ETV Bharat / state

'नाला' बनी रिस्पना का पानी पीने तो छोड़िए नहाने लायक भी नहीं!, ETV BHARAT की टेस्टिंग रिपोर्ट देखिए - देहरादून न्यूज

Rispana river water sample report पूर्व की सरकार ने रिस्पना नदी को साफ करने के लिए जिस अभियान की शुरूआत की थी, उसकी क्या है हालत है, पहले रिपोर्ट में ईटीवी भारत ने आपको उससे अवगत कराया था. वहीं ईटीवी भारत आपको रिस्पना नदी के पानी की क्वालिटी के बारे में बताने जा रहा है. ईटीवी भारत ने खुद अलग-अलग जगहों से रिस्पना नदी के पानी के सैंपल लिए और उनका टेस्ट कराया है. आपको जानकार ताज्जुब होगा कि रिस्पना नदी का पानी पीने तो छोड़िए नहाने के लायक भी नहीं है. Rispana river water not even fit for bathing

Rispana river
Rispana river
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 6, 2023, 1:25 PM IST

Updated : Oct 7, 2023, 2:43 PM IST

'नाला' बनी रिस्पना का पानी पीने तो छोड़िए नहाने लायक भी नहीं!

देहरादून: नदियों का प्रदूषण भारत के लिए हमेशा एक बड़ी चिंता रहा है. शायद इसीलिए गंगा की स्वच्छता से शुरू हुआ अभियान अब धीरे धीरे बाकी नदियों पर भी आगे बढ़ रहा है, लेकिन ग्राउंड पर उसका ज्यादा असर दिख नहीं रहा है. देहरादून के शहर के बीचोंबीच से बह रही रिस्पना नदी को साफ करने के लिए अभियान चलाया गया था, लेकिन वो अभियान कितना कामयाब हुआ आज सबके सामने है. ईटीवी भारत आज आपको बताने जा रहा है कि रिस्पना नदी का प्रदूषित पानी न सिर्फ इंसानों, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है.

नदियों के किनारे मानव सभ्यताओं का जन्म भी हुआ और विकास भी. नदियां केवल इंसानी जीवन के लिए ही उपयोगी नहीं बल्कि इसका महत्व पेड़, पौधे, वनस्पतियां और जीव-जंतुओं के लिए भी उतना ही है जितना इंसानों के लिए. हालांकि समय के साथ कई नदियां अपना स्वरूप खोती जा रही हैं. इन्हीं में से एक देहरादून की रिस्पना नदी है.

Rispana river
ईटीवी भारत के संवाददाता नवीन उनियाल की रिपोर्ट....
पढ़ें- देहरादून रिस्पना STP पर लगा प्रश्न चिह्न, करोड़ों खर्च के बाद भी साफ नहीं हुई नदी, ट्रीट वाटर का भी नहीं हो रहा इस्तेमाल

जीवन दायिनी रिस्पना: देहरादून की रिस्पना को कभी जीवन दायिनी नदी कहा जाता था, जिसका पानी कभी पीने योग्य था, आज उसके अस्तिव पर खतरा मंडरा रहा है. वैसे तो सरकार ने रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चलाकर करोड़ों रुपए खर्च भी किए, लेकिन सरकार के इन प्रयासों का असर जमीन पर नहीं दिखा.

रिस्पना नदी की हकीकत: ईटीवी भारत की रिस्पना नदी में जाती गंदगी को लेकर पहली रिपोर्ट के बाद अब हमारा प्रयास यह था कि रिस्पना नदी में होते प्रदूषण को वैज्ञानिक जांच के आधार पर भी समझा जाए. लिहाजा हमने खुद से ही रिस्पना नदी में बहते पानी का लैब में टेस्ट कराने का फैसला लिया. इसके लिए हमने तीन सैंपल लिए. पहला सैंपल एसटीपी प्लांट के ट्रीटमेंट वाले पानी का था. दूसरा नदी का और तीसरा सैंपल सीवर से नदी में आने वाले पानी का था.

