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108 आपातकाल सेवा की दुर्घटनाओं पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग सख्त, DG हेल्थ से किया जवाब तलब - देहरादून न्यूज

उत्तराखंड में 108 सेवा की कमान जब से नई कंपनी के हाथ में सौंपी गई है तब से एंबुलेंस दुर्घटनाएं बढ़ गईं हैं. इस पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्वास्थ्य महानिदेशक से कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर एक महीने रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.

फाइल फोटो
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Published : Jun 2, 2019, 5:59 AM IST

देहरादून: जीवीके ईएमआरआई के साथ अनुबंध समाप्त होने के बाद अब उत्तराखंड में 108 आपातकालीन सेवाओं का संचालन नई कंपनी कर रही है. लेकिन लगातार एंबुलेसों की दुर्घटनाओं के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है. साथ ही चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के महानिदेशक से एक महीने के भीतर रिपोर्ट आयोग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं.

बाल संरक्षण आयोग ने पूछा है कि 24 मई 2019 तक 108 एंबुलेंस के द्वारा अभी तक 11 एक्सीडेंट हुए हैं, जो कि गंभीर विषय है. क्योंकि आपातकालीन सेवा 108 का संचालन उत्तराखंड के जनमानस के जीवन और मृत्यु से जुड़ा मामला है. ऐसे में 108 एंबुलेंसों की दुर्घटनाएं होना एक गंभीर विषय है.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियां शुरू, इस बार 10 हजार से ज्यादा लोग परेड ग्राउड में करेंगे योग

बाल आयोग ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के महानिदेशक से पूछे ये सवाल

  • 24 मई 2019 तक एंबुलेंसों की मरम्मत और उसका भुगतान किसने किया ?
  • कितनी एंबुलेंस में आधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई.
  • 108 में तैनात कर्मचारियों की संख्या.
  • तैनात कर्मचारियों का प्रशिक्षण किस विभाग या संस्था द्वारा कराया गया.
  • गाड़ी के भीतर और सड़क पर गर्भवती महिलाओं द्वारा बच्चों को जन्म देने के कारण और संख्या की मांग.
  • नई कंपनी ने कर्मचारियों की नियुक्ति गाड़ियों की संख्या के आधार पर क्यों नहीं की?

बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्वास्थ्य विभाग और जीवीके ईएमआरआई कंपनी का अनुबंध पत्र पेश करने और विभाग एवं कैंप कंपनी के बीच का अनुबंध पत्र आयोग को उपलब्ध कराने की मांग की है.

गौरतलब है कि जीवीके ईएमआरआई कंपनी का अनुबंध बीती 30 अप्रैल को समाप्त हो गया था. जिसके बाद 108 आपातकालीन सेवा का संचालन कैंप कंपनी संचालित कर रही है, लेकिन इस दौरान विभिन्न जिलों में 108 आपातकाल सेवा की दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अब शिक्षा स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक से 1 महीने के भीतर जवाब तलब किया है.

देहरादून: जीवीके ईएमआरआई के साथ अनुबंध समाप्त होने के बाद अब उत्तराखंड में 108 आपातकालीन सेवाओं का संचालन नई कंपनी कर रही है. लेकिन लगातार एंबुलेसों की दुर्घटनाओं के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है. साथ ही चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के महानिदेशक से एक महीने के भीतर रिपोर्ट आयोग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं.

बाल संरक्षण आयोग ने पूछा है कि 24 मई 2019 तक 108 एंबुलेंस के द्वारा अभी तक 11 एक्सीडेंट हुए हैं, जो कि गंभीर विषय है. क्योंकि आपातकालीन सेवा 108 का संचालन उत्तराखंड के जनमानस के जीवन और मृत्यु से जुड़ा मामला है. ऐसे में 108 एंबुलेंसों की दुर्घटनाएं होना एक गंभीर विषय है.

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बाल आयोग ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के महानिदेशक से पूछे ये सवाल

  • 24 मई 2019 तक एंबुलेंसों की मरम्मत और उसका भुगतान किसने किया ?
  • कितनी एंबुलेंस में आधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई.
  • 108 में तैनात कर्मचारियों की संख्या.
  • तैनात कर्मचारियों का प्रशिक्षण किस विभाग या संस्था द्वारा कराया गया.
  • गाड़ी के भीतर और सड़क पर गर्भवती महिलाओं द्वारा बच्चों को जन्म देने के कारण और संख्या की मांग.
  • नई कंपनी ने कर्मचारियों की नियुक्ति गाड़ियों की संख्या के आधार पर क्यों नहीं की?

बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्वास्थ्य विभाग और जीवीके ईएमआरआई कंपनी का अनुबंध पत्र पेश करने और विभाग एवं कैंप कंपनी के बीच का अनुबंध पत्र आयोग को उपलब्ध कराने की मांग की है.

गौरतलब है कि जीवीके ईएमआरआई कंपनी का अनुबंध बीती 30 अप्रैल को समाप्त हो गया था. जिसके बाद 108 आपातकालीन सेवा का संचालन कैंप कंपनी संचालित कर रही है, लेकिन इस दौरान विभिन्न जिलों में 108 आपातकाल सेवा की दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अब शिक्षा स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक से 1 महीने के भीतर जवाब तलब किया है.

Intro:जीवीके इएमआरआई के साथ अनुबंध समाप्त होने के बाद अब उत्तराखंड मे 108 आपातकालीन सेवाओं का संचालन नई कंपनी कर रही है ।लेकिन लगातार एम्बुलेसों की दुर्घटनाओं के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए बाल संरक्षण आयोग ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के महानिदेशक से 1 महीने के भीतर रिपोर्ट आयोग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं।


Body:बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए पूछा है कि बीती 24 मई 2019 तक 108 एंबुलेंस के द्वारा अभी तक 11 एक्सीडेंट किए गए हैं जो कि गंभीर विषय है क्योंकि आपातकालीन सेवा 108 का संचालन उत्तराखंड के जनमानस के जीवन और मृत्यु से जुड़ा मामला है। ऐसे में 108 एम्बुलेंसों की दुर्घटनाएं होना एक गंभीर विषय है। दरअसल बाल संरक्षण आयोग ने पूछा है कि 24 मई 2019 तक जिन एंबुलेंसों का एक्सीडेंट किया गया है, उसमें टूट-फूट व मरम्मत का भुगतान कितना और किसके द्वारा किया गया है। ऐसी एंबुलेंस कितनी है, जिनमें आधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है,और उसमें कितने कर्मचारी तैनात हैं,जबकि उनका प्रशिक्षण किस विभाग या संस्था द्वारा कराया गया है। आयोग ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के महानिदेशक से यह भी पूछा है कि कई एंबुलेंसें जो कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित हो रही हैं, विगत दिनों में गाड़ी के भीतर तथा सड़क पर गर्भवती महिलाओं द्वारा बच्चों को जन्म देने के मामले संज्ञान में आ रहे हैं। जीवीके इएमआरआई द्वारा प्रदेश में लगभग 700 से 800 के बीच कर्मचारी नियुक्त किए गए थे परंतु नई कंपनी ने अभी तक कर्मचारियों की संख्या एवं नियुक्त गाड़ियों के अनुसार नहीं की गई है ,इस संबंध में जांच प्रस्तुत की जाए। वहीं विभाग और जीवीके इएमआरआई कंपनी का अनुबंध पत्र तथा विभाग एवं कैंप कंपनी के बीच का अनुबंध पत्र आयोग को उपलब्ध कराया जाए। बीते दस वर्ष पूर्व जीवीके इएमआरआई ने बढ़ती महंगाई के चलते 108 आपातकालीन सेवा के संचालन में कई प्रकार की अनियमितताएं बरती , जबकि नई कंपनी ने घटी दरों पर बढ़ती महंगाई में टेंडर प्राप्त किया, ऐसे में किए गए अनुबंध में गुणवत्ता और सर्विस समय पर दिए जाने के संबंध में क्या-क्या प्रावधान किए गए हैं। इसको भी आयोग को बताने के निर्देश दिए गए हैं


Conclusion: गौरतलब है कि जीवीके एम आर आई कंपनी का अनुबंध बीती 30 अप्रैल को समाप्त हो गया है जिसके बाद 108 आपातकालीन सेवा का संचालन कैंप कंपनी संचालित कर रही है, लेकिन इस दौरान विभिन्न जिलों में 108 एंबुलेंसों की दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए बाल संरक्षण आयोग ने अब शिक्षा स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक से 1 महीने के भीतर जवाब मांगा है
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