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डॉ. राजेंद्र प्रसाद जयंती सप्ताहः रेलवे विभाग के अफसर संजय अमन को मिला पहला स्मृति सम्मान

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Published : Dec 9, 2019, 12:05 AM IST

Updated : Dec 9, 2019, 8:53 AM IST

पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद जयंती सप्ताह धूमधाम से मनाया. रविवार को रेलवे विभाग के अधिकारी संजय अमन को पहला राजेंद्र प्रसाद स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया.

स्वर्गीय डॉ. राजेंद्र प्रसाद न्यूज Dr. Rajendra Prasad Jayanti Week News
संजय अमन को मिला पहला राजेंद्र प्रसाद समृति सम्मान

देहरादून: पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती सप्ताह का रविवार को भव्य कार्यक्रम के साथ समापन किया. इस दौरान वक्ताओं ने राजेंद्र प्रसाद की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजनीति में सिद्धांत, नैतिकता और सुचिता के पक्षधर थे साथ ही भारत के संविधान निर्माण के दौरान संविधान सभा के अध्यक्ष थे. ऐसे में उनके इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है.

भव्य कार्यक्रम के साथ स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद जयंती सप्ताह का समापन

दरअसल, राजेंद्र प्रसाद जयंती सप्ताह की शुरुआत बीते 3 दिसंबर को उनके जन्मदिवस से की गई, जिसमें रेलवे विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से देहरादून रेलवे स्टेशन पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसी क्रम में रविवार 8 दिसंबर को जयंती सप्ताह का समापन एक भव्य कार्यक्रम के साथ किया गया. इस दौरान स्कूली छात्रों ने भी अपने विचार रखे. वहीं कार्यक्रम में राजेंद्र प्रसाद स्मृति पुरस्कार देने की शुरुआत की गई. रेलवे विभाग के अधिकारी संजय अमन को पहला राजेंद्र प्रसाद समृति सम्मान से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में उन व्यक्तियों को दिया जाएगा जो डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के जीवन मूल्यों में विश्वास रखते हों साथ ही अपने क्षेत्र में उन्हीं के जैसे नैतिकता और सुचिता के साथ जनता की सेवा कर रहे हों.

भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद के जीवन से जुड़े कुछ अंश

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे. वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था. साल 1934 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए. नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने पर कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार उन्होंने एक बार पुन: 1939 में संभाला था.

ये भी पढ़े: मसूरी के सेंट जॉर्ज कॉलेज को मिला एक्सीलेंस इन स्कूल एजुकेशन अवॉर्ड 2019

भारत में संविधान लागू होने के बाद उन्हें देश के पहले राष्ट्रपति का पदभार दिया गया. राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या कांग्रेस को दखलअंदाजी का मौका नहीं दिया और हमेशा स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहे. राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था. पूरे देश में अत्यंत लोकप्रिय होने के चलते उन्हें राजेंद्र बाबू कहकर भी पुकारा जाता है.

देहरादून: पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती सप्ताह का रविवार को भव्य कार्यक्रम के साथ समापन किया. इस दौरान वक्ताओं ने राजेंद्र प्रसाद की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजनीति में सिद्धांत, नैतिकता और सुचिता के पक्षधर थे साथ ही भारत के संविधान निर्माण के दौरान संविधान सभा के अध्यक्ष थे. ऐसे में उनके इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है.

भव्य कार्यक्रम के साथ स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद जयंती सप्ताह का समापन

दरअसल, राजेंद्र प्रसाद जयंती सप्ताह की शुरुआत बीते 3 दिसंबर को उनके जन्मदिवस से की गई, जिसमें रेलवे विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से देहरादून रेलवे स्टेशन पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसी क्रम में रविवार 8 दिसंबर को जयंती सप्ताह का समापन एक भव्य कार्यक्रम के साथ किया गया. इस दौरान स्कूली छात्रों ने भी अपने विचार रखे. वहीं कार्यक्रम में राजेंद्र प्रसाद स्मृति पुरस्कार देने की शुरुआत की गई. रेलवे विभाग के अधिकारी संजय अमन को पहला राजेंद्र प्रसाद समृति सम्मान से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में उन व्यक्तियों को दिया जाएगा जो डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के जीवन मूल्यों में विश्वास रखते हों साथ ही अपने क्षेत्र में उन्हीं के जैसे नैतिकता और सुचिता के साथ जनता की सेवा कर रहे हों.

भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद के जीवन से जुड़े कुछ अंश

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे. वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था. साल 1934 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए. नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने पर कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार उन्होंने एक बार पुन: 1939 में संभाला था.

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भारत में संविधान लागू होने के बाद उन्हें देश के पहले राष्ट्रपति का पदभार दिया गया. राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या कांग्रेस को दखलअंदाजी का मौका नहीं दिया और हमेशा स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहे. राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था. पूरे देश में अत्यंत लोकप्रिय होने के चलते उन्हें राजेंद्र बाबू कहकर भी पुकारा जाता है.

Intro:पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद जयंती सप्ताह का धूमधाम से आयोजन किया। इस मौके पर रेलवे विभाग के अधिकारी संजय अमन को पहला राजेंद्र प्रसाद समृति सम्मान से सम्मानित किया गया।


Body:उत्तरांचल प्रेस क्लब के समीप स्थित एक रेस्टोरेंट में भव्य कार्यक्रम के साथ जयंती सप्ताह का समापन किया गया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने राजेंद्र बाबू की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजेंद्र प्रसाद के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता यहां तक कि भारत के संविधान के निर्माण के लिए जिस संविधान सभा का गठन हुआ उसकी अध्यक्ष राजेंद्र बाबू ही थे। इसके बावजूद जब संविधान की बात आती है तो उन्हें हाशिए पर रख दिया जाता है। तमाम नेताओं की जयंती और पुण्यतिथि पर केंद्र और राज्य की सरकारें तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित करती है पर राजेंद्र प्रसाद को किसी भी रूप में याद नहीं किया जाता इसका यही कारण है कि वह राजनीति में सिद्धांत नैतिकता और सुचिता के पक्षधर थे।

बाईट-सुभाष झा,जानकार




Conclusion: दरअसल राजेंद्र प्रसाद जयंती सप्ताह की शुरूआत बीती 3 दिसंबर को उनके जन्मदिवस पर की थी उस दिन रेलवे विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से देहरादून रेलवे स्टेशन पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था उसके बाद स्कूलों और विभिन्न शिक्षण संस्थानों में मंच के सदस्यों ने जाकर छात्रों को राजेंद्र प्रसाद के जीवन से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया। रविवार 8 दिसंबर को जयंती सप्ताह का समापन एक भव्य कार्यक्रम के तहत किया गया, इस दौरान स्कूली छात्रों ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम में राजेंद्र प्रसाद स्मृति पुरस्कार देने का भी फैसला लिया गया यह पुरस्कार किसी क्षेत्र के उस शख्स को दिया जाएगा जो डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के जीवन मूल्यों में विश्वास रखते हैं और उनकी तरह ही अपने क्षेत्र में नैतिकता और सुचिता के साथ जनता की सेवा कर रहे हैं।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद से जुड़े कुछ अंश-

पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बिहार में सिवान के जीरादेई के रहने वाले थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा शाहजहांपुर यूपी में हुई और उच्च शिक्षा देहरादून में उन्होंने ग्रहण करते हुए में अर्थशास्त्र की डिग्री ली। रेलवे की नौकरी के साथ ही वो सामाजिक कार्यों और खेल में भी रुचि रखते थे। वो हिमालयन ज्योति समिति के सचिव भी रहे। देहरादून जिप्सी यंग फुटबॉल क्लब के संगठनकर्ता होने के साथ ही फुटबॉल के राष्ट्रीय और कबड्डी के राज्य स्तर के खिलाड़ी भी रहे हैं
Last Updated : Dec 9, 2019, 8:53 AM IST
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