देहरादून: राजधानी देहरादून में मेयर सुनील उनियाल गामा की बेटी को भारतीय चिकित्सा परिषद में नौकरी दिए जाने पर विवाद गहराने लगा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पत्र को लेकर लोगों ने नाराजगी जताई है. कोरोना काल में मेयर की बेटी को नौकरी मिलने के चलते अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं.
कोरोना काल में जब युवाओं की नौकरियां जा रही हैं और बेरोजगार युवाओं को कोई नया रोजगार नहीं मिल पा रहा है. तब देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा की बेटी को भारतीय चिकित्सा परिषद में लेखाकार के पद पर नियुक्ति देने से जुड़ा पत्र वायरल होना विवाद खड़ा कर रहा है.
दरअसल, जिला युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल अधिकारी के हस्ताक्षर से रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद को भेजे गए एक पत्र में 4 लोगों को तैनाती देने के लिए कहा गया है. इसमें दो सुरक्षाकर्मी और एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मी के साथ ही लेखाकार की भी तैनाती के नाम जाहिर किए गए हैं. लिस्ट में तीसरे नंबर पर मेयर सुनील उनियाल गामा की बेटी श्रेया उनियाल का नाम है.
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तैनाती का पत्र वायरल होने के बाद तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि प्रदेश में बेरोजगारों की इस भीड़ में मेयर की बेटी को ही क्यों इस पद पर तैनाती दी जा रही है. इस मामले में युवा कल्याण के उपाध्यक्ष जितेंद्र रावत के अनुसार लेखाकार पद के लिए जो योग्यता चाहिए थी, वह महज एक ही आवेदनकर्ता द्वारा पूरी हो रही थी. ऐसे में लेखाकार के पद पर उसी नाम को भारतीय चिकित्सा परिषद के रजिस्ट्रार को भेजा गया है.
उधर, ईटीवी भारत से बात करते हुए जितेंद्र रावत कहते हैं कि संबंधित पद अस्थायी होते हैं और जिन विभागों में ऐसे युवाओं की तैनाती की जाती है, वह विभाग कभी भी अपनी जरूरत के लिहाज से आवेदनकर्ता को नौकरी से हटा सकते हैं.