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Fish Farming in Uttarakhand: मत्स्य पालन का हब बनेगा उत्तराखंड, क्लस्टर आधारित फिशरीज से बढ़ेगा उत्पादन - मत्स्य व्यापारियों और सीएम धामी की बैठक

उत्तराखंड को मत्स्य पालन का हब (Uttarakhand will become the hub of fisheries) बनाने के लिए धामी सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं. उत्तराखंड में अब क्लस्टर आधारित फिश फार्मिंग (Cluster based fish farming in Uttarakhand) की जाएगी. जिससे उत्पादन बढ़ेंगी. इसके साथ ही सीएम धामी जल्द ही मत्स्य से जुड़े बड़े व्यापारियों के साथ बड़ी बैठक करने वाले हैं. जिसमें उत्तराखंड में मिलने वाले मछलियों की मार्केटिंग की जाएगी.

Fish Farming in Uttarakhand
मत्स्य पालन का हब बनेगा उत्तराखंड
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Published : Jan 13, 2023, 6:59 PM IST

Updated : Jan 13, 2023, 8:43 PM IST

मत्स्य पालन का हब बनेगा उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते मत्स्य पालन के क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से मत्स्य पालन के क्षेत्र में किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है. राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण समय-समय पर होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के चलते मत्स्य पालकों को काफी नुकसान भी हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार मत्स्य पालकों के कार्यों का बीमा कराए जाने पर जोर दे रही है. इसमें प्रदेश में पशुपालकों के लिए राज्य सरकार की ओर से क्या कुछ योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि कम नुकसान और कम खर्च में अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सके? आइये आपको बताते हैं.

उत्तराखंड की करीब 70 फ़ीसदी जनसंख्या जीवन यापन के लिए कृषि एवं कृषक संबंधी कार्य पर निर्भर है. लिहाजा वर्तमान समय में मत्स्य पालन एवं इससे जुड़े अन्य व्यवसाय राज्य के लोगों के लिए एक बेहतर व्यवसाय के रूप में स्थापित हो गया है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ ही राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. जिससे प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन को बढ़ाया जा सके. जिससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि पलायन पर भी ब्रेक लगेगी.
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साल 2025 तक 10,000 मीट्रिक टन मछली उत्पादन: दरअसल, उत्तराखंड राज्य में सालना करीब 5367.488 मीट्रिक टन मछलियों का उत्पादन होता है. जिससे 68 करोड़ 16 लाख 88 हज़ार के लगभग इनकम होती है. मुख्य रूप से उधमसिंह नगर जिला, जिसमें 2921.349 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ है. उत्तराखंड सरकार प्रदेश में मछली उत्पादन को बढ़ाए जाने को लेकर तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. जिससे अधिक से अधिक लोग मछली उत्पादन व्यवसाय से जुड़े. उत्तराखंड सरकार ने 2025 तक 10 से 12000 मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है.

मत्स्य पालकों की बीमा के लिए बनाई जाएगी पॉलिसी: उत्तराखंड में आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. इन्हें आपदा के चलते न सिर्फ जान माल का नुकसान होता है, बल्कि तमाम लोगों की बसी बसाई व्यापार भी आपदा की जद में नष्ट हो जाता है. उसी में मुख्य रूप से मत्स्य पालकों को भी प्राकृतिक आपदा के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिसके चलते मत्स्य पालन के क्षेत्र में काफी कम लोग ही जुड़ पा रहे हैं. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार प्राकृतिक आपदा के दृष्टिगत मत्स्य पालकों की बीमा कराए जाने का पॉलिसी बना रही है. जिससे प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान के दौरान मत्स्य पालकों को मुआवजा राशि दी जा सके.
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रोजगार को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग की दरकार: उत्तराखंड में साल दर साल मछली उत्पादन बढ़ता जा रहा है. कोई मार्केटिंग प्लेटफार्म उपलब्ध ना होने के चलते उत्तराखंड के मछलियों का व्यापार नहीं पढ़ पा रहा है. मत्स्य पालन मंत्री सौरभ बहुगुणा(Fisheries Minister Saurabh Bahuguna) भी इस बात को मानते हैं कि मार्केटिंग एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके जरिए उत्तराखंड की मछलियों का बेहतर ढंग से न सिर्फ प्रमोट कर सकेंगे बल्कि इससे प्रदेश के मत्स्य पालकों का व्यापार भी काफी अधिक बढ़ेगा. यही वजह है कि वह लगातार अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं. प्रदेश की चुनिंदा मछली ब्रीड (ट्राउड फीस) को प्रमोट किए जाने के लिए नयाब तरीका इजाद करने पर जोर दे रहे हैं.

