देहरादूनः उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया है. उनके बेटे राजवीर ने उन्हें मुखाग्नि दी. इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने भी बुलंदशहर पहुंचकर दिवंगत कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन किए और श्रद्धांजलि दी. केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट भी कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन को पहुंचे थे.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुलंदशहर के नरोरा पहुंचकर यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने भी सीएम के साथ वहां पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. सीएम धामी ने ट्वीट कर लिखा है-
'आज नरोरा, बुलंदशहर जाकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान के निवर्तमान राज्यपाल एवं हमारे आदर्श, श्री कल्याण सिंह जी के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. वे हम सभी भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहेंगे.'
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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने श्रद्धांजलि देते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है-
'आज नरोरा, बुलंदशहर उत्तर प्रदेश जाकर पूर्व मुख्यमंत्री एवं हम सभी के अभिभावक आदरणीय कल्याण सिंह जी "बाबूजी" के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करके भावभीनी श्रद्धांजलि दी. भारतीय राजनीति में उनका असाधारण योगदान हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा.'
बता दें कि बीते 21 अगस्त को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का 89 साल की उम्र में निधन हो गया था. वे लंबे समय से बीमार चल रहे और संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में उनका इलाज चल रहा था. वे सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ बुलंदशहर जिले के नरौरा राजघाट पर हुआ. उनके अंतिम संस्कार में सीएम योगी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेता शामिल हुए.
बाबरी विध्वंस पर गंवाई थी सरकारः राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के कारण कल्याण सिंह को न सिर्फ अपनी सरकार गंवानी पड़ी थी, बल्कि उन्हें एक दिन के लिए तिहाड़ जेल जाना पड़ा था. वह कल्याण सिंह ही थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री होते हुए 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने से इनकार कर दिया था. इसका नतीजा यह रहा कि विवादित बाबरी ढांचे को कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया.
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आखिर क्या हुआ था 6 दिसंबर 1992 कोः छह दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर करीब डेढ़ लाख कारसेवक सांकेतिक कारसेवा करने अयोध्या पहुंचे थे. एक दिन पहले यानी पांच दिसंबर को दोपहर विश्व हिंदू परिषद मार्ग दर्शक मंडल ने औपचारिक निर्णय लिया था कि केवल सांकेतिक कारसेवा होगी. रिपोर्ट्स के अनुसार, अचानक भीड़ उग्र हो गई और कारसेवकों ने ढांचे को ध्वस्त कर दिया. हालांकि लिब्राहन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसे सोची समझी साजिश करार दिया था.
जब भीड़ गुंबद ध्वस्त कर रही थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कालिदास मार्ग स्थित आवास में थे. उनके साथ लालजी टंडन भी मौजूद थे. जब अयोध्या में कारसेवकों के उग्र होने की खबर लखनऊ पहुंची, उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक एसएम त्रिपाठी सीएम से मिलने पहुंचे. उन्होंने कल्याण सिंह से फायरिंग की इजाजत मांगी.
सीएम ने पुलिस महानिदेशक को आंसू गैस और लाठी चार्ज कर हालात काबू करने का आदेश दिया. शाम होते-होते बाबरी मस्जिद ध्वस्त हो चुकी थी. कल्याण ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. मगर तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सलाह पर राष्ट्रपति ने कल्याण सरकार को बर्खास्त कर दिया और राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा कर दी.