देहरादून: उत्तराखंड में विगत कुछ माह में लगातार आ रहे भूकंप लोगों को डरा रहे हैं. इस साल की बात करें, तो जनवरी से अप्रैल माह के शुरुआती सप्ताह तक करीब 14 बार प्रदेश के विभिन्न स्थानों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जिनकी तीव्रता 2 से लेकर 4.5 रिक्टर स्केल तक मापी गई है. हालांकि, अभी तक इन भूकंप से कहीं नुकसान की सूचना तो नहीं हैं, लेकिन यह एक बड़े खतरे की ओर जरूर संकेत कर रहे हैं.
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि उत्तराखंड करीब 2400 किमी लंबी इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट पर बना हुआ है. उन्होंने बताया कि इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धंस रही है. इंडियन प्लेट हर साल यूरेशियन प्लेट के नीचे 40 से 50 मिलीमीटर तक धंस रही है, जिस कारण कंपन हो रहा है और यह होता रहेगा. उन्होंने कहा कि भूकंप के इन झटकों की हमें आदत डालनी पड़ेगी.
डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि आने वाले दिनों में कितना बड़ा भूकंप आएगा, यह कहना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन इससे बचने के लिए हमें और हमारी सरकार को योजनाबद्ध तरीके से निर्माण कार्य करना पड़ेगा. पहाड़ों और मैदान में लोगों को अपने घरों को भूकंप रोधी बनाने पर जोर देना होगा. सरकार को चाहिए कि पहाड़ों पर जिन भी सड़कों का निर्माण हो रहा है, वह भूकंप को ध्यान में रख कर किया जाए. इसके लिए सरकार को एक कमेटी बनानी चाहिए, जो मॉनिटिंग करें कि जो भी निर्माण हो रहे हैं, वह भूकंप रोधी है या नहीं.
उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें जापान जैसे देश से सीख लेनी चाहिए, किस तरह से भूकंप रोधी मकान, सड़क और बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण किया जाए. क्योंकि अगर साल 1991 की तरह 6 रिक्टर स्केल का भूकंप आता है, तो हमारी सड़कें ब्लॉक हो सकती हैं. जिससे स्थिति यह हो सकती है कि हम राहत और बचाव भी न कर सकें.
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डॉ. सुशील ने बताया कि वाडिया भूकंप और आपदाओं से निपटने के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम पर कार्य रहा है. साथ ही इस दृष्टिकोण से उत्तराखंड में 17 ब्रॉडबैंड सिस्मोग्राफ लगाए गए हैं. 5 जीपीएस सिस्टम लगाए गए हैं.