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स्कूलों की मनमानी और फीस वसूली पर शासनादेश जारी, जानें कितनी मिली रियायतें

शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने स्कूलों की ओर से फीस वसूली को लेकर एक शासनादेश जारी किया है. इसके तहत कई रियायतें भी दी गई है. ऐसे में अभिभावकों को कुछ हद तक राहत मिलती दिख रही है.

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फीस वसूली
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Published : Mar 22, 2021, 5:25 PM IST

Updated : Mar 23, 2021, 9:08 AM IST

देहरादूनः प्रदेश में स्कूल खुलने के बाद से ही अभिभावक स्कूलों की मनमानी को लेकर लगातार शिकायतें कर रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन, अभिभावकों पर फीस वसूली को लेकर लगातार दबाव बना रहे हैं. जिसे देखते हुए शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने फीस वसूली को लेकर एक शासनादेश जारी किया है.

शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से जारी शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि स्कूल प्रबंधन कक्षा 6 से लेकर कक्षा 11 तक के छात्रों से पूर्ण फीस वसूल सकता है. वहीं, दूसरी ओर लॉकडाउन के दौरान स्कूल प्रबंधकों की ओर से जो ऑनलाइन क्लासेस चलाई गई थी, उसके तहत स्कूल प्रबंधन छात्रों से सिर्फ शिक्षण शुल्क ही वसूलेगा. साथ ही स्कूल प्रबंधकों के लिए यह भी स्पष्ट किया गया है कि वे अभिभावकों को स्कूल फीस किश्तों में जमा करने की रियायत भी दें.

ये भी पढ़ेंः PCS भर्ती की मांग को लेकर बेरोजगारों ने किया सचिवालय कूच, जमकर की नारेबाजी

उधर, दूसरी तरफ कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5वीं तक के छात्रों को अभी भी ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से ही पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में शिक्षा सचिव की ओर से जारी शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि इन छात्रों के अभिभावकों से मात्र शिक्षण शुल्क वसूला जाए. वहीं, अभिभावकों को इसमें भी किश्तों में फीस जमा करने की रियायत दी जाए.

25 मार्च तक साफ करनी थी स्थिति

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 15 जनवरी को सरकार ने शासनादेश जारी कर 10वीं और 12वीं की कक्षाओं को खोलने का आदेश देते हुए कहा था कि विद्यालय प्रबंधन इन विद्यार्थियों से फीस ले सकते हैं. मगर चार फरवरी को सरकार ने फिर एक जीओ जारी कर दिया था. इसमें कक्षा छठवीं, आठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं की कक्षाएं खोलने का आदेश दिया था. इस शासनादेश में कहीं भी यह उल्लेख नहीं था कि इन कक्षाओं के छात्रों से फीस ले सकते हैं या नहीं.

इस पर कोर्ट ने सरकार को स्कूल फीस को लेकर 25 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे. स्कूल प्रबंधन की ओर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि अब लॉकडाउन की स्थिति सामान्य हो चुकी है. स्कूलों में छात्र आने लगे हैं. पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है. इसलिए अब उनको फीस लेने दी जाए.

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में हुई थी सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई थी. ऊधमसिंह नगर एसोसिएशन इंडिपेंडेंट स्कूल की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि राज्य सरकार ने 22 जून 2020 को एक आदेश जारी किया था. इसमें कहा था कि लॉकडाउन में प्राइवेट स्कूल किसी भी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटेंगे. उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नही लेंगे. इसे प्राइवेट स्कूलों ने स्वीकार भी किया. एक सितंबर 2020 को सीबीएसई ने सभी प्राइवेट स्कूलों को एक नोटिस जारी कर बोर्ड से संचालित सभी स्कूलों को 10 हजार रुपये स्पोर्ट्स फीस, 10 हजार रुपये टीचर ट्रेनिंग फीस और 300 रुपये प्रत्येक बच्चे के पंजीकरण की राशि बोर्ड को चार नवंबर से पहले देने के लिए कहा था.

सीबीएसई ने ये भी कहा

सीबीएसई ने यह भी कहा कि चार नवंबर तक धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो 2000 हजार रुपये प्रत्येक बच्चे के हिसाब से पेनल्टी देनी होगी. इसको एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. एसोसिएशन का कहना था कि न तो वे किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकते हैं और ना उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि सीबीएसई द्वारा फीस वसूली के लिए दबाव डाला जा रहा है. जिस पर रोक लगाई जाए. क्योंकि इस समय न तो टीचर्स की ट्रेनिंग हो रही है. न ही खेल गतिविधियां हो रही हैं. सीबीएसई से संचालित स्कूल तो बोर्ड और राज्य के बीच में फंसकर रह गए हैं. अगर वे बच्चों से फीस लेते हैं तो उनके स्कूलों का रजिस्ट्रेशन रद्द होने का खतरा है.

