देहरादून: रेस्ट कैम्प, भंडारी बाग, पथरी भाग, कारगी चौक और महंत इंद्रेश अस्पताल को जोड़ने वाला ओवरब्रिज 44 करोड़ 58 लाख रुपए की लागत से तैयार होगा. जिसका भूमि पूजन पिछले रविवार को CM त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. लेकिन कई चौक को जोड़ने वाला यह फ्लाईओवर कई खामियों में घिरता नजर आ रहा है. वॉर्ड नंबर- 80 के पार्षद पति ने बनने वाले फ्लाईओवर को लेकर कई खामियां गिनाईं. जिससे फ्लाईओवर बन जाने के बाद स्थानीय लोगों को काफी दिक्क्तें हो सकती हैं. फ्लाईओवर में खामियों को लेकर पार्षद पति ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा है, लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कोई सुनवाई नहीं हो सकी है.
पार्षद पति अनूप कपूर ने बताया कि साल 1997 में रेल राज्य मंत्री रहे सतपाल महाराज द्वारा इस फ्लाईओवर को स्वीकृति किया था. उस समय के अनुसार इस फ्लाईओवर की लम्बाई 1.2 किलोमीटर थी, जो भण्डारीबाग से कुष्ठ चौक तक जाना था. उस दौरान रेलवे लाइन सिर्फ 2 थी और रेलवे के बिजली के खंभे भी नहीं थे. उस समय के प्रस्ताव के अनुसार यह फ्लाईओवर सही मायनों में बनकर तैयार किया जा रहा था. लेकिन अब वर्तमान के मानकों के अनुसार इस फ्लाईओवर के बनन से कई खामियां सामने आ रही हैं. वर्तमान में रेलवे की दो लाइन से 6 लाइनें हो गई हैं और फ्लाईओवर की लम्बाई भी कम कर दी गई है.
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पार्षद पति अनूप का कहना है कि नए मानकों के अनुसार इसकी फ्लाईओवर की लम्बाई 700 मीटर कर दी गई है, जो अम्बर चौक तक जाएगा. वहां तक जाने के बाद चौक पर जाम की स्थिति सामने आ सकती है. क्योंकि जहां पर यह फ्लाईओवर खत्म होगा, वहां पर चौक की चौड़ाई काफी कम है, जिससे सड़क हादसे बढ़ने की भी आशंका है. पार्षद पति ने बताया कि आज देहरादून रेलवे स्टेशन का काफी विस्तार हो गया है. पहले 8 ट्रेन हुआ करती थी और अब रेलवे स्टेशन पर 18 ट्रेनें आती हैं, जिसको देखते हुए रेलवे की ओर से काफी विकास कार्य हो रहा है. ऐसे में यह फ्लाईओवर बनने से स्थानीय लोगों को नुकसान हो सकता है.
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उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले इस क्षेत्र में 8 होटल हुआ करते थे, लेकिन अब 34 होटल हैं. साथ ही इस क्षेत्र की आबादी 3 गुना बढ़ गई है. जिस सड़क पर यह फ्लाईओवर बन रहा है, वह सड़क भी काफी व्यस्त है. इस फ्लाईओवर के बनने के बाद क्षेत्र की यातायात व्यवस्था भी पूरी तरह से चौपट हो जाएगी. उन्होंने कहा कि फ्लाइओवर की लंबाई कम कर दी गई है और रेलवे लाइन अब 40 फीट ऊपर हो गई है. साथ ही उस पर जो बिजली के खंभे लगे हैं उनकी ऊंचाई काफी बढ़ गई है. ऐसे में इस मार्ग पर फ्लाईओवर बनना असंभव है.