देहरादून: पंचायती राज विभाग में पुनः बहाली की मांग को लेकर उत्तराखंड पंचायती राज आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने सहस्त्रधारा रोड स्थित धरना स्थल पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है. आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार ने बीते 5 दिसंबर को फिर से बहाली का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
आंदोलनकारियों का कहना है कि विभागीय मंत्री द्वारा उन्हें बहाली का आश्वासन दिया गया था, परंतु आज तक सचिव पंचायती राज द्वारा इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसलिए मजबूर होकर भूख हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि साल 2018 में पूरे प्रदेश भर में समस्त विकास खंडों में 95 कनिष्ठ अभियंता और 281 डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति पंचायती राज विभाग में आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से की गई थी.
कर्मचारियों का मानदेय ग्राम पंचायतों को आवंटित बजट की कंटीजेंसी के माध्यम से किया जाता था, लेकिन मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण काल में इन सभी कर्मचारियों को विभाग की तरफ से यह कहकर निकाल दिया गया कि आउटसोर्सिंग एजेंसी का बाँड खत्म हो गया है. इसके खिलाफ सभी कर्मचारी 23 अक्टूबर से एकता विहार में धरने पर बैठे हुए हैं. इस दौरान सरकार के किसी नुमाइंदे ने उनकी सुध नहीं ली. इसलिए मजबूरी में अब उन्हें अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जैसा कदम उठाना पड़ रहा है.
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आंदोलनकारियों का कहना है कि विभागीय मंत्री के सकारात्मक आश्वासन के बावजूद सचिव की तरफ से उनकी पुनः बहाली को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी बहाली नहीं होती है, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा. इसी कड़ी में शुक्रवार को विपिन रावत, मनीषा पंवार, राहुल लडोला और पशमीना रावत अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
क्या है कंटीजेंसी ?
विभाग अपने लाभ में से या अपने बजट में से कुछ धनराशि अलग रख लेता है. इस धनराशि को किसी मद के लिए फिक्स नहीं रखा जाता है. पंचायती राज विभाग में भी बजट से जो कंटीजेंसी की रकम थी उससे इन कर्मचारियों को मानदेय दिया जाता था.