मत्स्य से जुड़े बड़े व्यापारियों के साथ जल्द होगी मुख्यमंत्री की बैठक: उत्तराखंड की सबसे फेमस हिमालयन ट्राउट फिश(Famous Himalayan trout fish of Uttarakhand) को बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराए जाने को लेकर मत्स्य विभाग में हाथ पैर मारने शुरू कर दिए हैं. जिसके तहत जल्द ही आंध्र प्रदेश समेत अन्य राज्यों के बड़े मत्स्य व्यापारियों और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ बैठक(Meeting of fish traders and CM Dhami) होने जा रही है. जिसमें प्रदेश की मछलियों को बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराए जाने पर चर्चा की जाएगी. मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा हिमालयन ट्राउट फिश काफी महंगी मछली है. जिसके चलते इसकी खपत उत्तराखंड में नहीं हो सकती. लिहाजा, इसकी मार्केटिंग बेहतर ढंग से किए जाने की आवश्यकता है. जिससे अन्य राज्यों ट्राउट फिश की डिमांड बढ़े.
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प्रदेश में संचालित हो रही हैं तमाम योजनाएं: देशभर में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना संचालित कर रही है. इसके तहत राज्यों को हर साल करोड़ों रुपए का फंड दिया जाता है. वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड सरकार भी उत्तराखंड राज्य में मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना संचालित कर रही है. साथ ही राज्य में मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना के तहत ट्रे और ट्रक की उपलब्ध कराई गई है. जिससे प्रदेश में ट्राउट मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य किया जा रहा है.मार्च 2022 तक ढाई लाख मत्स्य बीज का उत्पादन किया गया. इसके साथ ही राज्य सरकार, ट्राउट फार्मिंग परियोजना भी संचालित कर रही है.
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प्रदेश में कलस्टर आधारित होगा मत्स्य पालन: उत्तराखंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिए जाने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मत्स्य विभाग अब प्रदेश भर में क्लस्टर आधारित मत्स्य पालन पर जोर देने जा रहा है. लिहाजा मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालकों को उच्च गुणवत्ता युक्त मत्स्य बीज के साथ ही कलस्टर आधारित मत्स्य पालन को शुरू किया जाएगा. ज्यादा जानकारी देते हैं मत्स्य सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया एक गदेरे से करीब 100 से 150 छोटे- छोटे क्लस्टर आधारित तालाबों को जोड़ा जाएगा. लिहाजा, इस साल प्रदेश के सभी जिलों में एक एक कलस्टर तैयार किया जाएगा. जहा मत्स्य पालन किया जाएगा.

मत्स्य पालन का हब बनेगा उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते मत्स्य पालन के क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से मत्स्य पालन के क्षेत्र में किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है. राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण समय-समय पर होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के चलते मत्स्य पालकों को काफी नुकसान भी हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार मत्स्य पालकों के कार्यों का बीमा कराए जाने पर जोर दे रही है. इसमें प्रदेश में पशुपालकों के लिए राज्य सरकार की ओर से क्या कुछ योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि कम नुकसान और कम खर्च में अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सके? आइये आपको बताते हैं.

उत्तराखंड की करीब 70 फ़ीसदी जनसंख्या जीवन यापन के लिए कृषि एवं कृषक संबंधी कार्य पर निर्भर है. लिहाजा वर्तमान समय में मत्स्य पालन एवं इससे जुड़े अन्य व्यवसाय राज्य के लोगों के लिए एक बेहतर व्यवसाय के रूप में स्थापित हो गया है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ ही राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. जिससे प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन को बढ़ाया जा सके. जिससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि पलायन पर भी ब्रेक लगेगी.
पढे़ं- शंकराचार्य विवाद में सामने आए स्वामी शिवानंद सरस्वती, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को दिया समर्थन

साल 2025 तक 10,000 मीट्रिक टन मछली उत्पादन: दरअसल, उत्तराखंड राज्य में सालना करीब 5367.488 मीट्रिक टन मछलियों का उत्पादन होता है. जिससे 68 करोड़ 16 लाख 88 हज़ार के लगभग इनकम होती है. मुख्य रूप से उधमसिंह नगर जिला, जिसमें 2921.349 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ है. उत्तराखंड सरकार प्रदेश में मछली उत्पादन को बढ़ाए जाने को लेकर तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. जिससे अधिक से अधिक लोग मछली उत्पादन व्यवसाय से जुड़े. उत्तराखंड सरकार ने 2025 तक 10 से 12000 मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है.

