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देवस्थानम बोर्ड उच्च स्तरीय समिति ने CM धामी को सौंपी अंतरिम रिपोर्ट

देवस्थानम बोर्ड उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी ने सरकार को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है. उम्मीद है कि अंतरिम रिपोर्ट के बाद देवस्थानम बोर्ड को लेकर चल रहा विवाद सुलझ जाएगा. हालांकि पिछले दिन मनोहरकांत ध्यानी ने कहा था कि देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं होगा.

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देवस्थानम बोर्ड उच्च स्तरीय समिति ने सीएम को सौंपी अंतरिम रिपोर्ट
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Published : Oct 25, 2021, 7:59 PM IST

Updated : Oct 25, 2021, 8:21 PM IST

देहरादून: देवस्थानम बोर्ड के लिए बनाई गई उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी ने आज सीएम धामी से मुलाकात की. इस दौरान मनोहर कांत ध्यानी ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर तैयार की गई अंतरिम रिपोर्ट सीएम को सौंपी. समिति से रिपोर्ट मिलने के बाद अब सभी की नजरें धामी सरकार पर हैं कि वो देवस्थानम बोर्ड को लेकर क्या निर्णय लेती है.

बता दें प्रदेश में चारधाम देवस्थानम एवं प्रबंधन बोर्ड के विरोध को देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी. जिसका अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी को बनाया गया था. इसमें हर धाम के दो-दो पुजारियों को शामिल किया गया था. इस उच्च स्तरीय समिति का गठन रावल, पंडे, हक-हकूकधारी तथा स्थानीय हितधारकों के पारंपरिक, धार्मिक एवं आर्थिक अधिकारों को सुरक्षित रखने, सभी से सुझाव लेने और देवस्थानम बोर्ड को लेकर पनपे भ्रम को दूर करने के लिए किया गया था.

पढ़ें- बागेश्वर: रेस्क्यू टीम को नाकुंड में दिखे 5 पर्यटकों के शव, गाइड अभी भी लापता

इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा था कि चारधाम हमारी आस्था का प्रमुख केन्द्र है. चारधाम से जुड़े लोगों के हक-हकूक को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा. इसीलिए समिति में चारों धामों से दो-दो तीर्थ पुरोहितों को शामिल किया गया है. जिससे हर किसी के पक्ष को सही तरीके से सुना जा सके. आज इस उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है. अब सभी की नजरें धामी सरकार पर हैं कि वो इसके बाद देवस्थानम बोर्ड पर क्या फैसला लेती है.

मनोहर कांत ध्यानी पहले ही कह चुके हैं सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं करेगी. उन्होंने कहा था अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उसका निस्तारण किया जाएगा. जिसके लिए तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों से बात की जा रही है. उन्होंने कहा था सभी से चर्चा के बाद ही कुछ फैसला लिया जाएगा.

पूर्व CM त्रिवेंद्र के कार्यकाल में पारित हुआ देवस्थानम बोर्ड: देवस्थानम बोर्ड पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था. जिसके तहत चार धाम सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया था .मार्च में पद संभालने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने घोषणा की थी कि चारों धामों को देवस्थानम बोर्ड के दायरे से बाहर किया जाएगा. बोर्ड के गठन पर भी पुनर्विचार किया जाएगा . हांलांकि, वायदे को पूरा करने से पहले ही रावत की पद से विदाई हो गई. जिसके बाद धामी ने कमान संभाली. उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी.

क्यों हो रहा देवस्थानम बोर्ड का विरोध: हर साल धामों में करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ता है. ऐसे में अब इस चढ़ावे का पूरा हिसाब-किताब रखा जाएगा. यानी जो चढ़ावा चढ़ता है उसकी बंदरबांट नहीं हो पाएगी. इसके चलते भी तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारी बोर्ड का विरोध कर रहे हैं.

