मसूरी: आज ईसाई समुदाय ने ईस्टर का पर्व धूमधाम से मनाया. इस मौके पर प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने पर खुशियां मनाई गई. इस मौके पर ईसाई समुदाय के अनुयायियों ने पर्व को बेहद सादगी के साथ मनाया.
पहाड़ों की रानी मसूरी में ईसाई समुदाय ने ईस्टर का पर्व धूमधाम से मनाया गया. ईसाई धर्मग्रंथों के अनुसार बताया जाता है कि प्रभु यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाये जाने के बाद मार दिया गया था, लेकिन वह तीन दिन बाद रविवार को जीवित हो गये थे. जिसके बाद खुशियां मनाई गई. तब से लेकर आज तक यह परंपरा जारी है.
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प्रेम सिंह ने बताया कि मसूरी में ईस्टर का पर्व लोगों ने घरों में सादगी से मनाया. वहीं लंढौर स्थित सेक्टरेट हार्ट चर्च में ही प्रार्थना सभा आयोजित की गई. बाकी चर्च कोरोना को देखते हुए बंद रहे. खुले चर्च में ईसा मसीह के 3 दिन पश्चात जिंदा होने पर प्रार्थना आयोजित की और उनके जीवन पर प्रकाश डालने के साथ ही उनके जीवन पर आधारित कार्यक्रम किए गये. वहीं, इस मौके पर प्रभु से कोरोना महामारी से संसार और देश की रक्षा करने की दुआ की गई.
ऐसे सेलिब्रेट किया जाता है ईस्टर संडे
ईस्टर संडे के दिन गिरजाघरों में एकत्रित होते हैं. सभी यीशू की याद करते हैं. उनकी याद में चर्च में मोमबत्तियां जलाते हैं. यीशू के जीवित होने की खुशी में एक दूसरे को बधाइयां देते हैं. इसके अलावा बाइबल पढ़ते हैं.
ईस्टर से जुड़ी खास बातें
- ईसाइयों के बीच ईस्टर को खुशी का दिन माना जाता है. इसे खजूर इतवार भी कहा जाता है.
- ईस्टर संडे लोगों में बदलाव का दिन है. माना जाता है कि ईसाह मसीह के जीवित होने के बाद उनको यातनाएं देने वाले लोगों को भी बहुत पश्चाताप हुआ था.
- ईस्टर संडे के दिन असंख्य मोमबत्तियां जलाकर यीशु के भक्त उनके प्रति अपनी अटूट श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करते हैं. तमाम लोग इस दिन चर्च के अलावा अपने घरों में भी मोमबत्तियां जलाते हैं.