मत्स्य पालकों की बीमा के लिए बनाई जाएगी पॉलिसी: उत्तराखंड में आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. इन्हें आपदा के चलते न सिर्फ जान माल का नुकसान होता है, बल्कि तमाम लोगों की बसी बसाई व्यापार भी आपदा की जद में नष्ट हो जाता है. उसी में मुख्य रूप से मत्स्य पालकों को भी प्राकृतिक आपदा के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिसके चलते मत्स्य पालन के क्षेत्र में काफी कम लोग ही जुड़ पा रहे हैं. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार प्राकृतिक आपदा के दृष्टिगत मत्स्य पालकों की बीमा कराए जाने का पॉलिसी बना रही है. जिससे प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान के दौरान मत्स्य पालकों को मुआवजा राशि दी जा सके.
पढे़ं- Patwari Paper Leak: UKSSSC के बाद UKPSC भी फेल! लोक सेवा आयोग अधिकारी सहित 7 गिरफ्तार, ₹22 लाख बरामद

रोजगार को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग की दरकार: उत्तराखंड में साल दर साल मछली उत्पादन बढ़ता जा रहा है. कोई मार्केटिंग प्लेटफार्म उपलब्ध ना होने के चलते उत्तराखंड के मछलियों का व्यापार नहीं पढ़ पा रहा है. मत्स्य पालन मंत्री सौरभ बहुगुणा(Fisheries Minister Saurabh Bahuguna) भी इस बात को मानते हैं कि मार्केटिंग एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके जरिए उत्तराखंड की मछलियों का बेहतर ढंग से न सिर्फ प्रमोट कर सकेंगे बल्कि इससे प्रदेश के मत्स्य पालकों का व्यापार भी काफी अधिक बढ़ेगा. यही वजह है कि वह लगातार अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं. प्रदेश की चुनिंदा मछली ब्रीड (ट्राउड फीस) को प्रमोट किए जाने के लिए नयाब तरीका इजाद करने पर जोर दे रहे हैं.

मत्स्य से जुड़े बड़े व्यापारियों के साथ जल्द होगी मुख्यमंत्री की बैठक: उत्तराखंड की सबसे फेमस हिमालयन ट्राउट फिश(Famous Himalayan trout fish of Uttarakhand) को बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराए जाने को लेकर मत्स्य विभाग में हाथ पैर मारने शुरू कर दिए हैं. जिसके तहत जल्द ही आंध्र प्रदेश समेत अन्य राज्यों के बड़े मत्स्य व्यापारियों और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ बैठक(Meeting of fish traders and CM Dhami) होने जा रही है. जिसमें प्रदेश की मछलियों को बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराए जाने पर चर्चा की जाएगी. मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा हिमालयन ट्राउट फिश काफी महंगी मछली है. जिसके चलते इसकी खपत उत्तराखंड में नहीं हो सकती. लिहाजा, इसकी मार्केटिंग बेहतर ढंग से किए जाने की आवश्यकता है. जिससे अन्य राज्यों ट्राउट फिश की डिमांड बढ़े.
पढे़ं- युवाओं का भविष्य खराब करने वालों को नहीं बख्शेंगे- सीएम धामी

प्रदेश में संचालित हो रही हैं तमाम योजनाएं: देशभर में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना संचालित कर रही है. इसके तहत राज्यों को हर साल करोड़ों रुपए का फंड दिया जाता है. वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड सरकार भी उत्तराखंड राज्य में मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना संचालित कर रही है. साथ ही राज्य में मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना के तहत ट्रे और ट्रक की उपलब्ध कराई गई है. जिससे प्रदेश में ट्राउट मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य किया जा रहा है.मार्च 2022 तक ढाई लाख मत्स्य बीज का उत्पादन किया गया. इसके साथ ही राज्य सरकार, ट्राउट फार्मिंग परियोजना भी संचालित कर रही है.
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प्रदेश में कलस्टर आधारित होगा मत्स्य पालन: उत्तराखंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिए जाने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मत्स्य विभाग अब प्रदेश भर में क्लस्टर आधारित मत्स्य पालन पर जोर देने जा रहा है. लिहाजा मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालकों को उच्च गुणवत्ता युक्त मत्स्य बीज के साथ ही कलस्टर आधारित मत्स्य पालन को शुरू किया जाएगा. ज्यादा जानकारी देते हैं मत्स्य सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया एक गदेरे से करीब 100 से 150 छोटे- छोटे क्लस्टर आधारित तालाबों को जोड़ा जाएगा. लिहाजा, इस साल प्रदेश के सभी जिलों में एक एक कलस्टर तैयार किया जाएगा. जहा मत्स्य पालन किया जाएगा.

Last Updated : Jan 13, 2023, 8:43 PM IST
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