देहरादून: कोरोना वायरस की महामारी के कारण देश में लॉकडाउन लागू था. इसका असर अपराध पर भी देखने को मिला. उत्तराखंड में भी अपराध का ग्राफ गिरा है. महिलाओं से जुड़े अपराध को छोड़ दे तो उत्तराखंड में आपराधिक वारदातें पिछले कुछ सालों की तुलना में इस साल 50 प्रतिशत तक कम हुई है. इसकी मुख्य वजह सड़क पर पुलिस की मौजूदगी, जगह-जगह लगाई गई पिकेट और अधिक पेट्रोलिंग बताई जा रही है.
अधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2018 में कुल 10364 मुकदमे दर्ज किए गए, जबकि साल 2019 में राज्य भर में 9247 अपराधिक मुकदमे दर्ज हुए. वहीं इस साल 31 अक्टूबर 2020 तक भले ही 9448 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, लेकिन इसमें से 4854 लॉकडाउन एवं कोरोना की गाइडलाइन उल्लंघन के हैं. ऐसे कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन के मामलों को अलग कर दिया जाए तो पिछले सालों की तुलना में आपराधिक वारदातें 50 प्रतिशत तक कम हुई है. हालांकि चिंता की बात ये है कि महिला से जुड़े अपराधों में कोई खास कमी नहीं आई है.
अनलॉक में सक्रिय हुए अपराधी
जून में जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई तो मैदानी जिलों हरिद्वार, देहरादून और उधमसिंह नगर में एक बार फिर अपराधी सक्रीय हुए और उन्होंने अपराधिक वारदातों को अंजाम दिया. पिछले कुछ सालों के मुकाबले इस साल राज्य में कोई बड़ा आपराधिक गिरोह भी सक्रिय नहीं है.
वहीं इस साल उत्तराखंड पुलिस का खजाना भी भरा है. लॉकडाउन और कोरोना गाइडलाइन उल्लंघन के पुलिस ने करीब 4854 मुकदमें दर्ज किए है. जिससे पुलिस ने 10 दिसंबर 2020 तक करीब 26 करोड़ 27 लाख 76 हजार रुपए का जुर्माना वसूला है. सबसे अधिक मोटर व्हीकल एक्ट के तहत 13 करोड़ 31 लाख 3 हजार रुपये जुर्माना वसूला गया है.
कुम मिलाकर देखा जाए तो उत्तराखंड पुलिस के लिए साल 2020 काफी अच्छा रहा है. क्योंकि जहां एक तरफ प्रदेश में क्राइम का ग्राफ गिरा है तो वहीं लॉकडाउन के नियम तोड़ने वालों और कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने वाले उत्तराखंड पुलिस को भी मालामाल कर दिया है.