देहरादून: इन दिनों वन विभाग वन्य जीव सप्ताह बड़े जोर-शोर से मना रहा है. ऐसे में वन्यजीवों और मानव के बीच हो रहे संघर्ष और उनकी सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल उठते रहते हैं. इसके साथ ही उत्तराखंड के वनों में रहने वाले वन्यजीवों पर शिकारी और तस्करों की कारगुजारियों का हमेशा भय बना रहता है. ऐसे में वन महकमे ने वन्यजीवों को बचाने के लिए जन सहयोग की अपील की है.
उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक जयपाल ने कहा कि वन्यजीवों को शिकारियों से बचाने के लिए सारी कवायद है, जिसमें एक्ट के साथ ही तमाम प्लान्स मौजूद हैं. अगर टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क या जंगलों की बात की जाये तो वन विभाग के पास तमाम तरह के वर्किंग और मैनेजमेंट प्लान मौजूद हैं, जिनके तहत वन्यजीवों को बचाने के लिए पूरी कवायद की जाती है.
उन्होंने कहा कि ये कहना नाकाफी है कि वन्यजीवों को कोई सरकारी विभाग बचा लेगा. जंगल हमारे लिए बेहद बड़ी धरोहर और खुली संपत्ति हैं, जिसको ताले में बंद नहीं रखा जा सकता. जब तक वन्य जीव को बचाने के लिए जनता साथ नहीं खड़ी होगी तब तक विभाग अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाएगा.
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अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील
वन्य जीव संरक्षक ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अगर हिंदुस्तान के किसी कोने में कोई घटना घटती है तो उसे उत्तराखंड का नाम दे दिया जाता है. आजकल सोशल मीडिया में यह दिखाया जा रहा है कि एक हाथी की ट्रेन दुर्घटना में मौत हो गई है.
उस घटना को उत्तराखंड की घटना के रूप में दिखाया जा रहा है, जबकि यह घटना वेस्ट बंगाल के सिलीगुड़ी में घटित हुई थी. ऐसी घटनाओं का मुंहतोड़ जवाब देने के वन विभाग फेसबुक के जरिये लोगों को समझाता है कि ये बात गलत है. लोग हमेशा सजग रहें.