देहरादूनः उत्तराखंड में बागवानी की अपार संभावनाएं हैं. हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर अब उत्तराखंड में सेब उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है. पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों का रुझान सेब की खेती की ओर बढ़ रहा है तो वहीं कई निजी कंपनियां भी सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही हैं. इसी कड़ी में निजी कंपनियों की ओर से सेब उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर काम किए जाने से संबंधित एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत कर सेब उत्पादन करने वाले बागवानों को सम्मानित किया.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए संकल्प लेने की आवश्यकता है. संकल्प में किसी विकल्प का न आना, संकल्प पूरा करने का रास्ता है. उत्तराखंड में नाबार्ड से करीब 18 हजार पॉली हाउस बनाने की अनुमति मिली है. एप्पल और कीवी मिशन में धनराशि को बढ़ाया गया है. इतना ही नहीं हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में इस बार एक बड़ा बजट रखा गया है. सरकार की कोशिश है कि दो मंडी कुमाऊं और गढ़वाल में बनायी जाएं, ताकि प्रदेश से ताजी सब्जी और फल अन्य राज्यों में भेजी जा सके.
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वहीं, सीएम धामी ने कहा कि पहले की तरह अब सेब नहीं मिलते हैं. पहले के सेब काफी रसीले होते थे, लेकिन अब सेब के स्वाद में बदलाव आ गया है. खेतों में जो पहले उर्वरा शक्ति थी, वो अब नहीं रह गई है. इसके अलावा कीटनाशक दवाइयों के इस्तेमाल से मिट्टी खराब हो रही है. ऐसे में प्राकृतिक खेती पर काम करने की जरूरत है. राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप भी शोध करने की जरूरत है. पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से भी बेहतर सेब का उत्पादन उत्तराखंड में कर सकते हैं.
सीएम धामी ने आगे कहा कि बागवानी के विकास के लिए अनुकूल नीति लाई जा रही है. सरकार का प्रयास है कि हर नीति का सरलीकरण किया जाए. प्राकृतिक खेती के जरिए उत्तराखंड के सेब को विश्व में विशिष्ट पहचान दिलाने और सेब उत्पादन को 20 गुना बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. गौर हो कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सेब का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. इसके अलावा नैनीताल, पिथौरागढ़, चमोली और देहरादून जिलों के कुछ हिस्सों में भी सेब उत्पादन किया जा रहा है.