देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में 2022 के विधानसभा चुनावों को लेकर मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा, इसको लेकर हरीश रावत ने प्रदेश की राजनीति गरमा दी है. साल 2022 में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर हरीश रावत का कहना है कि इसकी घोषणा कर देनी चाहिए. हरीश रावत के इस बयान पर नेता प्रतिपक्ष ने भी इसका जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की परंपरा नहीं है कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए, जिस पर हरदा ने पलटवार किया है.
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श्री @pritamSpcc सेनापति हैं, यह बहुत स्तुत्य कथन है, उन्हें पार्टी की ओर से #मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किये जाने का अनुरोध है, मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में @IndiraHridayesh जी का भी स्वागत करूँगा, मैंने अपने नाम को लेकर जो असमंजस है उसको समाप्त किया है। pic.twitter.com/iaZgBwIXVe
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— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) January 12, 2021
पूर्व सीएम हरीश रावत ने नेता प्रतिपक्ष के उस बयान का पलटवार किया है, जिसमें नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि कांग्रेस में चुनाव से पहले सीएम के चेहरे की घोषणा करने का रिवाज नहीं है. इस पर हरदा ने कई राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे कई राज्य रहे हैं, जिसमें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया था.
उन्होंने ट्वीट किया है कि प्रीतम सिंह सेनापति यह कथन बिल्कुल सत्य है, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए जाने का अनुरोध है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में इंदिरा हृदयेश का स्वागत करूंगा, क्योंकि मैंने अपने नाम को लेकर जो असमंजस चल रहा है, उसको समाप्त किया है.
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हरीश रावत ने कांग्रेस प्रदेश प्रभारी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने जो आदर उन्हें दिया है उसका वे धन्यवाद करते हैं, लेकिन उन्हें सामूहिक नेतृत्व की पंक्ति से हटा देने की कृपा करें. वो इसलिए क्योंकि कुछ समय व्यक्ति को उन्मुक्त भी रहना चाहिए. वो उसी दिशा में बढ़ते हुए राजनीति के बल पर धन कमाकर प्रदेश की राजनीति पर कब्जा जमाने की प्रवृत्ति के खिलाफ जनजागृति जगाने का काम करना चाहता हैं.
हरीश रावत ने कहा है कि उनके लिए लगातार यह देखना भी कष्टदायक है कि कांग्रेस संगठन एक होटल की चारदीवारी में कैद होकर ना रह जाए. उन्हें कार्यकर्ताओं और स्वराज आश्रम की गरिमा को भी पुनः स्थापित करना है. फिर कभी-कभी कुछ नाम बोझ हो जाते हैं. उन्होंने 2017 के चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि 2017 कुछ ऐसी सही से मेरा नाम लिख गया जो कांग्रेस के ऊपर बोझ बन गया. वो कांग्रेस को पाप पर अर्जित धन की स्याही से लिखे गए नाम के बोझ से भी मुक्त कर देना चाहते हैं. संयुक्त नेतृत्व में भी ऐसे नाम का बोझ पार्टी पर बना रहेगा.