Rispana river
रिस्पना नदी.
पढ़ें- बागेश्वर: प्रदूषित हो रही सरयू और गोमती नदी, कुंभकरण नींद में सोए अधिकारी

ईटीवी भारत का प्रयास: पानी की क्वालिटी को जानने के लिए इसकी टेस्टिंग को लेकर हमने बात की People's Science Institute से. संस्थान ने भी सैंपल टेस्टिंग की हामी भरी और इसके सैंपल ईटीवी भारत को ओर से उन्हें दिए गए.

dehradun
ETV BHARAT की टेस्टिंग रिपोर्ट

चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने: सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद बेहद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. रिपोर्ट में STP से ट्रीटेड पानी की स्थिति ठीक पाई गई. लेकिन नदी का पानी काफी ज्यादा प्रदूषित मिला और सीवर का नदी में जाता पानी तो क्वालिटी टेस्ट में बेहद खराब स्थिति में पाया गया. नदी के पानी में टोटल सस्पेंड सॉलिड्स यानी TSS की मात्रा 158MG/L थी, जबकि नदी में गिर रहे सीवर के पानी में इसकी मात्रा 5739 MG/L थी. मानक के अनुसार ये 100MG/L तक होना चाहिए.

Rispana river
ईटीवी भारत ने देहरादून में कई जगहों से रिस्पना नदी के पानी के सैंपल लेकर टेस्ट कराया.

पीने तो दूर नहाने के लायक भी नहीं पानी: इसके अलावा बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी BOD भी सीवर के पानी में तय मानक से ज्यादा पाई गई. इस स्थिति को लेकर वाटर क्वालिटी पर काम करने वाले पीपल्स साइंस इंस्टिट्यूट के रिसर्च वैज्ञानिक डॉ इकबाल अहमद बताते हैं कि इस पानी का उपयोग इंसानों के पीने के लिए नहीं हो सकता. यही नहीं इंसानों के नहाने के लिए भी इस पानी का प्रयोग करने पर बीमारी का खतरा हो सकता है. वैज्ञानिक डॉ इकबाल अहमद के मुताबिक ये पानी सिर्फ कंस्ट्रक्शन के कार्यों में ही इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं जो पानी ट्रीटमेंट के बाद नदी में छोड़ा जा रहा है, उसका प्रयोग उद्यान या कृषि में सिंचाई में किया जा सकता है.
पढ़ें- पहाड़ों से उतरते ही दूषित हो रही मां गंगा, नमामि गंगे योजना पर उठ रहे सवाल

RO प्लांट से पानी किया जा सकता है शुद्ध: पीपल साइंस इंस्टीट्यूट पानी की शुद्धता को लेकर देशभर की तमाम नदियों का अध्ययन करता रहा है. रिपोर्ट के आधार पर इंस्टिट्यूट के रिसर्च वैज्ञानिक कहते हैं कि जिस पानी को STP के माध्यम से साफ किया जा रहा है, उसकी क्वालिटी नदी के पानी से काफी बेहतर है और RO प्लांट के माध्यम से इसे पीने योग्य शुद्ध पानी बनाया जा सकता है.

Rispana river
देहरादून में रिस्पना नदी में फैली गंदगी..

वैज्ञानिक डॉ इकबाल अहमद बताते हैं कि सीवर का पानी इसमें गिरने से नदी और प्रदूषित हो रही है. यह इंसान और वन्यजीवों के लिए भी दिक्कत पैदा कर सकती है. वैसे यह वही नदी है जिसे स्वच्छ करने के लिए तमाम सरकारें कई प्रोजेक्ट तैयार करती रही हैं. ये नदी राजपुर से शुरू होकर मोथरावाला तक पहुंचती है. इसके बाद ये बिंदाल नदी के साथ मिलकर रिस्पना सुसवा नदी का रूप ले लेती है.

रिस्पना के किनारे सबसे ज्यादा मलिन बस्तियां: जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार देहरादून में सबसे ज्यादा मलिन बस्तियां रिस्पना पर ही मौजूद हैं. इन बस्तियों में सीवरेज से लेकर टॉयलेट तक की सामान्य सुविधाएं भी कई जगह नहीं बनायी गयी हैं. बहरहाल इसपर सरकार काम कर रही है, लेकिन नदी का उद्धार नहीं हो पा रहा है.
पढ़ें- बनारसी साड़ियों का रंग गंगा को बना रहा मैला, जहरीली होती जा रही नदी, 35 फैक्ट्रियों को नोटिस

रिस्पना की गंदगी का पीएम भी कर चुके हैं जिक्र: बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साल 2017 में मन की बात कार्यक्रम में रिस्पना की गंदगी का जिक्र किया था. दरअसल, साल 2017 में मलिन बस्ती में रहने वाली 11वीं की छात्रा गायत्री ने रिस्पना नदी की गंदगी को लेकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसका जिक्र पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में किया था और बेटी गायत्री की चिंता पर उसकी सोच की तारीफ की थी और नदी की स्वच्छता के लिए सभी से सहयोग के लिए भी कहा था. हालांकि इसके बाद सरकार ने रिस्पना नदी को साफ करने के लिए करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, लेकिन रिस्पना नदी की हालत जस की तस है.

