देहरादून: उत्तराखंड में पेपर लीक मामले में ईडी ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के तमाम आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी की कार्रवाई के साथ-साथ 1.14 करोड़ रुपये जब्त किए हैं. बताया जा रहा है कि इस मामले में जल्द ही बड़ी कार्रवाई भी हो सकती है. एसआईटी लंबे समय से इस मामले की जांच कर रही थी और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था.
पेपर लीक मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई: उत्तराखंड में कानून बनने के बाद से ही पेपर लीक मामला बेहद सुर्खियों में रहा है. इस मामले में उत्तरकाशी के हाकम सिंह, बिजनौर के केंद्र पाल, उधम सिंह नगर और रामनगर के चंदन मनराल और लखनऊ के आरएमएस टेक्नोलॉजी सलूशन के मालिक राजेश चौहान पहले से ही एसआईटी की रडार पर थे, लेकिन अब इन सभी के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी करके 1.14 करोड़ रुपये से अधिक राशि जब्त की है.
ईडी के हाथ लगे बड़े दस्तावेज: बताया जा रहा है कि इस छापेमारी के दौरान ईडी को न केवल पैसे मिले, बल्कि कई ऐसे दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जो इस मामले में कई बड़े खुलासे कर सकते हैं. साथ ही कई बड़ी संपत्तियों के कागजात भी इन आरोपियों के ठिकानों से बरामद हुए हैं. 2 दिनों से देहरादून लखनऊ में ईडी सभी आरोपियों के ठिकाने पर छापेमारी कर रही थी. आरोपियों के बैंक खातों को भी पूरी तरह से फ्रीज कर दिया गया है.
आरोपियों ने बहुत कम समय में खड़ा किया था कारोबार: ईडी विभिन्न पहलू जैसे बैंक खातों में किस तरह से किस-किस ने पैसे डाला और किस के खाते में कितना पैसा गया है, इसकी जांच कर रही है. प्रथम दृष्टया जांच में यह बात भी निकल कर सामने आई है कि सभी आरोपियों ने बहुत कम समय में बड़े कारोबार और अकूत संपत्ति खड़ी कर ली थी. खासकर लखनऊ स्थित कंपनी के मालिक कि कई जगहों पर संपत्तियां होने की बात सामने आई है. इसके साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग से भी ईडी इस पूरे मामले को जोड़कर देख रही है.
क्या था पेपर लीक मामला: उत्तराखंड में दिसंबर महीने में अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के तहत 916 पदों का विज्ञापन निकला था और 4 से 5 दिसंबर को परीक्षा आयोजित हुई थी. जिसमें 190000 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था, लेकिन इसी बीच पेपर लीक होने की घटना सामने आने के बाद परीक्षार्थियों के अरमानों पर पानी फिर गया था. इस मामले के व्हाट्सएप और तमाम मैसेजेस जांच एजेंसियों और सरकार के पास तक पहुंच गए थे. 22 जुलाई को इस मामले में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद मुकदमा दर्ज किया गया था. पुलिस ने इस पूरे मामले के लिए एक एसटीएफ टीम बनाई थी. जिसके बाद लगातार गिरफ्तारियां हुईं और यह बात सामने आई कि तुषार चौहान नाम के एक शख्स ने 15-15 लाख रुपये में पेपर को बेचा था.
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