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हरदा बने 'राजनैतिक नर्तक', कोरोनाकाल में खोज रहे 'घुंघरू की थिरकन'

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. आए दिन नए-नए वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करके कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से अपना अनुभव साझा करते रहते हैं. इसी कड़ी में आज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्विटर पर लिखा कि मैं एक राजनैतिक नर्तक हूं. जिसके बाद सोशल मीडिया पर ये ट्वीट चर्चा का विषय बना हुआ है.

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हरीश रावत ने खुद को क्यों बताया राजनैतिक नर्तक
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Published : Jul 14, 2020, 11:30 AM IST

Updated : Jul 14, 2020, 11:51 AM IST

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक दिलचस्प ट्वीट किया है. हरदा ने खुद को राजनैतिक नर्तक बताते हुये अपनी चुनावी हार और जीत को घुंघरू और नृत्य से जोड़ा है. उन्होंने कहा है कि सच ये है कि वो जितने चुनाव जीते हैं, अब उससे एकाध ज्यादा हार गये हैं.

हरदा आगे लिखते हैं- 'घुंघरू के कुछ दाने टूट गये, तो इससे नर्तक के पांव थिरकना नहीं छोड़ते हैं. सामाजिक और राजनैतिक धुन कहीं भी बजेगी, कहीं भी संगीत के स्वर उभरेंगे तो हरीश रावत के पांव थिरकेंगे. समझ नहीं पा रहा हूं कि, किस मंदिर में जाऊं और कौन सा नृत्य करूं कि, मेरे खबरची भाई, मेरे उत्तराखंड के भाई-बहन. अपने-पराए, सबको मेरा नृत्य अच्छा लगे. खैर कोरोनाकाल में मैं, नृत्य की उस थिरकन को खोज रहा हूं.'

ये भी पढ़ें: हरीश रावत रावत ने मारा ताना- भाजपा सरकार दूसरों की सलाह नहीं सुनती

हरदा के इस ट्वीट में उनके विधानसभा चुनाव हारने की टीस साफ दिखाई दे रही है. बातों-बातों में हरीश रावत ने अपने इरादे साफ कर दिये हैं. हरीश रावत की इस पोस्ट के मायने ये हैं कि वो आगे चुनाव लड़ने की तैयारी और जनता को रिझाने की कोशिशों में लगे हैं ताकि जनता का ध्यान कभी तो हरीश रावत तक पहुंचे.

इधर कोरोना काल में हरीश रावत हालांकि बहुत ज्यादा सक्रिय हैं. अभी उन्होंने देहरादून में बैलगाड़ी पर बैठकर डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन किया था. हरीश रावत राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार के कामकाज पर भी समय-समय पर सवाल उठाते रहे हैं.

हरीश रावत समय-समय पर कई रूपों में सामने आते रहे हैं. कभी वो जलेबी छानने लगते हैं. कभी चाय बनाते हैं. कभी रायता बेचने लगते हैं. हरदा जानते हैं कि किस समय किस तरह से जनता में चर्चा का विषय बनना है. इसलिए वो खुद को समय के अनुरूप ढाल लेते हैं.

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक दिलचस्प ट्वीट किया है. हरदा ने खुद को राजनैतिक नर्तक बताते हुये अपनी चुनावी हार और जीत को घुंघरू और नृत्य से जोड़ा है. उन्होंने कहा है कि सच ये है कि वो जितने चुनाव जीते हैं, अब उससे एकाध ज्यादा हार गये हैं.

हरदा आगे लिखते हैं- 'घुंघरू के कुछ दाने टूट गये, तो इससे नर्तक के पांव थिरकना नहीं छोड़ते हैं. सामाजिक और राजनैतिक धुन कहीं भी बजेगी, कहीं भी संगीत के स्वर उभरेंगे तो हरीश रावत के पांव थिरकेंगे. समझ नहीं पा रहा हूं कि, किस मंदिर में जाऊं और कौन सा नृत्य करूं कि, मेरे खबरची भाई, मेरे उत्तराखंड के भाई-बहन. अपने-पराए, सबको मेरा नृत्य अच्छा लगे. खैर कोरोनाकाल में मैं, नृत्य की उस थिरकन को खोज रहा हूं.'

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हरदा के इस ट्वीट में उनके विधानसभा चुनाव हारने की टीस साफ दिखाई दे रही है. बातों-बातों में हरीश रावत ने अपने इरादे साफ कर दिये हैं. हरीश रावत की इस पोस्ट के मायने ये हैं कि वो आगे चुनाव लड़ने की तैयारी और जनता को रिझाने की कोशिशों में लगे हैं ताकि जनता का ध्यान कभी तो हरीश रावत तक पहुंचे.

इधर कोरोना काल में हरीश रावत हालांकि बहुत ज्यादा सक्रिय हैं. अभी उन्होंने देहरादून में बैलगाड़ी पर बैठकर डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन किया था. हरीश रावत राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार के कामकाज पर भी समय-समय पर सवाल उठाते रहे हैं.

हरीश रावत समय-समय पर कई रूपों में सामने आते रहे हैं. कभी वो जलेबी छानने लगते हैं. कभी चाय बनाते हैं. कभी रायता बेचने लगते हैं. हरदा जानते हैं कि किस समय किस तरह से जनता में चर्चा का विषय बनना है. इसलिए वो खुद को समय के अनुरूप ढाल लेते हैं.

Last Updated : Jul 14, 2020, 11:51 AM IST
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