ऋषिकेश: डीजीपी अशोक कुमार ने कहा है कि उत्तराखंड मौसम विभाग की सटीक चेतावनी की वजह से पूरे राज्य में पुलिस ने एक दो नहीं बल्कि हजारों लोगों की जान बचाने में सफलता हासिल की है. अगर इसी प्रकार खतरे की घंटी का अलर्ट पहले से ही मिलता रहे तो भविष्य में भी हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है.
डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि 16 अक्टूबर को मौसम विभाग की सटीक चेतावनी के बाद पुलिस महकमा अलर्ट पर रहा. एसडीआरएफ फ्लड कंपनी और आपदा प्रबंधन की टीमें पूरे राज्य में जगह-जगह मुस्तैदी से तैनात हो गईं. 17 अक्टूबर की शाम को शुरू हुई बारिश का कहर 18 अक्टूबर की सुबह देखने को मिला.
काम आया पुलिस का पूर्व निर्धारित प्लान: उन्होंने कहा कि भारी बारिश की वजह से अलकनंदा और भागीरथी के साथ-साथ सहायक नदियां उफान पर आ गईं. ऐसी स्थिति में पुलिस का पूर्व से निर्धारित प्लान काम आया, जिसकी वजह से एक-दो नहीं बल्कि हजारों लोगों की जान पुलिस ने बचा ली गई.
पुलिस ने 30 हजार तीर्थ यात्रियों को ऋषिकेश में रोका: उन्होंने कहा कि प्रतिदिन चारधाम यात्रा मार्ग पर करीब 30 हजार तीर्थयात्री जा रहे थे, जिनको पुलिस ने ऋषिकेश और अन्य स्थानों पर ही रोक लिया. अगर तीर्थयात्रियों को नहीं रोका जाता तो 2 दिन में चारों धाम में करीब 60 हजार यात्री पहुंचते, जिनके लिए बारिश आफत बन सकती थी.
यात्रियों के ऋषिकेश में रोके जाने से यात्रा मार्ग पर केवल 20 हजार यात्री ही अलग-अलग स्थानों पर रुके रहे, जिनमें सभी 13 हजार यात्रियों को सकुशल ऋषिकेश पहुंचाया गया. ऐसे में केवल 7 हजार तीर्थ यात्रियों की बेहतर व्यवस्था पुलिस ने अपने तरीके से बनाई.
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तीर्थ यात्री निराश होकर लौटे: उन्होंने कहा कि नैनीताल, अल्मोड़ा क्षेत्र में भी पुलिस का यही प्लान काम आया. हालांकि, पुलिस के इस प्लान से कई तीर्थयात्रियों को बिना दर्शन के ही निराश लौटना पड़ा लेकिन जान से बढ़कर कोई चीज नहीं है.
डीजीपी ने कहा कि शारदा डैम में पानी ज्यादा होने की वजह से कई गेट खोले गए. ऐसे में मैदानी इलाकों को बाढ़ का खतरा भी दिखाई दिया. पुलिस ने अलर्ट जारी कर करीब 3 हजार लोगों को नदी किनारे से हटाया, जिससे उनकी जान भी बच सकी. फिलहाल, कुमाऊं क्षेत्र में भवाली अल्मोड़ा, टनकपुर और पिथौरागढ़ रोड अभी बंद है. जबकि सभी जगह की तरह यात्रा और सड़कें खुली हुईं हैं.