देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ग्रेड-पे का मामला मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद आखिरकार धड़ाम हो गया. सरकार द्वारा इस मामले में तमाम जद्दोजहद के बाद शनिवार दोपहर चुनाव आचार संहिता से ठीक पहले ग्रेड-पे से संबंधित पुलिसकर्मियों को झुनझुना पकड़ाते हुए मात्र एकमुश्त दो-दो लाख रुपये देने का शासनादेश जारी कर दिया है. यानी अब पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड-पे नहीं मिलेगा.
सरकार के इस फैसले से ग्रेड-पे से प्रभावित परिजनों की आखिरी उम्मीद भी टूटती नजर आयी. इस मामले में बीते 21 अक्टूबर 2021 को पुलिस स्मृति परेड के दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा वर्ष 2001 में भर्ती पुलिस जवानों का 4600 ग्रेड पर लागू करने की घोषणा की गई थी. मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद महीनों तक शासनादेश जारी नहीं हुआ. जिसके चलते पुलिस परिजन सड़क पर कई बार उतरे, हर बार उन्हें आश्वासन दिया गया.
कुछ दिन पहले ही उन्हें चुनाव आचार संहिता लगने से पहले ग्रेड-पे का शासनादेश जारी करने का आखिरी आश्वासन दिया गया, जो आज टूट गया. ऐसे में प्रभावित पुलिसकर्मी बेहद नाराज हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पुलिस ग्रेड-पे का मामला चुनावी मुद्दा भी बन सकता है. दूसरी तरफ चुनाव में मौजूदा भाजपा पार्टी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है.
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बता दें पुलिस विभाग में वर्ष 2001 में भर्ती और 20 साल सेवारत लगभग 1500 से अधिक पुलिसकर्मियों की 4600 ग्रेड-पे करने की मांग लंबे समय से चल रही थी. प्रभावित पुलिसकर्मियों के परिजनों के सड़कों पर उतरने के बाद बीते 21 अक्टूबर 2021 को पुलिस शहीदी दिवस परेड के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्ष 2001 में भर्ती पुलिस जवानों के 4600 ग्रेड पे को लागू करने की घोषणा की. मगर लगातार आश्वासन के बावजूद पुलिस परिजनों को आखिरकार ग्रेड-पे नहीं दिया गया.