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माननीयों की सुरक्षित हवाई यात्रा को लेकर सरकार चिंतित, पर हवा में निजी कंपनियों के भरोसे आम - देहरादून न्यूज

प्रदेश में अब तक कई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. जिसमें कई लोगों की जान भी गई है. सवाल यह है कि पिछली दुर्घटनाओं से निजी हवाई कंपनियों ने क्या सीखा और उन पर हुई जांच की रिपोर्ट के आधार पर शासन या डीजीसीए के स्तर पर क्या कार्रवाही की गई है?

हेलीकॉप्टर
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Published : Aug 22, 2019, 7:27 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 11:06 PM IST

देहरादून: उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद शासन को सबसे ज्यादा चिंता माननीयों की सुरक्षित हवाई यात्रा को लेकर है. उत्तराखंड में माननीयों की हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा और पुख्ता किया जाएगा. इसके लिए सरकारी हेलीकॉप्टरों को अपग्रेड करने की तैयारी की जा रही है. हालांकि आम लोगों की हवाई सुरक्षा का पूरा जिम्मा निजी कंपनियों के भरोसे ही रहेगा.

हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा को लेकर शासन गंभीर

राज्य में वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है. खासतौर पर हवाई यात्रा जैसे संवेदनशील विषय पर तो इसको लेकर समय समय पर आंकलन होना ही चाहिए. फिलहाल शासन ने उत्तराखंड के सरकारी हेलीकॉप्टरों को अपग्रेड कर उसे और भी सुरक्षित करने की तैयारी की है. इसके तहत शासन स्तर पर होमवर्क भी किया जा रहा है.

पढ़ें- हेलीकॉप्टर क्रैश: उड़ान भरने से पहले राजपाल का आखिरी फेसबुक LIVE

उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर हादसे के फौरन बाद सरकारी हेलीकॉप्टर की मशीनों को अपग्रेड करने पर जोर दिया जा रहा है. बताया जा रहा है की सरकारी हेलीकॉप्टर को ज्यादा सुरक्षित करने के लिए कुछ नई अपडेट मशीनों को इसमें लगाया जाएगा. इसके अलावा खराब मौसम में सुरक्षित फ्लाइंग करवाने और सुरक्षित लैंडिंग से जुड़ी तकनीक पर भी चिंतन होगा. सचिव नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर ने बताया कि माननीयों की सुरक्षित फ्लाइंग के लिए मशीनों को अपग्रेड किया जा रहा है और वीआईपी से जुड़ा मामला होने के चलते उनकी सुरक्षा को बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया जा सकता.

पढ़ें- उत्तरकाशी हेलीकॉप्टर क्रैश: कैप्टन रंजीव लाल को मिला था 'हिल रत्न' अवॉर्ड, जानिए क्यों ?

माननीयों की सुरक्षा के लिए हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है, जो जरूरी भी है. लेकिन आम लोगों की सुरक्षा पूरी तरह से निजी हवाई कंपनियों के ही भरोसे होती है. हालांकि डीजीसीए की गाइडलाइन के आधार पर निजी कंपनियां उड़ान भरती हैं, लेकिन कई बार केदारनाथ से ही निजी कंपनियों के नियमों से इतर असुरक्षित फ्लाइंग की खबर भी मिलती रही है. ऐसे में यही कहेंगे कि पायलट समेत तीन लोगों की दुर्घटना में मौत के बाद माननीयों की सुरक्षा की चिंता तो शासन ने कर ली, लेकिन क्या आम लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ न हो इसके लिए निजी कंपनियां भी उतनी ही गंभीर होंगी.

प्रदेश में अब तक कई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. जिसमें कई लोगों की जान भी गई है. सवाल यह है कि पिछली दुर्घटनाओं से निजी हवाई कंपनियों ने क्या सीखा और उन पर हुई जांच की रिपोर्ट के आधार पर शासन या डीजीसीए के स्तर पर क्या कार्रवाही की गई है?

देहरादून: उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद शासन को सबसे ज्यादा चिंता माननीयों की सुरक्षित हवाई यात्रा को लेकर है. उत्तराखंड में माननीयों की हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा और पुख्ता किया जाएगा. इसके लिए सरकारी हेलीकॉप्टरों को अपग्रेड करने की तैयारी की जा रही है. हालांकि आम लोगों की हवाई सुरक्षा का पूरा जिम्मा निजी कंपनियों के भरोसे ही रहेगा.

हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा को लेकर शासन गंभीर

राज्य में वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है. खासतौर पर हवाई यात्रा जैसे संवेदनशील विषय पर तो इसको लेकर समय समय पर आंकलन होना ही चाहिए. फिलहाल शासन ने उत्तराखंड के सरकारी हेलीकॉप्टरों को अपग्रेड कर उसे और भी सुरक्षित करने की तैयारी की है. इसके तहत शासन स्तर पर होमवर्क भी किया जा रहा है.

