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विधानसभा सत्र: कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस विधायक मुखर, सदन के बाहर किया प्रदर्शन

उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन कांग्रेसी विधायक कानून व्यवस्था को लेकर मुखर दिखाई दिए. इस दौरान कांग्रेसी विधायकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध जताया. सदन शुरू होने से पहले अनुपमा रावत के साथ कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी, हरीश धामी, राजेश भंडारी ने एकजुट होकर सदन के बाहर सरकार के विरोध में नारे लगाए.

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उत्तराखंड विधानसभा सत्र
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Published : Mar 30, 2022, 11:59 AM IST

Updated : Mar 30, 2022, 12:11 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा सत्र की दूसरे दिन की कार्यवाही कांग्रेस जारी है. कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ दूसरे दिन भी तीखे तेवर अपनाए. सत्र के दूसरे दिन कांग्रेसी विधायक कानून व्यवस्था को लेकर मुखर दिखाई दिए. इस दौरान कांग्रेसी विधायकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध जताया. वहीं, सदन शुरू होने से पहले अनुपमा रावत के साथ कांग्रेसी विधायकों ने एकजुट होकर सदन के बाहर सरकार के विरोध में नारे लगाए.

विधानसभा सत्र के पहले दिन जहां कांग्रेस की एक तरफ से हरिद्वार विधायक अनुपमा रावत सत्ता पक्ष पर हमलावर नजर आई तो वहीं आज दूसरे दिन विपक्ष के सभी विधायक एकजुट होकर अनुपमा रावत के साथ एकजुट नजर आए. सदन शुरू होने से पहले अनुपमा रावत के साथ कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी, हरीश धामी, राजेश भंडारी ने एकजुट होकर सदन के बाहर सरकार के विरोध में नारे लगाए. बता दें कि हरिद्वार ग्रमीण से विधायक और हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत लगातार उनके विधानसभा क्षेत्र में कानून व्यवथा को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रही है. विधानसभा सत्र के दूसरे दिन उन्होंने कांग्रेसी विधायकों के साथ सरकार को घेरने की कोशिश की.

कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस मुखर.

पढ़ें-उत्तराखंड विधानसभा सत्र का पहला दिन, CM धामी ने सदन के पटल पर रखा लेखानुदान बजट

गौरतलब है कि विधानसभा सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सदन पटल पर अगले चार महीनों के लिए 21116 करोड़ का लेखानुदान बजट रखा. विधानसभा सत्र में राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने समेत सरकार के पांच साल के कार्यों पर चर्चा हुई. वहीं विपक्ष सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी जैसे विषयों पर सरकार को घेरने की कोशिश में लगा रहा.

नेता प्रतिपक्ष का चयन क्यों नहीं: उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा पहली दफा है जब विधानसभा का सत्र चल रहा है और विपक्ष का कोई प्रतिनिधि सदन में नहीं है. दरअसल, कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर हरीश रावत और प्रीतम सिंह के गुट आमने-सामने हैं, जिसके कारण देरी हो रही है. हालांकि, एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि एक मजबूत और क्रियात्मक विपक्ष हो, जो सरकार के अच्छे कामों में सरकार का साथ दें और कहीं पर अगर सरकार से कोई कमी रह जाती है तो उसको एक क्रियात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा सत्र की दूसरे दिन की कार्यवाही कांग्रेस जारी है. कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ दूसरे दिन भी तीखे तेवर अपनाए. सत्र के दूसरे दिन कांग्रेसी विधायक कानून व्यवस्था को लेकर मुखर दिखाई दिए. इस दौरान कांग्रेसी विधायकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध जताया. वहीं, सदन शुरू होने से पहले अनुपमा रावत के साथ कांग्रेसी विधायकों ने एकजुट होकर सदन के बाहर सरकार के विरोध में नारे लगाए.

विधानसभा सत्र के पहले दिन जहां कांग्रेस की एक तरफ से हरिद्वार विधायक अनुपमा रावत सत्ता पक्ष पर हमलावर नजर आई तो वहीं आज दूसरे दिन विपक्ष के सभी विधायक एकजुट होकर अनुपमा रावत के साथ एकजुट नजर आए. सदन शुरू होने से पहले अनुपमा रावत के साथ कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी, हरीश धामी, राजेश भंडारी ने एकजुट होकर सदन के बाहर सरकार के विरोध में नारे लगाए. बता दें कि हरिद्वार ग्रमीण से विधायक और हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत लगातार उनके विधानसभा क्षेत्र में कानून व्यवथा को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रही है. विधानसभा सत्र के दूसरे दिन उन्होंने कांग्रेसी विधायकों के साथ सरकार को घेरने की कोशिश की.

कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस मुखर.

पढ़ें-उत्तराखंड विधानसभा सत्र का पहला दिन, CM धामी ने सदन के पटल पर रखा लेखानुदान बजट

गौरतलब है कि विधानसभा सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सदन पटल पर अगले चार महीनों के लिए 21116 करोड़ का लेखानुदान बजट रखा. विधानसभा सत्र में राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने समेत सरकार के पांच साल के कार्यों पर चर्चा हुई. वहीं विपक्ष सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी जैसे विषयों पर सरकार को घेरने की कोशिश में लगा रहा.

नेता प्रतिपक्ष का चयन क्यों नहीं: उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा पहली दफा है जब विधानसभा का सत्र चल रहा है और विपक्ष का कोई प्रतिनिधि सदन में नहीं है. दरअसल, कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर हरीश रावत और प्रीतम सिंह के गुट आमने-सामने हैं, जिसके कारण देरी हो रही है. हालांकि, एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि एक मजबूत और क्रियात्मक विपक्ष हो, जो सरकार के अच्छे कामों में सरकार का साथ दें और कहीं पर अगर सरकार से कोई कमी रह जाती है तो उसको एक क्रियात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए.

Last Updated : Mar 30, 2022, 12:11 PM IST
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