देहरादून: जल पुरुष के नाम से विख्यात प्रसिद्ध पर्यावरणविद राजेंद्र सिंह (Environmentalist Rajendra Singh) ने ऑल वेदर रोड का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि विकास कार्य के नाम पर प्रदेश को एक और डिजास्टर नहीं चाहिए. उन्होंने ऑल वेदर रोड पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने चौड़ीकरण के नाम पर देवदार के हरे भरे वृक्ष का डाले. पहाड़ियों को काटकर मिट्टी नदी में डाली जा रही है. नदी में मिट्टी जमा होने से पानी भी ऊपर उठेगा और शहरों की ओर बढ़ेगा, जिससे बाढ़ और आपदा की समस्या बढ़ेगी.
जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक और सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से पहाड़ों के ऊपर सड़क बनाने की पैरवी की है. उन्होंने कहा कि सरकार चौड़ीकरण के नाम पर जितनी धनराशि खर्च कर रही है, उससे कम खर्चे में एक सेफ और इको फ्रेंडली रोड तैयार हो सकती है. ऐसे में सरकार को सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से पहाड़ियों के ऊपर एक नई रोड बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो रोड है वह जनता की रोड है ना कि सेना को ध्यान में रखकर बनाई गई सड़क.
राजेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार अगर बिना सोचे पुरानी रोड का चौड़ीकरण कर रही है, तो इससे लगातार सरकार के खर्चे बढ़ रहे हैं. सरकार सड़क चौड़ीकरण के नाम पर इकोलॉजिकल और एनवायरमेंटल डिजास्टर (environmental disaster) को आमंत्रित कर रही है.
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बता दें, 12 हजार करोड़ की 889 किलोमीटर लंबी चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 50 हजार से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं. लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड इन पेड़ों की संख्या 2 लाख के आसपास बताई जा रही है. ऐसे में यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है लेकिन सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पर्यावरणविद सरकार से नाराज हैं.
यही नहीं भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी और यमुना जैसी नदियों का जल हिमनद और इससे मिलने वाली छोटी नदियों झरनों पर आधारित है. इन्हीं नदियों के किनारों से होकर चारधाम के लिए पहले से ही 4 से 6 मीटर तक डामर वाली सड़क मौजूद है. अब इसे 10 से 24 मीटर तक चौड़ा करने की आड़ में संवेदनशील खड़े पहाड़ों की चट्टानों को काटकर टनों मलबे के साथ चौड़ीकरण के नाम पर सीधे गंगा और उसकी सहायक नदियों में उड़ेला जा रहा है.
क्या है ऑल वेदर रोड परियोजना: ऑल वेदर रोड यानी हर मौसम में खुली रहने वाले सड़कों के लिए बनाई जा रही है. इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. उन्होंने कहा कि था कि इस योजना को 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा लेकिन कुछ हिस्सों में निर्माण पर लगी रोक की वजह से परियोजना में देरी हो गई है. इस परियोजना के तहत उत्तराखंड की 889 किमी लम्बी सड़कों को डबल लेन किया जा रहा है. यह पूरा प्रोजेक्ट 12 हजार करोड़ का है.