं बल्कि अन्य 59 सीटों पर भी हार का दायित्व अपना माना है. उसकी पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है.

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