देहरादूनः राजधानी के राजपुर थाने में तैनात एक सीनियर सब-इंस्पेक्टर पर जमीन प्रॉपर्टी संबंधी केस की जांच-विवेचना में पक्षपात कर सही कार्रवाई न करने पर गाज गिरी है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए देहरादून एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत ने सब-इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार को लाइन हाजिर करते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं.
जानकारी के मुताबिक बालाजी डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर जितेंद्र खरबंदा ने एक प्रॉपर्टी फर्जीवाड़े मामले में प्रदीप नागरथ और अरुण अग्रवाल के खिलाफ पुलिस से शिकायत की थी. डायरेक्टर खरबंदा के मुताबिक उनकी प्रॉपर्टी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर दोनों आरोपियों ने उनकी जमीन में जालसाजी कर उसे बेच दिया. इस कारनामे के चलते बालाजी के डायरेक्टर जितेंद्र खरबंदा को एक करोड़ 22 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ.
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ऐसे में इस फर्जीवाड़े के खिलाफ कोर्ट में अपील दायर करते हुए दोनों आरोपी प्रदीप नागराज व वरुण अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप है कि इस मुकदमे की जांच विवेचना के दौरान राजपुर थाना के एसएसआई प्रदीप कुमार ने आरोपित लोगों से सांठगांठ करते हुए विवेचना में तथ्यों को दरकिनार कर आरोपी पक्ष को फायदा पहुंचाने की कोशिश की. इतना ही नहीं आरोप है कि राजपुर थाना एसएसआई ने आरोपी प्रदीप को थाने बुलाया और उन्हें बयान देने के लिए नोटिस देकर छोड़ दिया.
उधर इस जमीन फर्जीवाड़े मामले की गंभीरता को देखते हुए देहरादून एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए. ऐसे में थाना राजपुर के आरोपित एसएसआई की जांच-विवेचना भूमिका में संदेह जताते हुए लाइन हाजिर कर दिया है. इतना ही नहीं सब इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं.