देहरादून: उत्तराखंड के नए नवेले मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत का एक अजीबोगरीब बयान सामने आया है. देहरादून के एक निजी होटल में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत नशा मुक्ति को लेकर आयोजित कार्यशाला में शिरकत कर रहे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत मंच पर जैसे ही खड़े हुए. उन्होंने आज की युवा पीढ़ी और संस्कारों पर अपना ज्ञान देना शुरू कर दिया.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी गलत दिशा में जा रही है. जब वह युवा अवस्था में हुआ करते थे या कॉलेज में पढ़ते थे. तब शिक्षकों की एक अलग पहचान होती थी. लेकिन आज की युवा पीढ़ी बेहद अलग दिशा में चल रही है.
कार्यक्रम में सीएम तीरथ सिंह रावत ने अपने साथ हुए एक किससे का भी जिक्र किया. सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि वह पार्टी कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए राजस्थान से आ रहे थे. अगले दिन करवाचौथ था.
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जहाज में अपनी सीट की बगल में बैठी महिला का जिक्र करते हुए तीरथ सिंह रावत ने कहा कि जब मेरी उनसे बातचीत हुई तो मैंने उनकी तरफ देखा. नीचे बूट से ऊपर देखा तो घुटने फटे हुए थे. हाथ में देखा तो कई कड़े थे. लेकिन जब मैंने उनके फटे घुटने और दोनों बच्चों को देखा तो मैंने पूछा बहन जी आपको कहां जाना है. उन्होंने कहा मुझे दिल्ली जाना है. उन्होंने मुझे बताया कि मेरे पति जेएनयू में प्रोफेसर हैं. तीरथ सिंह रावत के मुताबिक महिला एक एनजीओ चलाती है. तीरथ सिंह रावत ने कहा कि फटे जींस में घुटने दिखाते हुए जब महिला समाज के बीच जाती है तो वह क्या संस्कार देगी?
तीरथ सिंह रावत ने कहा यह जो वातावरण बन रहा है यह सही नहीं है. यह अंग्रेजों का वातावरण बन रहा है और अंग्रेजों को लोग बढ़िया समझते हैं. सीएम ने कहा कि घर में बच्चों को अच्छे संस्कार दो. जिस बच्चे में संस्कार हैं वह कभी फेल नहीं हो सकता है.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आजकल लड़के घुटना फाड़ कर ही अपने आप को बड़ा समझते हैं. लड़कियां भी अब उनकी तरह फटी हुईं जींस से घुटने दिखाती हैं. बहरहाल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह बयान लोगों को यह बताने के लिए दिया है कि बच्चों को संस्कार अच्छे दें, लेकिन उनका यह बयान विवादों में पड़ता दिखाई दे रहा है.
सीएम के बयान पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति
वहीं, सीएम के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि व्यक्ति कोई भी हो, हर किसी को भाषा की मर्यादा रखनी चाहिए. गरिमा दसौनी का कहना है कि मुख्यमंत्री जैसे पद पर बैठे किसी शख्स को अमर्यादित टिप्पणी शोभा नहीं देती. मुख्यमंत्री होने से किसी को यह सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता कि वो किसी के भी व्यक्तिगत जीवन पर टिप्पणी करे.