जीव जंतुओं के लिए बड़ा खतरा: वाटर टेस्टिंग के दौरान रिस्पना नदी में प्रदूषण की जो मात्र मिली है, वह कई खतरों को बयां कर रही है. पशुपालन विभाग में चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ राकेश सिंह नेगी बताते हैं कि जीव जंतुओं को भी उतने ही स्वच्छ पानी की आवश्यकता होती है, जितना कि इंसानों को.
पढ़ें- GROUND REPORT: गंगोत्री धाम में ही गंगा मैया हो रही दूषित, नदी में बहाया जा रहा सीवरेज

पालतू पशुओं को भी शुद्ध पानी की जरूरत: जानवरों का उसके रहन-सहन के लिहाज से इम्यूनिटी सिस्टम ज्यादा बेहतर होता है और इसीलिए कम शुद्ध पानी से भी उन्हें नुकसान नहीं होता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वन्य जीव या पालतू पशुओं पर गंदा पानी कोई असर नहीं करता. प्रदूषित नदी को पीने से पालतू जानवरों को भी कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. उन जानवरों का दूध, मीट और अंडे का इस्तेमाल इंसान के लिए भी काफी हानिकारक हो सकता है.

दूषित पानी से वन्यजीवों का प्रजनन प्रभावित होता है: वहीं वन्य जीवों के सवाल पर डॉ राकेश सिंह नेगी ने बताया कि यदि बायोकेमिकल वेस्ट जैसे तत्व पानी में आते हैं और वन्यजीव उन्हें पीते हैं तो उनके प्रजनन पर भी इसका असर पड़ सकता है. हालांकि उनकी जानकारी में अभीतक इस तरह का कोई अध्ययन वन्यजीवों पर नहीं किया गया है.

वन्यजीवों पर अध्ययन की जरूरत: देहरादून में रिस्पना और बिंदाल जैसी प्रदूषित नदियों से बनने वाली सुसवा नदी भी राजाजी टाइगर रिजर्व के पास से होते हुए जाती है. ऐसे में वन्यजीवों के पानी के उपयोग की भी स्थिति बनी रहती है. इस हालत में जरूरत यह भी है कि प्रदूषित नदियों के उपयोग से वन्यजीवों में इसका किस तरह का असर हो रहा है, इसके लिए वृहद अध्ययन किया जाए.

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉक्टर साकेत बडोला कहते हैं कि निश्चित रूप से प्रदूषित नदियों के पानी से वन्यजीवों को नुकसान हो सकता है और जिस तरह से ईटीवी भारत ने सैंपल के माध्यम से नदी के प्रदूषण को सामने लाने की कोशिश की है, उसके बाद राजाजी टाइगर रिजर्व में आने वाली नदी को लेकर अध्ययन की जरूरत दिखाई दे रही है.

'नाला' बनी रिस्पना का पानी पीने तो छोड़िए नहाने लायक भी नहीं!

देहरादून: नदियों का प्रदूषण भारत के लिए हमेशा एक बड़ी चिंता रहा है. शायद इसीलिए गंगा की स्वच्छता से शुरू हुआ अभियान अब धीरे धीरे बाकी नदियों पर भी आगे बढ़ रहा है, लेकिन ग्राउंड पर उसका ज्यादा असर दिख नहीं रहा है. देहरादून के शहर के बीचोंबीच से बह रही रिस्पना नदी को साफ करने के लिए अभियान चलाया गया था, लेकिन वो अभियान कितना कामयाब हुआ आज सबके सामने है. ईटीवी भारत आज आपको बताने जा रहा है कि रिस्पना नदी का प्रदूषित पानी न सिर्फ इंसानों, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है.

नदियों के किनारे मानव सभ्यताओं का जन्म भी हुआ और विकास भी. नदियां केवल इंसानी जीवन के लिए ही उपयोगी नहीं बल्कि इसका महत्व पेड़, पौधे, वनस्पतियां और जीव-जंतुओं के लिए भी उतना ही है जितना इंसानों के लिए. हालांकि समय के साथ कई नदियां अपना स्वरूप खोती जा रही हैं. इन्हीं में से एक देहरादून की रिस्पना नदी है.