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उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर हादसे के फौरन बाद सरकारी हेलीकॉप्टर की मशीनों को अपग्रेड करने पर जोर दिया जा रहा है. बताया जा रहा है की सरकारी हेलीकॉप्टर को ज्यादा सुरक्षित करने के लिए कुछ नई अपडेट मशीनों को इसमें लगाया जाएगा. इसके अलावा खराब मौसम में सुरक्षित फ्लाइंग करवाने और सुरक्षित लैंडिंग से जुड़ी तकनीक पर भी चिंतन होगा. सचिव नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर ने बताया कि माननीयों की सुरक्षित फ्लाइंग के लिए मशीनों को अपग्रेड किया जा रहा है और वीआईपी से जुड़ा मामला होने के चलते उनकी सुरक्षा को बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया जा सकता.

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माननीयों की सुरक्षा के लिए हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है, जो जरूरी भी है. लेकिन आम लोगों की सुरक्षा पूरी तरह से निजी हवाई कंपनियों के ही भरोसे होती है. हालांकि डीजीसीए की गाइडलाइन के आधार पर निजी कंपनियां उड़ान भरती हैं, लेकिन कई बार केदारनाथ से ही निजी कंपनियों के नियमों से इतर असुरक्षित फ्लाइंग की खबर भी मिलती रही है. ऐसे में यही कहेंगे कि पायलट समेत तीन लोगों की दुर्घटना में मौत के बाद माननीयों की सुरक्षा की चिंता तो शासन ने कर ली, लेकिन क्या आम लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ न हो इसके लिए निजी कंपनियां भी उतनी ही गंभीर होंगी.

प्रदेश में अब तक कई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. जिसमें कई लोगों की जान भी गई है. सवाल यह है कि पिछली दुर्घटनाओं से निजी हवाई कंपनियों ने क्या सीखा और उन पर हुई जांच की रिपोर्ट के आधार पर शासन या डीजीसीए के स्तर पर क्या कार्रवाही की गई है?

Intro:exclusive report

Summary- उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर हादसे के दौरान पायलट समेत तीन लोगों की जान गयी तो शासन की पहली चिंता माननीयों की सुरक्षित हवाई यात्रा को लेकर थी...हालाकिं आम लोगों की हवाई सुरक्षा का पूरा जिम्मा निजी कंपनियों के भरोसे ही रहता है। 


उत्तराखंड में माननीयों की हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा और भी पुख्ता की जाएगी...इसके लिए सरकारी हेलीकॉप्टर की मशीनों को अपग्रेड करने की तैयारी की जा रही है। 




Body:राज्य में वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है...खासतौर पर हवाई यात्रा जैसे संवेदनशील विषय पर तो इसको लेकर समय समय पर आंकलन होना ही चाहिए...फिलहाल शासन ने उत्तराखंड के सरकारी हेलीकॉप्टर की मशीन को अपग्रेड कर उसे और भी सुरक्षित करने की तैयारी की है। इसके तहत शासन स्तर पर होमवर्क भी किया जा रहा है। उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर हादसे के फौरन बाद सरकारी हेलीकॉप्टर की मशीनों को अपग्रेड करने पर जोर भी दिया जा रहा है। बताया जा रहा है की सरकारी हेलीकॉप्टर को बेहद सुरक्षित करने के लिए कुछ नई अपडेट मशीनों को इसमे लगाया जाएगा। इसके अलावा खराब मौसम में सुरक्षित फ्लाइंग करवाने और सुरक्षित लेंडिंग से जुड़ी तकनीक पर भी चिंतन होगा। सचिव नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर ने बताया कि माननीयों की सुरक्षित फ्लाइंग के लिए मशीनों को अपग्रेड किया जा रहा है...और वीआईपी से जुड़ा मामला होने के चलते उनकी सुरक्षा को बिल्कुल भी हल्के में नही लिया जा सकता। 


बाइट दिलीप जावलकर सचिव नागरिक उड्डयन


माननीयों की सुरक्षा के लिए हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है...जो जरूरी भी है.. लेकिन आम लोगों की सुरक्षा पूरी तरह से निजी हवाई कंपनियों के ही भरोसे होती है... हालांकि डीजीसीए की गाइडलाइन के आधार पर निजी कंपनियां फ्लाइंग करती हैं लेकिन कई बार  केदारनाथ से ही निजी कंपनियों के नियमों से इतर असुरक्षित फ्लाइंग की खबर भी मिलती रही है। ऐसे में यही कहेंगे कि पायलट समेत तीन लोगों की दुर्घटना में मौत के बाद माननीयों की सुरक्षा की चिंता तो शासन ने कर ली लेकिन क्या आम लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ ना हो इसके लिए निजी कंपनियां भी उतनी ही गंभीर होंगी




Conclusion:प्रदेश में अब तक कई हेलीकॉप्टर्स दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं जिसमें कई लोगों की जान भी गई है... सवाल यह है कि पिछली दुर्घटनाओं से निजी हवाई कंपनियों ने क्या सीखा और उन पर हुई जांच की रिपोर्ट के आधार पर शासन या डीजीसीए के स्तर पर क्या कार्यवाही की गई है।
Last Updated : Aug 22, 2019, 11:06 PM IST
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