देहरादून: उत्तराखंड में राज्य कर्मियों और पेंशनर्स के लिए चलाई जा रही स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (SGHS) कई कमियों से जूझ रही है. इसी को लेकर उत्तराखंड सचिवालय संघ ने तमाम पेंशनर्स और संगठनों के साथ बैठक की. जिसमें योजना में सुधार से जुड़े बिंदुओं पर चर्चा हुई. ऐसे में जल्द ही संगठन इन सुझावों के आधार पर सरकार के सामने योजना में होने वाले सुधार से जुड़ी डिमांड रखने जा रहा है.
उत्तराखंड सचिवालय संघ ने तमाम संगठन और पेंशनर्स के साथ मिलकर स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम को लेकर बातचीत की. इस दौरान पिछले लंबे समय से योजना में सुधार को लेकर चली आ रही मांग पर विचार किया गया. साथ ही विभिन्न संगठनों ने कुछ नए सुधार को लेकर अपने सुझाव भी दिए. उत्तराखंड सरकार राज्य कर्मचारी और पेंशनर्स के लिए स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम को चलाती है. जिसके अनुसार राज्य कर्मियों और पेंशनर्स को स्वास्थ्य सुविधा दी जाती है. इस योजना में ऐसे कई बिंदु है जिसका कर्मचारी संगठन और पेंशनर्स सहमत नहीं हैं. सुविधाओं को बढ़ाने पर लंबे समय से मांग करते रहें हैं. इन्हीं बातों को लेकर आज एक लंबी बैठक आहूत की गई. जिसमें विभिन्न विषयों पर मंथन हुआ.
स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में कुछ खास मांगे हैं जिन्हें जोड़ने की बात की जा रही है. इसमें भर्ती होने वाले मरीजों को मिल रही कैशलेस सुविधा के साथ ही ओपीडी में भी कैशलेस सुविधा दिए जाने की मांग की गई है. कैशलेस का मतलब योजना से जुड़े गोल्डन कार्ड को दिखाने पर कर्मचारी और पेंशनर्स को किसी भी स्वास्थ्य सुविधा के लिए पैसे का भुगतान नहीं करना होता है. इसका भुगतान सीधे राज्य सरकार करती है. योजना में अब ओपीडी के लिए भी कैशलेस किए जाने की मांग की जा रही है.
इसके अलावा कार्ड धारक के आश्रितों में व्यवस्था है कि 25 साल से अधिक उम्र के युवा या युवती को कार्ड धारक का आश्रित होने का लाभ नहीं मिलेगा. जिसमें कर्मचारी संगठन संशोधन चाहते हैं. इस आयु सीमा को हटाकर विवाहित होने तक ऐसे परिवार के सदस्य को कार्ड का लाभ मिलने की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों का सुझाव है कि ऐसे पेंशनधारी को भी इसमें जोड़ा जाए जिन्होंने पहले इस योजना को लेने से मना कर दिया था. दरअसल, पूर्व में इस योजना में सुविधाओं की कमी थी. जिसके कारण करीब 20 से 30000 पेंशनर्स ने इस स्कीम को छोड़ दिया था. अब संगठन चाहता है कि इन पेंशनर्स को भी उनकी इच्छा के अनुसार इस योजना में शामिल होने का विकल्प दिया जाए.
इसके अलावा अस्पतालों में दी जा रही स्वास्थ्य सुविधा को हेल्थ कार्डधारियों के लिए पैकेज के रूप में ना दिया जाए. इससे कई बार उपचार पूरा होने के बाद भी पैकेज के अनुसार निश्चित दिनों तक मरीज को अस्पताल में ही रहना पड़ता है. जिससे मरीज को सुविधा होती है. सरकार को बेवजह अस्पताल को भुगतान करना पड़ता है. उत्तराखंड में स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के तहत अलग-अलग संगठन और पेंशनर्स सरकार से मांग रख रहे थे ऐसे में अब सभी ने एक मंच पर आकर सरकार के सामने योजना में सुधार के लिए मंथन किया है. जिसके बाद कर्मचारियों के स्तर पर ही एक समिति बनाई जाएगी. इसमें सरकार के सामने रखे जाने वाले बिंदुओं को अंतिम रूप दिया जाएगा.
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