Rispana river
ईटीवी भारत के संवाददाता नवीन उनियाल की रिपोर्ट....
पढ़ें- देहरादून रिस्पना STP पर लगा प्रश्न चिह्न, करोड़ों खर्च के बाद भी साफ नहीं हुई नदी, ट्रीट वाटर का भी नहीं हो रहा इस्तेमाल

जीवन दायिनी रिस्पना: देहरादून की रिस्पना को कभी जीवन दायिनी नदी कहा जाता था, जिसका पानी कभी पीने योग्य था, आज उसके अस्तिव पर खतरा मंडरा रहा है. वैसे तो सरकार ने रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चलाकर करोड़ों रुपए खर्च भी किए, लेकिन सरकार के इन प्रयासों का असर जमीन पर नहीं दिखा.

रिस्पना नदी की हकीकत: ईटीवी भारत की रिस्पना नदी में जाती गंदगी को लेकर पहली रिपोर्ट के बाद अब हमारा प्रयास यह था कि रिस्पना नदी में होते प्रदूषण को वैज्ञानिक जांच के आधार पर भी समझा जाए. लिहाजा हमने खुद से ही रिस्पना नदी में बहते पानी का लैब में टेस्ट कराने का फैसला लिया. इसके लिए हमने तीन सैंपल लिए. पहला सैंपल एसटीपी प्लांट के ट्रीटमेंट वाले पानी का था. दूसरा नदी का और तीसरा सैंपल सीवर से नदी में आने वाले पानी का था.

Rispana river
रिस्पना नदी.
पढ़ें- बागेश्वर: प्रदूषित हो रही सरयू और गोमती नदी, कुंभकरण नींद में सोए अधिकारी

ईटीवी भारत का प्रयास: पानी की क्वालिटी को जानने के लिए इसकी टेस्टिंग को लेकर हमने बात की People's Science Institute से. संस्थान ने भी सैंपल टेस्टिंग की हामी भरी और इसके सैंपल ईटीवी भारत को ओर से उन्हें दिए गए.

dehradun
ETV BHARAT की टेस्टिंग रिपोर्ट

चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने: सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद बेहद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. रिपोर्ट में STP से ट्रीटेड पानी की स्थिति ठीक पाई गई. लेकिन नदी का पानी काफी ज्यादा प्रदूषित मिला और सीवर का नदी में जाता पानी तो क्वालिटी टेस्ट में बेहद खराब स्थिति में पाया गया. नदी के पानी में टोटल सस्पेंड सॉलिड्स यानी TSS की मात्रा 158MG/L थी, जबकि नदी में गिर रहे सीवर के पानी में इसकी मात्रा 5739 MG/L थी. मानक के अनुसार ये 100MG/L तक होना चाहिए.

Rispana river
ईटीवी भारत ने देहरादून में कई जगहों से रिस्पना नदी के पानी के सैंपल लेकर टेस्ट कराया.

पीने तो दूर नहाने के लायक भी नहीं पानी: इसके अलावा बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी BOD भी सीवर के पानी में तय मानक से ज्यादा पाई गई. इस स्थिति को लेकर वाटर क्वालिटी पर काम करने वाले पीपल्स साइंस इंस्टिट्यूट के रिसर्च वैज्ञानिक डॉ इकबाल अहमद बताते हैं कि इस पानी का उपयोग इंसानों के पीने के लिए नहीं हो सकता. यही नहीं इंसानों के नहाने के लिए भी इस पानी का प्रयोग करने पर बीमारी का खतरा हो सकता है. वैज्ञानिक डॉ इकबाल अहमद के मुताबिक ये पानी सिर्फ कंस्ट्रक्शन के कार्यों में ही इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं जो पानी ट्रीटमेंट के बाद नदी में छोड़ा जा रहा है, उसका प्रयोग उद्यान या कृषि में सिंचाई में किया जा सकता है.
पढ़ें- पहाड़ों से उतरते ही दूषित हो रही मां गंगा, नमामि गंगे योजना पर उठ रहे सवाल

RO प्लांट से पानी किया जा सकता है शुद्ध: पीपल साइंस इंस्टीट्यूट पानी की शुद्धता को लेकर देशभर की तमाम नदियों का अध्ययन करता रहा है. रिपोर्ट के आधार पर इंस्टिट्यूट के रिसर्च वैज्ञानिक कहते हैं कि जिस पानी को STP के माध्यम से साफ किया जा रहा है, उसकी क्वालिटी नदी के पानी से काफी बेहतर है और RO प्लांट के माध्यम से इसे पीने योग्य शुद्ध पानी बनाया जा सकता है.

Rispana river
देहरादून में रिस्पना नदी में फैली गंदगी..

