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उत्तराखंड में 4 गुना बढ़ा कोविड बायो मेडिकल वेस्ट, ऐसे हो रहा निस्तारण - पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिशासी अभियंता डॉक्टर अंकुर कंसल

उत्तराखंड में कोविड का खतरनाक बायोमेडिकल वेस्ट लगातार बढ़ रहा है. प्रतिदिन अस्पतालों से 1800 किलो वेस्ट निकल रहा है.

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कोविड बायो मेडिकल वेस्ट
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Published : May 4, 2021, 3:09 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के बढ़ने के साथ ही इससे निकलने वाले खतरनाक बायो मेडिकल वेस्ट की मात्रा करीब चार गुना बढ़ गई है. पिछले एक महीने में कोविड वेस्ट 480 किलो से तकरीबन 4 गुना बढ़ कर 1800 किलो प्रतिदिन आ रहा है.

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में कोविड वेस्ट निस्तारण के लिए गढ़वाल और कुमाऊं में दो अलग-अलग जगह प्लांट लगाए गए हैं. जिसके लिए कुमाऊं क्षेत्र के उधम सिंह नगर, नैनीताल, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिले से आने वाला कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को गदरपुर में निस्तारित किया जाता है. वहीं गढ़वाल क्षेत्र में देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी और पौड़ी से आने वाले कोविड वेस्ट को भगवानपुर में लगाए गए प्लांट में निस्तारित किया जाता है.

ये भी पढ़िए: ऋषिकेश के आईडीपीएल ग्राउंड में बनेगा 500 बेड का कोविड अस्पताल

इसके अलावा कुमाऊं में बाकी बचे चंपावत और गढ़वाल में चमोली और रुद्रप्रयाग में निकलने वाले कोविड वेस्ट का निस्तारण पारंपरिक तौर तरीके से किया जाता है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बताया गया कि इन जिलों से आने वाले कोविड वेस्ट की मात्रा बेहद कम होती है और प्लांट से ज्यादा दूर होने की वजह से वहीं पर कोविड वेस्ट का निस्तारण पारंपरिक तरीके या गड्ढे में कूड़े को दबाकर किया जाता है.

प्रतिदिन 12 मीट्रिक टन कोविड वेस्ट

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिशासी अभियंता डॉक्टर अंकुर कंसल ने बताया कि उत्तराखंड में लगे इन दो अलग-अलग प्लांट में तकरीबन 8 मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण की क्षमता है. इसके अलावा भगवानपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट प्लांट को भी जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है. जिसकी क्षमता 4 मीट्रिक टन है और इस तरह से पूरे प्रदेश में कोविड वेस्ट निस्तारण कि क्षमता तकरीबन 12 मीट्रिक टन है.

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक अभी निकल रहे कोविड वेस्ट की मात्रा पिछले साल अगस्त और सितंबर में आए कोविड वेस्ट की तुलना में बेहद कम हैं. उन्होंने जानकारी दी कि पिछले साल के अगस्त और सितंबर में कोविड का पीक देखने को मिला था. उस समय हर दिन तकरीबन चार हजार किलो कोविड का कूड़ा निकल रहा था. उन्होंने कहा कि उस लिहाज में अभी यह मात्रा भी बहुत कम है और प्रदेश में कोविड वेस्ट निस्तारण की क्षमता काफी ज्यादा है.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के बढ़ने के साथ ही इससे निकलने वाले खतरनाक बायो मेडिकल वेस्ट की मात्रा करीब चार गुना बढ़ गई है. पिछले एक महीने में कोविड वेस्ट 480 किलो से तकरीबन 4 गुना बढ़ कर 1800 किलो प्रतिदिन आ रहा है.

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में कोविड वेस्ट निस्तारण के लिए गढ़वाल और कुमाऊं में दो अलग-अलग जगह प्लांट लगाए गए हैं. जिसके लिए कुमाऊं क्षेत्र के उधम सिंह नगर, नैनीताल, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिले से आने वाला कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को गदरपुर में निस्तारित किया जाता है. वहीं गढ़वाल क्षेत्र में देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी और पौड़ी से आने वाले कोविड वेस्ट को भगवानपुर में लगाए गए प्लांट में निस्तारित किया जाता है.

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इसके अलावा कुमाऊं में बाकी बचे चंपावत और गढ़वाल में चमोली और रुद्रप्रयाग में निकलने वाले कोविड वेस्ट का निस्तारण पारंपरिक तौर तरीके से किया जाता है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बताया गया कि इन जिलों से आने वाले कोविड वेस्ट की मात्रा बेहद कम होती है और प्लांट से ज्यादा दूर होने की वजह से वहीं पर कोविड वेस्ट का निस्तारण पारंपरिक तरीके या गड्ढे में कूड़े को दबाकर किया जाता है.

प्रतिदिन 12 मीट्रिक टन कोविड वेस्ट

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिशासी अभियंता डॉक्टर अंकुर कंसल ने बताया कि उत्तराखंड में लगे इन दो अलग-अलग प्लांट में तकरीबन 8 मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण की क्षमता है. इसके अलावा भगवानपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट प्लांट को भी जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है. जिसकी क्षमता 4 मीट्रिक टन है और इस तरह से पूरे प्रदेश में कोविड वेस्ट निस्तारण कि क्षमता तकरीबन 12 मीट्रिक टन है.

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक अभी निकल रहे कोविड वेस्ट की मात्रा पिछले साल अगस्त और सितंबर में आए कोविड वेस्ट की तुलना में बेहद कम हैं. उन्होंने जानकारी दी कि पिछले साल के अगस्त और सितंबर में कोविड का पीक देखने को मिला था. उस समय हर दिन तकरीबन चार हजार किलो कोविड का कूड़ा निकल रहा था. उन्होंने कहा कि उस लिहाज में अभी यह मात्रा भी बहुत कम है और प्रदेश में कोविड वेस्ट निस्तारण की क्षमता काफी ज्यादा है.

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