देहरादून: उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद बिजली की खपत को पूरी करने में नाकाम साबित हो रहा है. ऊर्जा विभाग बिजली की खपत को पूरी करने के लिए तमाम जतन जरूर कर रहा है, लेकिन पिछले 23 सालों में अभी तक बिजली की खपत को पूरा करने के लिए बेहतर इंतजाम नहीं हो पाया है. आलम ये है कि ऊर्जा विभाग को बिजली की खपत पूरा करने के लिए गर्मियों के दौरान अन्य राज्यों से महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ती है. जिसका भार जनता की जेब पर पड़ता है.
2023 में हुई थी बिजली दरों में सबसे अधिक बढ़ोत्तरी : पिछले कुछ सालों के भीतर बिजली दरों की बढ़ोत्तरी पर गौर करें तो लगभग हर साल बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि अगले साल एक बार फिर जनता को बिजली का झटका लग सकता है. यूपीसीएल बिजली बढ़ोत्तरी के लिए 23 से 27 फीसदी दामों में वृद्धि का दावा कर रहा है. साल 2023 में पिछले दस सालों में सबसे अधिक 09.64 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है, जबकि साल 2009 में बिजली की दरों में सर्वाधिक 17 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई थी.
ऊर्जा विभाग ने विद्युत नियामक आयोग में दायर की याचिका: ऊर्जा विभाग आगामी साल करीब 23 से 27 फीसदी बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी का दावा कर रहा है. जिसके लिए ऊर्जा विभाग ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर की है. लिहाजा, यूपीसीएल की ओर से दायर की गई याचिका की नियामक आयोग समीक्षा करेगा. समीक्षा के बाद अगर याचिका ठीक हुई तो नियामक आयोग इसको सार्वजनिक करेगा. साथ ही आयोग जन सुनवाई कर सुझाव लेगा. जिसके आधार पर फिर यूपीसीएल और हितधारकों से बातचीत करने के बाद बिजली की दरों की बढ़ोत्तरी का निर्णय लेगा. जो निर्णय नियामक आयोग लेगा उसको यूपीसीएल एक अप्रैल 2024 से लागू कर देगा.
सीएम धामी बोले बिजली दरों में नहीं होगी बढ़ोत्तरी: प्रदेश में इन दिनों बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी का मामला चर्चाओं का विषय बना हुआ है. ऐसे में सीएम धामी ने कहा कि अभी फिलहाल बिजली की दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है. वहीं, ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि बिजली की दरों को विद्युत नियामक आयोग तय करता है. आयोग में बिजली की दरों को बढ़ाने के लिए याचिका दायर की गई है. इस साल खुले बाजार से काफी अधिक बिजली खरीदी गई है. ऐसे में बिजली की दरों के बढ़ने की संभावना है, लेकिन सरकार स्तर पर यह मंथन चल रहा है कि बिजली की दरों में कुछ रियायत दी जाए, ताकि जनता की जेब पर ज्यादा भार ना पड़े.
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अगर बिजली दरें बढ़ी, तो लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा असर: साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बिजली की दरों में फिलहाल बढ़ोत्तरी होने की संभावना कम जताई जा रही है. क्योंकि अगर बिजली की दरों में इस समय बढ़ोत्तरी हुई तो इसका असर आगामी चुनाव में पड़ने की संभावना भी है. यही वजह है कि सरकार फिलहाल बिजली की दरों की बढ़ोत्तरी पर पीछे खिसकती नजर आ रही है. लेकिन इस साल यूपीसीएल को बिजली खपत को पूरा करने के लिए महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ी है. यही वजह है कि यूपीसीएल बिजली की दरों में 23 से 27 फीसदी बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव भेजा है.