वैज्ञानिक डॉ इकबाल अहमद बताते हैं कि सीवर का पानी इसमें गिरने से नदी और प्रदूषित हो रही है. यह इंसान और वन्यजीवों के लिए भी दिक्कत पैदा कर सकती है. वैसे यह वही नदी है जिसे स्वच्छ करने के लिए तमाम सरकारें कई प्रोजेक्ट तैयार करती रही हैं. ये नदी राजपुर से शुरू होकर मोथरावाला तक पहुंचती है. इसके बाद ये बिंदाल नदी के साथ मिलकर रिस्पना सुसवा नदी का रूप ले लेती है.

रिस्पना के किनारे सबसे ज्यादा मलिन बस्तियां: जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार देहरादून में सबसे ज्यादा मलिन बस्तियां रिस्पना पर ही मौजूद हैं. इन बस्तियों में सीवरेज से लेकर टॉयलेट तक की सामान्य सुविधाएं भी कई जगह नहीं बनायी गयी हैं. बहरहाल इसपर सरकार काम कर रही है, लेकिन नदी का उद्धार नहीं हो पा रहा है.
पढ़ें- बनारसी साड़ियों का रंग गंगा को बना रहा मैला, जहरीली होती जा रही नदी, 35 फैक्ट्रियों को नोटिस

रिस्पना की गंदगी का पीएम भी कर चुके हैं जिक्र: बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साल 2017 में मन की बात कार्यक्रम में रिस्पना की गंदगी का जिक्र किया था. दरअसल, साल 2017 में मलिन बस्ती में रहने वाली 11वीं की छात्रा गायत्री ने रिस्पना नदी की गंदगी को लेकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसका जिक्र पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में किया था और बेटी गायत्री की चिंता पर उसकी सोच की तारीफ की थी और नदी की स्वच्छता के लिए सभी से सहयोग के लिए भी कहा था. हालांकि इसके बाद सरकार ने रिस्पना नदी को साफ करने के लिए करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, लेकिन रिस्पना नदी की हालत जस की तस है.

जीव जंतुओं के लिए बड़ा खतरा: वाटर टेस्टिंग के दौरान रिस्पना नदी में प्रदूषण की जो मात्र मिली है, वह कई खतरों को बयां कर रही है. पशुपालन विभाग में चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ राकेश सिंह नेगी बताते हैं कि जीव जंतुओं को भी उतने ही स्वच्छ पानी की आवश्यकता होती है, जितना कि इंसानों को.
पढ़ें- GROUND REPORT: गंगोत्री धाम में ही गंगा मैया हो रही दूषित, नदी में बहाया जा रहा सीवरेज

पालतू पशुओं को भी शुद्ध पानी की जरूरत: जानवरों का उसके रहन-सहन के लिहाज से इम्यूनिटी सिस्टम ज्यादा बेहतर होता है और इसीलिए कम शुद्ध पानी से भी उन्हें नुकसान नहीं होता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वन्य जीव या पालतू पशुओं पर गंदा पानी कोई असर नहीं करता. प्रदूषित नदी को पीने से पालतू जानवरों को भी कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. उन जानवरों का दूध, मीट और अंडे का इस्तेमाल इंसान के लिए भी काफी हानिकारक हो सकता है.

दूषित पानी से वन्यजीवों का प्रजनन प्रभावित होता है: वहीं वन्य जीवों के सवाल पर डॉ राकेश सिंह नेगी ने बताया कि यदि बायोकेमिकल वेस्ट जैसे तत्व पानी में आते हैं और वन्यजीव उन्हें पीते हैं तो उनके प्रजनन पर भी इसका असर पड़ सकता है. हालांकि उनकी जानकारी में अभीतक इस तरह का कोई अध्ययन वन्यजीवों पर नहीं किया गया है.

वन्यजीवों पर अध्ययन की जरूरत: देहरादून में रिस्पना और बिंदाल जैसी प्रदूषित नदियों से बनने वाली सुसवा नदी भी राजाजी टाइगर रिजर्व के पास से होते हुए जाती है. ऐसे में वन्यजीवों के पानी के उपयोग की भी स्थिति बनी रहती है. इस हालत में जरूरत यह भी है कि प्रदूषित नदियों के उपयोग से वन्यजीवों में इसका किस तरह का असर हो रहा है, इसके लिए वृहद अध्ययन किया जाए.

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉक्टर साकेत बडोला कहते हैं कि निश्चित रूप से प्रदूषित नदियों के पानी से वन्यजीवों को नुकसान हो सकता है और जिस तरह से ईटीवी भारत ने सैंपल के माध्यम से नदी के प्रदूषण को सामने लाने की कोशिश की है, उसके बाद राजाजी टाइगर रिजर्व में आने वाली नदी को लेकर अध्ययन की जरूरत दिखाई दे रही है.

Last Updated : Oct 7, 2023, 2:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.