देहरादून: एक तरफ कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच लॉकडाउन की मार तो वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स में बिक रही एनसीईआरटी की किताबों के चलते स्थानीय बुक विक्रेताओं को खासा नुकसान हो रहा है. वर्तमान में स्थिति कुछ यह है कि शहर के जिन जाने-माने बुक स्टोर्स में कभी पैर रखने तक की जगह नहीं हुआ करती थी, आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए स्थानीय बुक विक्रेताओं ने बताया कि इस बार कोरोना संकटकाल में उनके व्यापार पर काफी गहरा असर पड़ा है. विशेषकर एनसीईआरटी की किताबों की बात करें तो इनकी डिमांड में 60% तक गिरावट हो चुकी है. जिसके पीछे के दो प्रमुख कारण हैं. पहला कारण ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स हैं, जिनमें भारी डिस्काउंट पर एनसीईआरटी की किताबें बेची जा रही हैं. वहीं दूसरा कारण बच्चों द्वारा सेकंड हैंड किताबों का इस्तेमाल करना है. जिसका असर उनके व्यापार पर पड़ा है.
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गौरतलब है कि अभिभावक कोरोना संकटकाल में बाजार की जगह ऑनलाइन शॉपिंग साइट से भारी डिस्काउंट पर अपने बच्चों के लिए एनसीईआरटी की किताबें खरीद रहे हैं. इस बीच कई बार अभिभावकों तक नकली एनसीईआरटी की किताबें भी पहुंच रही हैं. भले ही देहरादून के बाजारों में एनसीईआरटी की नकली किताबों की कोई मामला सामने नहीं आया है, मगर ऑनलाइन साइट्स पर एनसीईआरटी की नकली किताबें बेची जा रही हैं.
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स्थानीय बुक विक्रेताओं की माने तो अभिभावकों को ऑनलाइन किताब खरीदने पर किताब में दिए गए पब्लिशर का नाम और होलोग्राम को अच्छे से जांच लेना चाहिए. इसके अलावा यह बात भी गौर करने वाली है कि एनसीईआरटी की किताबों के हर पन्ने में एनसीईआरटी का वॉटरमार्क लगा होता है.
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हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ में अवैध किताबों के कारोबार का भंडाफोड़ हुआ था. ऐसे में उत्तराखंड के किताब विक्रेताओं में भी हड़कंप मचा हुआ है. बता दें कि देहरादून में एनसीईआरटी किताबों के दो डिस्ट्रीब्यूटर हैं. जिनके माध्यम से शहर के हर बुक विक्रेता तक ये किताबें सप्लाई की जाती हैं.