देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा सभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी के उस फैसले का सही ठहराया है, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामले में 228 कर्मचारियों को बर्खास्त किया था. कोर्ट ने उत्तराखंड विधानसभा के 228 कर्मचारियों की बर्खास्तगी को सही ठहराया था. वहीं, कांग्रेस उत्तराखंड हाईकोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है. उनका मानना है कि कर्मचारियों के साथ-साथ नेताओं पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.
दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही ऋतु खंडूड़ी के सामने उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामला उजागर हुआ था, जिसके बाद सरकार की किरकिरी हुई थी. इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को पत्र लिखा था.
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने मामले की जांच के लिए समीति का गठन किया था और समीति की रिपोर्ट के बाद स्पीकर ने उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से भर्ती हुए 228 को बर्खास्त कर दिया था. हालांकि, बर्खास्त कर्मचारी इस फैसले के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुंच गए थे. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगा दी थी. एकलपीठ के आदेश को विधानसभा द्वारा स्पेशल याचिका लगाकर खंडपीठ में चुनौती दी गई थी. लिहाजा, आज खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही विधान सभा अध्यक्ष के आदेश को सही ठहराया है.
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हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले से कांग्रेस संतुष्ट नजर नहीं आ रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस करण माहरा ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से की गई 228 कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई को आधी अधूरी बताया है. साथ ही कहा कि राज्य की पहली विधानसभा से जांच होनी चाहिए. यही नहीं, इस कार्रवाई से जिन नेताओं ने अपने परिजनों की नौकरी लगवाई है वो सभी बच गए हैं. हालांकि, किसी की नौकरी चले जाने से कांग्रेस खुश नहीं है, लेकिन जिन नेताओं ने नैतिकता को ताक पर रखकर नौकरियां लगवाई है, उनपर कार्रवाई होनी चाहिए थी.