कोटद्वार/कालाढूंगी/हल्द्वानी/ऋषिकेश/बेरीनाग/चंपावत/रुड़की/रुद्रप्रयाग/नैनीतालः उत्तराखंड में जनरल-ओबीसी इंप्लॉइज एसोसिएशन के बैनर तले कर्मचारियों का एक सूत्रीय मांग को लेकर बीते दो मार्च से अनिश्चितकालीन धरना-प्रर्दशन जारी है. कर्मचारी पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे हैं. इसी कड़ी में प्रदेशभर में कर्मचारियों ने आकस्मिक सेवाओं का बहिष्कार किया और सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. वहीं, कर्मचारियों के इस आंदोलन को अब धीरे-धीरे जन प्रतिनिधियों का भी समर्थन मिलने लगा है. उधर, आकस्मिक सेवाओं के बाधित होने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
कोटद्वार
कोटद्वार में प्रमोशन में आरक्षण के विरोध में कर्मचारियों ने तहसील परिसर में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही आकस्मिक सेवाओं का भी पूर्ण रूप से बहिष्कार किया. इस दौरान कर्मचारियों ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण योग्यता के आधार पर होना चाहिए. प्रदेश संयोजक सरदार नरेश सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य, ट्रेजरी, परिवहन, विद्युत विभाग, जल संस्थान समेत सभी आकस्मिक सेवाएं में जनरल-ओबीसी कर्मचारियों ने अपने हाथ पीछे कर लिए हैं, जिसका सीधा असर अब आम जनता पर पड़ेगा.
कालाढूंगी
प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ जनरल ओबीसी कर्मचारियों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. कालाढूंगी में जनरल-ओबीसी इंप्लॉइज एसोसिएशन से जुड़े कर्मचारियों ने आवश्यक सेवाओं को बंद कर दिया है. जबिक, कर्मचारियों के इस आंदोलन को अब जन प्रतिनिधियों का भी समर्थन मिलने लगा है. हवालबाग ब्लॉक प्रमुख बबीता भाकुनी समेत दर्जनों क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन दिया है. ब्लॉक प्रमुख बबीता भाकुनी ने कहा कि कर्मचारियों की मांगे जायज हैं. जिसे सरकार को जल्द से जल्द मान लेना चाहिए.
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हल्द्वानी
हल्द्वानी के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस परिसर में जनरल-ओबीसी इंप्लॉइज एसोसिएशन के बैनर तले कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन 11वें दिन भी जारी रहा. विद्युत विभाग, जल संस्थान के कर्मचारियों ने भी आवश्यक सेवा छोड़ हड़ताल पर चले गए हैं, जबकि अस्पतालों में लगे कर्मचारियों ने भी सुबह 2 घंटे का कार्य बहिष्कार कर एसोसिएशन को अपना समर्थन दिया.
ऋषिकेश
ऋषिकेश में भी कर्मचारियों ने रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया. रैली में 23 विभाग के कर्मचारी शामिल हुए. साथ ही एसोसिएशन से जुड़े कर्मचारियों ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा. ऋषिकेश शाखा के अध्यक्ष बंशीधर चांदपुरी कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
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बेरीनाग
बेरीनाग सामान्य-ओबीसी कर्मचारी संगठन के अनिश्चितकालीन हड़ताल का असर सीधे जनता पर भी पड़ रहा है. कर्मचारियों की हड़तालों से कई ऑफिसों में ताले लटक गए हैं तो कहीं ऑफिसों में कार्य करने वाले कर्मचारी नहीं है. ज्यादातार ऑफिसों में खाली कुर्सियां ही देखने को मिल रही है. जिससे दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों से सरकारी कार्यालयों में अपने जरूरी काम के लिए पहुंच रहे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
चंपावत
चंपावत पदोन्नति में आरक्षण हटाने को लेकर जारी आंदोलन को एएनएम संगठन का समर्थन मिल गया है. इसी कड़ी गुरुवार को एएनएम संगठन ने आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए जिलाध्यक्ष नारायणी बिष्ट के नेतृत्व में सभी एएनएम ने कलेक्ट्रेट में धरना दिया. इतना ही नहीं होली के अवकाश के बाद संगठन ने विकास भवन समेत अन्य सरकारी संस्थानों में छापेमारी की. इस दौरान जो कर्मचारी काम कर रहे थे, उन्हें चेतावनी देकर धरनास्थल पर आने के लिए कहा.
रुड़की
पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर रुड़की में भी सिंचाई विभाग के सैकड़ों कर्मचारी हडताल पर बैठे रहे. कर्मचारियों ने सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा सरकार के इस रवैये से कर्मचारियों में भारी रोष है. ऐसे में उन्हें मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ रहा है. वहीं, विभिन्न कार्यालयों में पहुंचे फरियादियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग जिले में कर्मचारियों की हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला. इस दौरान जिला चिकित्सालय में कर्मचारियों ने दो घंटे तक कार्य बाधित रखा. जिससे लोगों का काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वहीं, सरकारी कार्यालयों में पहुंच रहे जनता को मायूस होकर लौटना पड़ा. जबकि, सप्लाई इंस्पेक्टर प्रमोशन में आरक्षण के विरोध में खडे़ हो गए हैं. एसोसिएशन ने न्याय की लड़ाई में प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटने की चेतावनी दी है.
नैनीताल
उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लॉइज एसोसिएशन के बैनर तले कर्मचारियों ने डीएम परिसर से गांधी पार्क तक रैली निकालकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. रैली का आयोजन कलक्ट्रेट धरनास्थल से शुरू होकर नैनीताल रोड होते हुए गांधी पार्क पहुंचा. इस दौरान कर्मचारियों ने कहा कि संवैधानिक रूप से न्याय व्यवस्था की सर्वोच्च संस्था ने पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने के आदेश दिए हैं, लेकिन राज्य सरकार अपनी हठधर्मिता के कारण इसे लागू नहीं कर रही हैं.