ETV Bharat / state

ईको फ्रेंडली दिवाली से इस बार दें नया संदेश, ऐसे मनाएं खुशियां हवा में प्रदूषण न रहे शेष

हर बार दिवाली के त्यौहार के दौरान पटाखे जलाने की वजह से अगले दिन शहरों में पॉल्यूशन और स्मॉग की मोटी चादर दिखने लगती थी. ऐसे में पर्यावरण के साथ-साथ खुद को भी बीमार पड़ने से बचाने के लिए बेहद जरूरी है कि इस साल हम सब ग्रीन दिवाली मनाएं, ताकि हमारा सेलिब्रेशन पर्यावरण के अनुकूल हो.

eco friendly diwali
ईको फ्रेंडली दिवाली
author img

By

Published : Oct 24, 2022, 9:58 AM IST

देहरादून: वैसे तो दीपावली रौशनी का त्यौहार माना जाता है. पुराणों के अनुसार भगवान राम जब रावण का वध करके और 14 साल बाद का वनवास खत्म करने के बाद आयोध्या वापस लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाकर खुशियां मनाई थी. लेकिन आज के आधुनिक दौर में दीपों के साथ साथ इस त्यौहार पर आतिशबाजी भी की जाती है. देशभर में आतिशबाजी के चलते पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान होता है.

दीपावली की रात को हवा में जो जहर घुलता है उससे लोगों की सेहत को काफी नुकसान होता है. उत्तराखंड की बात करें तो यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स में राज्य को कोई भी खतरा नहीं है. पूरे राज्य में अभी AQI लेवल सेटिस्फैक्टरी केटेगरी पर है. हालांकि इस केटेगरी में बुजुर्गों के साथ साथ जिन लोगों को सांस लेने में दिक्क्त होती है उनके लिए परेशानी बढ़ सकती हैं.
पढ़ें- धनतेरस पर हल्द्वानी के बाजारों में हुई धन वर्षा, 280 करोड़ से अधिक के कारोबार का अनुमान

दीपावली पर जलने वाले पटाखों की वजह से हर साल पूरे उत्तराखंड में केवल दीपावली की रात को हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. हालांकि हवा में फैला ये जहर केवल 2 घंटे के बाद साफ भी हो जाता है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पर्यावरण अभियंता अंकुर कंसल का कहना है कि दीपावली को ध्यान में रखते हुए 17 अक्टूबर से ही विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसमें रोजाना एयर क़्वालिटी को चेक किया जा रहा है, जिससे अंदाजा हो सके कि रोजाना हवा में प्रदूषण का स्तर किस तरह से मूवमेंट कर रहा है.

पटाखों से न सिर्फ वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, बल्कि मनुष्य का स्वास्थ्य भी कई तरह से प्रभावित होता है. मनुष्य के लिए सामान्य डेसिबल स्तर 60 डीबी है, लेकिन पटाखों से 80 डीबी से ज्यादा शोर उत्पन्न होता है. यह लेवल अस्थायी बहरापन पैदा कर सकता है. पटाखों की विस्फोटक गूंज का बच्चों, गर्भवती महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
पढ़ें- Diwali celebration : दीपावली विशेष राशिफल व राशि अनुसार करें खास पूजा और उपाय

वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए पटाखों से दूरी बनाना ही बेहतर होगा. आप दूसरों को भी पटाखें ना खरीदने को लेकर जागरूक कर सकते हैं. पटाखों का जहरीला धुंआ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और आसमान में भी धुंध सी छा जाती है. इसलिए इस दिवाली को सुरक्षित रूप से अपनों के साथ खुशी से मनाएं.

देहरादून: वैसे तो दीपावली रौशनी का त्यौहार माना जाता है. पुराणों के अनुसार भगवान राम जब रावण का वध करके और 14 साल बाद का वनवास खत्म करने के बाद आयोध्या वापस लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाकर खुशियां मनाई थी. लेकिन आज के आधुनिक दौर में दीपों के साथ साथ इस त्यौहार पर आतिशबाजी भी की जाती है. देशभर में आतिशबाजी के चलते पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान होता है.

दीपावली की रात को हवा में जो जहर घुलता है उससे लोगों की सेहत को काफी नुकसान होता है. उत्तराखंड की बात करें तो यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स में राज्य को कोई भी खतरा नहीं है. पूरे राज्य में अभी AQI लेवल सेटिस्फैक्टरी केटेगरी पर है. हालांकि इस केटेगरी में बुजुर्गों के साथ साथ जिन लोगों को सांस लेने में दिक्क्त होती है उनके लिए परेशानी बढ़ सकती हैं.
पढ़ें- धनतेरस पर हल्द्वानी के बाजारों में हुई धन वर्षा, 280 करोड़ से अधिक के कारोबार का अनुमान

दीपावली पर जलने वाले पटाखों की वजह से हर साल पूरे उत्तराखंड में केवल दीपावली की रात को हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. हालांकि हवा में फैला ये जहर केवल 2 घंटे के बाद साफ भी हो जाता है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पर्यावरण अभियंता अंकुर कंसल का कहना है कि दीपावली को ध्यान में रखते हुए 17 अक्टूबर से ही विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसमें रोजाना एयर क़्वालिटी को चेक किया जा रहा है, जिससे अंदाजा हो सके कि रोजाना हवा में प्रदूषण का स्तर किस तरह से मूवमेंट कर रहा है.

पटाखों से न सिर्फ वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, बल्कि मनुष्य का स्वास्थ्य भी कई तरह से प्रभावित होता है. मनुष्य के लिए सामान्य डेसिबल स्तर 60 डीबी है, लेकिन पटाखों से 80 डीबी से ज्यादा शोर उत्पन्न होता है. यह लेवल अस्थायी बहरापन पैदा कर सकता है. पटाखों की विस्फोटक गूंज का बच्चों, गर्भवती महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
पढ़ें- Diwali celebration : दीपावली विशेष राशिफल व राशि अनुसार करें खास पूजा और उपाय

वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए पटाखों से दूरी बनाना ही बेहतर होगा. आप दूसरों को भी पटाखें ना खरीदने को लेकर जागरूक कर सकते हैं. पटाखों का जहरीला धुंआ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और आसमान में भी धुंध सी छा जाती है. इसलिए इस दिवाली को सुरक्षित रूप से अपनों के साथ खुशी से मनाएं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.