ये है देवस्थानम बोर्ड: चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन अधिनियम को राजभवन की मंजूरी मिलने के बाद चारधाम देवस्थानम् बोर्ड अस्तित्व में आ गया है. मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया. मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई. इस बोर्ड का वास्तविक मकसद यात्रा की व्यवस्था को बेहतर किया जाना है.

क्यों शुरू हुई बोर्ड बनाने की कवायद: बदरीनाथ और केदारनाथ धाम की अपनी एक अलग ही मान्यता है. यही वजह है कि हर साल इन दोनों धामों में ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. यह दोनों ही धाम पर्वतीय क्षेत्रों में मौजूद हैं, जहां सुख सुविधाएं विकसित करना पहाड़ जैसी चुनौती है. क्योंकि पहले से ही बदरी और केदार धाम के लिए मौजूद बीकेटीसी के माध्यम से तमाम व्यवस्थाएं मुकम्मल नहीं हो पा रही थीं. इसके अतिरिक्त गंगोत्री धाम के लिए अलग गंगोत्री मंदिर समिति और यमुनोत्री धाम के लिए अलग यमुनोत्री मंदिर समिति कार्य कर रही थीं.

बोर्ड करेगा धामों की संपत्तियों का रखरखाव: उत्तराखंड के कई जिलों सहित अन्य प्रांतों के कई स्थानों पर कुल 60 ऐसे स्थान हैं, जहां पर बाबा केदारनाथ और बदरीनाथ के नाम भू-सम्पत्तियां दस्तावेजों में दर्ज हैं. हालांकि इन संपत्तियों का रखरखाव अभी तक बदरी-केदार मंदिर समिति करती थी लेकिन अब बोर्ड बन जाने के बाद इन संपत्तियों का रखरखाव देवस्थानम बोर्ड कर रहा है. बोर्ड भी इस बात को मानता है कि जो भू संपत्तियां मंदिर के नाम हैं वह मंदिर के ही नाम रहेंगी, न कि इस बोर्ड के नाम होंगी.

पढ़ें- नैनीतालः बंद सड़कों के कारण मरीज परेशान, वाहन और स्ट्रेचर के सहारे पहुंचाया जा रहा अस्पताल

बता दें चारधाम में अभी भी देवस्थानम बोर्ड का विरोध हो रहा है. दीपावली पर तीर्थ पुरोहित और साधु समाज देवस्थानम बोर्ड के विरोध में घरों व मंदिरों में अंधेरा कर विरोध जताएंगे. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार देवस्थानम बोर्ड को तत्काल भंग करे. एक नवंबर के बाद तीर्थ पुरोहित आंदोलन शुरू करेंगे.

देहरादून: देवस्थानम बोर्ड के लिए बनाई गई उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी ने आज सीएम धामी से मुलाकात की. इस दौरान मनोहर कांत ध्यानी ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर तैयार की गई अंतरिम रिपोर्ट सीएम को सौंपी. समिति से रिपोर्ट मिलने के बाद अब सभी की नजरें धामी सरकार पर हैं कि वो देवस्थानम बोर्ड को लेकर क्या निर्णय लेती है.

बता दें प्रदेश में चारधाम देवस्थानम एवं प्रबंधन बोर्ड के विरोध को देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी. जिसका अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी को बनाया गया था. इसमें हर धाम के दो-दो पुजारियों को शामिल किया गया था. इस उच्च स्तरीय समिति का गठन रावल, पंडे, हक-हकूकधारी तथा स्थानीय हितधारकों के पारंपरिक, धार्मिक एवं आर्थिक अधिकारों को सुरक्षित रखने, सभी से सुझाव लेने और देवस्थानम बोर्ड को लेकर पनपे भ्रम को दूर करने के लिए किया गया था.

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इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा था कि चारधाम हमारी आस्था का प्रमुख केन्द्र है. चारधाम से जुड़े लोगों के हक-हकूक को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा. इसीलिए समिति में चारों धामों से दो-दो तीर्थ पुरोहितों को शामिल किया गया है. जिससे हर किसी के पक्ष को सही तरीके से सुना जा सके. आज इस उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है. अब सभी की नजरें धामी सरकार पर हैं कि वो इसके बाद देवस्थानम बोर्ड पर क्या फैसला लेती है.

