पौड़ी: पौड़ी में हुए भीषण बस हादसे के बाद जिला अस्पताल की बदहाली पर व्यापारी वर्ग खासा नाराज है. आज व्यापारियों ने दुकानें बंद कर अपना रोष जताया.
पौड़ी में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर व्यापार सभा द्वारा किए गए विरोध के चलते आज शहर की सभी दुकानें बंद रहीं. व्यापारी समुदाय की ओर से सड़क दुर्घटना के मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और जिला अस्पताल की सुविधाओं को सुधारने की मांग करते हुए सभी व्यापारी कलेक्ट्रेट के नजदीक एकजुट हुए. इसके बाद सभी व्यापारियों ने कोतवाली पौड़ी पहुंचकर अपनी गिरफ्तारी दी.
टॉर्च की रोशनी में इलाज, जिला अस्पताल की बदहाली पर व्यापारी नाराज: दरअसल बीते दिन पौड़ी में हुए बस सड़क हादसे में जब घायलों को उपचार के लिए जिला चिकित्सालय लाया गया तो वहां बिजली ही गुल थी. जिस कारण घायलों का मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज किया गया. हॉस्पिटल की इस व्यवस्था से स्थानीय लोगों में खासा रोष है. शहर के सभी व्यापारियों की मांगे थीं कि जिला अस्पताल में बेहतर चिकित्सकों की नियुक्ति हो और अस्पताल के उपकरणों को चलाने के लिए टेक्नीशियन की भर्ती की जाए.
रविवार को पौड़ी में हुए बस हादसे के बाद व्यापारियों ने बताया कि अस्पताल में लाइट की उचित व्यवस्था नहीं थी, जिससे लोगों में काफी आक्रोश फैल गया. व्यापारियों ने बताया कि 1 जनवरी से सरकारी व्यवस्थाओं को संचालित करने की बात कही गई थी, लेकिन इसके लिए कोई उचित तैयारी नहीं की गई. उन्होंने ये भी बताया कि जब 4 सालों तक इस अस्पताल को पीपीपी मोड़ के माध्यम से चलाया गया तब भी लगातार अव्यवस्थाएं यहां पर बनी हुई थी और लोगों का आक्रोश बना हुआ था. जब इनका अनुबंध समाप्त होने की बारी आई तो सरकार ने इसको लेते हुए व्यवस्थाओं को सही करने के विषय पर सोचा तक नहीं क्योंकि जिन डॉक्टरों ने यहां पर तैनाती देनी थी उन्होंने तैनाती लेने से भी मना कर दिया जिसका खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है.
यह विरोध व्यापारियों की ओर से अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए किया गया है. जिसमे सभी व्यापारियों ने अपना समर्थन दिया -अध्यक्ष व्यापार सभा विनय शर्मा
व्यापारी मनोज रावत ने अस्पताल में सुविधाओं की कमी और सड़क दुर्घटना के बाद हुई असुविधाओं के बारे में अपनी चिंता जाहिर की. यह पौड़ी का दुर्भाग्य है कि मंडल मुख्यालय का अस्पताल होने के बावजूद इसके बहुत बुरे हाल है.
कल का हादसा बहुत दुखद था. लेकिन अगर व्यवस्थाओं की बात करें तो व्यवस्थाओं में दिक्कत नहीं थी. हमारे 10 डॉक्टर इलाज में लगे हुए थे जिनमें 4 स्पेशलिस्ट डॉक्टर थे. सभी डॉक्टरों ने यहां काम किया. स्टाफ ने भी मदद की. लेकिन काफी भावावेश में अंदर भीड़ ज्यादा हो गई थी. उससे अव्यवस्थाएं हुईं हैं. डॉक्टर्स उस समय थे. किसी को भी बिना देखे बिना फर्स्ट एड दिए नहीं भेजा गया. साधारण रूप से घायलों को उपचार के बाद घर भिजवाया गया. बाकी को फर्स्ट एड देकर यहां से भेजा गया. जिनको हम रखना भा चाह रहे थे उनके अनुरोध पर उनको रेफर किया गया- सीएमओ डॉ. प्रवीण कुमार
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