देहरादूनः प्रदेश में स्कूल खुलने के बाद से ही अभिभावक स्कूलों की मनमानी को लेकर लगातार शिकायतें कर रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन, अभिभावकों पर फीस वसूली को लेकर लगातार दबाव बना रहे हैं. जिसे देखते हुए शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने फीस वसूली को लेकर एक शासनादेश जारी किया है.

शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से जारी शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि स्कूल प्रबंधन कक्षा 6 से लेकर कक्षा 11 तक के छात्रों से पूर्ण फीस वसूल सकता है. वहीं, दूसरी ओर लॉकडाउन के दौरान स्कूल प्रबंधकों की ओर से जो ऑनलाइन क्लासेस चलाई गई थी, उसके तहत स्कूल प्रबंधन छात्रों से सिर्फ शिक्षण शुल्क ही वसूलेगा. साथ ही स्कूल प्रबंधकों के लिए यह भी स्पष्ट किया गया है कि वे अभिभावकों को स्कूल फीस किश्तों में जमा करने की रियायत भी दें.

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उधर, दूसरी तरफ कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5वीं तक के छात्रों को अभी भी ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से ही पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में शिक्षा सचिव की ओर से जारी शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि इन छात्रों के अभिभावकों से मात्र शिक्षण शुल्क वसूला जाए. वहीं, अभिभावकों को इसमें भी किश्तों में फीस जमा करने की रियायत दी जाए.

25 मार्च तक साफ करनी थी स्थिति

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 15 जनवरी को सरकार ने शासनादेश जारी कर 10वीं और 12वीं की कक्षाओं को खोलने का आदेश देते हुए कहा था कि विद्यालय प्रबंधन इन विद्यार्थियों से फीस ले सकते हैं. मगर चार फरवरी को सरकार ने फिर एक जीओ जारी कर दिया था. इसमें कक्षा छठवीं, आठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं की कक्षाएं खोलने का आदेश दिया था. इस शासनादेश में कहीं भी यह उल्लेख नहीं था कि इन कक्षाओं के छात्रों से फीस ले सकते हैं या नहीं.

इस पर कोर्ट ने सरकार को स्कूल फीस को लेकर 25 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे. स्कूल प्रबंधन की ओर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि अब लॉकडाउन की स्थिति सामान्य हो चुकी है. स्कूलों में छात्र आने लगे हैं. पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है. इसलिए अब उनको फीस लेने दी जाए.

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में हुई थी सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई थी. ऊधमसिंह नगर एसोसिएशन इंडिपेंडेंट स्कूल की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि राज्य सरकार ने 22 जून 2020 को एक आदेश जारी किया था. इसमें कहा था कि लॉकडाउन में प्राइवेट स्कूल किसी भी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटेंगे. उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नही लेंगे. इसे प्राइवेट स्कूलों ने स्वीकार भी किया. एक सितंबर 2020 को सीबीएसई ने सभी प्राइवेट स्कूलों को एक नोटिस जारी कर बोर्ड से संचालित सभी स्कूलों को 10 हजार रुपये स्पोर्ट्स फीस, 10 हजार रुपये टीचर ट्रेनिंग फीस और 300 रुपये प्रत्येक बच्चे के पंजीकरण की राशि बोर्ड को चार नवंबर से पहले देने के लिए कहा था.

सीबीएसई ने ये भी कहा

सीबीएसई ने यह भी कहा कि चार नवंबर तक धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो 2000 हजार रुपये प्रत्येक बच्चे के हिसाब से पेनल्टी देनी होगी. इसको एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. एसोसिएशन का कहना था कि न तो वे किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकते हैं और ना उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि सीबीएसई द्वारा फीस वसूली के लिए दबाव डाला जा रहा है. जिस पर रोक लगाई जाए. क्योंकि इस समय न तो टीचर्स की ट्रेनिंग हो रही है. न ही खेल गतिविधियां हो रही हैं. सीबीएसई से संचालित स्कूल तो बोर्ड और राज्य के बीच में फंसकर रह गए हैं. अगर वे बच्चों से फीस लेते हैं तो उनके स्कूलों का रजिस्ट्रेशन रद्द होने का खतरा है.

Last Updated : Mar 23, 2021, 9:08 AM IST
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