मनोहर कांत ध्यानी पहले ही कह चुके हैं सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं करेगी. उन्होंने कहा था अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उसका निस्तारण किया जाएगा. जिसके लिए तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों से बात की जा रही है. उन्होंने कहा था सभी से चर्चा के बाद ही कुछ फैसला लिया जाएगा.

पूर्व CM त्रिवेंद्र के कार्यकाल में पारित हुआ देवस्थानम बोर्ड: देवस्थानम बोर्ड पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था. जिसके तहत चार धाम सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया था .मार्च में पद संभालने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने घोषणा की थी कि चारों धामों को देवस्थानम बोर्ड के दायरे से बाहर किया जाएगा. बोर्ड के गठन पर भी पुनर्विचार किया जाएगा . हांलांकि, वायदे को पूरा करने से पहले ही रावत की पद से विदाई हो गई. जिसके बाद धामी ने कमान संभाली. उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी.

क्यों हो रहा देवस्थानम बोर्ड का विरोध: हर साल धामों में करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ता है. ऐसे में अब इस चढ़ावे का पूरा हिसाब-किताब रखा जाएगा. यानी जो चढ़ावा चढ़ता है उसकी बंदरबांट नहीं हो पाएगी. इसके चलते भी तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारी बोर्ड का विरोध कर रहे हैं.

ये है देवस्थानम बोर्ड: चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन अधिनियम को राजभवन की मंजूरी मिलने के बाद चारधाम देवस्थानम् बोर्ड अस्तित्व में आ गया है. मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया. मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई. इस बोर्ड का वास्तविक मकसद यात्रा की व्यवस्था को बेहतर किया जाना है.

क्यों शुरू हुई बोर्ड बनाने की कवायद: बदरीनाथ और केदारनाथ धाम की अपनी एक अलग ही मान्यता है. यही वजह है कि हर साल इन दोनों धामों में ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. यह दोनों ही धाम पर्वतीय क्षेत्रों में मौजूद हैं, जहां सुख सुविधाएं विकसित करना पहाड़ जैसी चुनौती है. क्योंकि पहले से ही बदरी और केदार धाम के लिए मौजूद बीकेटीसी के माध्यम से तमाम व्यवस्थाएं मुकम्मल नहीं हो पा रही थीं. इसके अतिरिक्त गंगोत्री धाम के लिए अलग गंगोत्री मंदिर समिति और यमुनोत्री धाम के लिए अलग यमुनोत्री मंदिर समिति कार्य कर रही थीं.

बोर्ड करेगा धामों की संपत्तियों का रखरखाव: उत्तराखंड के कई जिलों सहित अन्य प्रांतों के कई स्थानों पर कुल 60 ऐसे स्थान हैं, जहां पर बाबा केदारनाथ और बदरीनाथ के नाम भू-सम्पत्तियां दस्तावेजों में दर्ज हैं. हालांकि इन संपत्तियों का रखरखाव अभी तक बदरी-केदार मंदिर समिति करती थी लेकिन अब बोर्ड बन जाने के बाद इन संपत्तियों का रखरखाव देवस्थानम बोर्ड कर रहा है. बोर्ड भी इस बात को मानता है कि जो भू संपत्तियां मंदिर के नाम हैं वह मंदिर के ही नाम रहेंगी, न कि इस बोर्ड के नाम होंगी.

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बता दें चारधाम में अभी भी देवस्थानम बोर्ड का विरोध हो रहा है. दीपावली पर तीर्थ पुरोहित और साधु समाज देवस्थानम बोर्ड के विरोध में घरों व मंदिरों में अंधेरा कर विरोध जताएंगे. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार देवस्थानम बोर्ड को तत्काल भंग करे. एक नवंबर के बाद तीर्थ पुरोहित आंदोलन शुरू करेंगे.

Last Updated : Oct 25, 2021, 8:21 PM IST
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